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परसों

आगामी कल के बाद वाला दूसरा दिन, बीते हुए दिन से ठीक पहले वाला दिन, बीच में एक दिन छोड़कर अगला दिन, गुज़रा हुआ तीसरा दिन

परसों का होता कल और कल का होता आज

ऐसे मवाक़े पर कहते हैं जहां बहुत उजलत ज़ाहिर करना मंज़ूर हो

परसों मोई सासू आज क्यों आए आँसू

रुक : पर को मोय सासू आज क्यों आए आँसू

आज मेरे मंगनी, कल मेरा ब्याह, परसों लौंडिया को कोई ले जाय

मानवीय कामों की या संसार की अल्पकालिकता और भविष्य के अविश्वास को प्रकट करने के अवसर पर बोलते हैं कि समय या युग बदलते देर नहीं लगती, आदमी योजना बनाता है, पर भविष्य में क्या होगा, कोई नहीं जानता

आज दो हत्तड़ कल जूतियाँ परसों छु्रियाँ होंगी

प्रतिदिन दंगा-फ़साद बढ़ेगा

आज मेरी मंगनी कल मेरा ब्याह, परसों लौंडिया को कोई ले जा

बरसों का सामान करे और परसों वा की मय्यत

आदमी बड़ा हवसनाक है, आइन्दा का इंतिज़ाम करता है और पता नहीं होता कि किस वक़्त मौत आजाए

बाप की नाव आज नहीं कल और कल नहीं परसों डूबे और डूबे

पापी को दण्ड अवश्य मीलता है, बुराई को अवश्य पतन है

पाप की नाव आज नहीं , कल कल नहीं , परसों डूबे और डूबे

ज़ालिम को सज़ा ज़रूर मिलती है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में परसों मोई सासू आज क्यों आए आँसू के अर्थदेखिए

परसों मोई सासू आज क्यों आए आँसू

parso.n mo.ii saasuu aaj kyo.n aa.e aa.nsuuپَرْسوں موئی ساسُو آج کیوں آئے آنْسو

कहावत

परसों मोई सासू आज क्यों आए आँसू के हिंदी अर्थ

  • रुक : पर को मोय सासू आज क्यों आए आँसू

پَرْسوں موئی ساسُو آج کیوں آئے آنْسو کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • رک : پر کو موئی ساسو آج کیوں آئے آنسو.

Urdu meaning of parso.n mo.ii saasuu aaj kyo.n aa.e aa.nsuu

  • Roman
  • Urdu

  • ruk ha par ko moy saasuu aaj kyo.n aa.e aa.nsuu

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परसों

आगामी कल के बाद वाला दूसरा दिन, बीते हुए दिन से ठीक पहले वाला दिन, बीच में एक दिन छोड़कर अगला दिन, गुज़रा हुआ तीसरा दिन

परसों का होता कल और कल का होता आज

ऐसे मवाक़े पर कहते हैं जहां बहुत उजलत ज़ाहिर करना मंज़ूर हो

परसों मोई सासू आज क्यों आए आँसू

रुक : पर को मोय सासू आज क्यों आए आँसू

आज मेरे मंगनी, कल मेरा ब्याह, परसों लौंडिया को कोई ले जाय

मानवीय कामों की या संसार की अल्पकालिकता और भविष्य के अविश्वास को प्रकट करने के अवसर पर बोलते हैं कि समय या युग बदलते देर नहीं लगती, आदमी योजना बनाता है, पर भविष्य में क्या होगा, कोई नहीं जानता

आज दो हत्तड़ कल जूतियाँ परसों छु्रियाँ होंगी

प्रतिदिन दंगा-फ़साद बढ़ेगा

आज मेरी मंगनी कल मेरा ब्याह, परसों लौंडिया को कोई ले जा

बरसों का सामान करे और परसों वा की मय्यत

आदमी बड़ा हवसनाक है, आइन्दा का इंतिज़ाम करता है और पता नहीं होता कि किस वक़्त मौत आजाए

बाप की नाव आज नहीं कल और कल नहीं परसों डूबे और डूबे

पापी को दण्ड अवश्य मीलता है, बुराई को अवश्य पतन है

पाप की नाव आज नहीं , कल कल नहीं , परसों डूबे और डूबे

ज़ालिम को सज़ा ज़रूर मिलती है

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