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भीड़

किसी चीज या बात की अधिकता, जैसे-काम की भीड़, उदा०-परी रस भीड़ दृग धीर नाहिंन धरे, -अलबेला अली, आपत्ति, मुसीबत, संकट, उदा०-(क) जुग जुग भीर (भीड़) हरी संतन की,-मीराँ, (ख) तुम हरो जन की भीर (भीड़)।-मीराँ, क्रि० प्र०-कटना, -काटना,-पड़ना

भीड़न

भीड़ने की क्रिया या भाव

भीड़-भाड़

धूम-धाम, महिमा

भीड़ करना

बहुत से लोगों का इकट्ठा होना, संघटित करना, भीड़ लगाना

भीड़-बंगा

-

भीड़ पड़ना

उफ़्तादा पड़ना, वक़्त पेश आना, मुसीबत पड़ना, आफ़त आना

भीड़ छाना

मजमा होना, हुजूम का युरुश करना

भीड़ छटना

भीड़ का हट जाना, हुजूम कम होना

भीड़-बुंगाह

-

भीड़-भड़क्का

एक ही स्थान पर बहुत लोगों का जमावड़ा या भीड़, जमघट, जनसमूह, मजमा, भीड़-भाड़

भीड़ न ठट्ठा मार नुहटा

ना मजमा, ना मौक़ा, बेमहल बात करने के मौक़ा पर बोलते हैं, ख़्वाहमख़्वाह लड़ने वाली औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

सोती भीड़ जगाना

पुराने झगड़े को फिर उठाना, दबी दबाई बात को छेड़ना

जान पर भीड़ पड़ना

जान पर रंज-ओ-मुसीबत का हुजूम होना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में रोज़-ए-फ़िराक़ के अर्थदेखिए

रोज़-ए-फ़िराक़

roz-e-firaaqروزِ فِراق

वज़्न : 22121

रोज़-ए-फ़िराक़ के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • जुदाई का दिन

शे'र

English meaning of roz-e-firaaq

Noun, Masculine

  • day of separation

روزِ فِراق کے اردو معانی

Roman

اسم، مذکر

  • جُدائی کا دِن

Urdu meaning of roz-e-firaaq

Roman

  • judaa.ii ka din

खोजे गए शब्द से संबंधित

भीड़

किसी चीज या बात की अधिकता, जैसे-काम की भीड़, उदा०-परी रस भीड़ दृग धीर नाहिंन धरे, -अलबेला अली, आपत्ति, मुसीबत, संकट, उदा०-(क) जुग जुग भीर (भीड़) हरी संतन की,-मीराँ, (ख) तुम हरो जन की भीर (भीड़)।-मीराँ, क्रि० प्र०-कटना, -काटना,-पड़ना

भीड़न

भीड़ने की क्रिया या भाव

भीड़-भाड़

धूम-धाम, महिमा

भीड़ करना

बहुत से लोगों का इकट्ठा होना, संघटित करना, भीड़ लगाना

भीड़-बंगा

-

भीड़ पड़ना

उफ़्तादा पड़ना, वक़्त पेश आना, मुसीबत पड़ना, आफ़त आना

भीड़ छाना

मजमा होना, हुजूम का युरुश करना

भीड़ छटना

भीड़ का हट जाना, हुजूम कम होना

भीड़-बुंगाह

-

भीड़-भड़क्का

एक ही स्थान पर बहुत लोगों का जमावड़ा या भीड़, जमघट, जनसमूह, मजमा, भीड़-भाड़

भीड़ न ठट्ठा मार नुहटा

ना मजमा, ना मौक़ा, बेमहल बात करने के मौक़ा पर बोलते हैं, ख़्वाहमख़्वाह लड़ने वाली औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं

सोती भीड़ जगाना

पुराने झगड़े को फिर उठाना, दबी दबाई बात को छेड़ना

जान पर भीड़ पड़ना

जान पर रंज-ओ-मुसीबत का हुजूम होना

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