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साझी

साझेदार, शरीक, हिस्सादार

साझी-दार

साझी, भागीदार, हिस्सादार

साझी साझी मिल गए झूटे पड़े बसीठ

फ़रीक़ैन आपस में एक हो गए दरमयान में आने वालों को ख़िफ़्फ़त उठानी पड़ी

साँझी

दसहरे के समय मंदिरों में गोबर की बनाई हुई मूर्तियां (जो मूर्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं)

साझी होना

शरीक होना, मिल जाना

साझी करना

साझा करना

साझी बनना

become a partner, enter into partnership (with)

साझिया

(दुकानदारी) व्यावसायिक व्यवसाय में भागीदार, हिस्सेदार

आधी का साझी बराबर की चोट

आधे का भगीदार प्रतिद्वंदी होता है

आधे का साझी बराबर की चोट

साझी या हिस्सेदार का हक़ बराबर होता है

गोबर की साँझी भी फरिया ओढ़े अच्छी लगती है

कुरूप भी शृंगार की वजह से सुंदर लगती है, सज्जा बड़ी चीज़ है

गोबर की साँझी

गोबर की छोटी सी मूर्ती जो हिंदू लड़कियाँ भादों के महीने में बनाती हैं

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में परेशान-कुन के अर्थदेखिए

परेशान-कुन

pareshaan-kunپریشان کن

स्रोत: फ़ारसी

वज़्न : 12212

परेशान-कुन के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • परीशान करनेवाला।

English meaning of pareshaan-kun

Adjective

  • troublesome, distressful

Urdu meaning of pareshaan-kun

  • Roman
  • Urdu

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साझी

साझेदार, शरीक, हिस्सादार

साझी-दार

साझी, भागीदार, हिस्सादार

साझी साझी मिल गए झूटे पड़े बसीठ

फ़रीक़ैन आपस में एक हो गए दरमयान में आने वालों को ख़िफ़्फ़त उठानी पड़ी

साँझी

दसहरे के समय मंदिरों में गोबर की बनाई हुई मूर्तियां (जो मूर्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं)

साझी होना

शरीक होना, मिल जाना

साझी करना

साझा करना

साझी बनना

become a partner, enter into partnership (with)

साझिया

(दुकानदारी) व्यावसायिक व्यवसाय में भागीदार, हिस्सेदार

आधी का साझी बराबर की चोट

आधे का भगीदार प्रतिद्वंदी होता है

आधे का साझी बराबर की चोट

साझी या हिस्सेदार का हक़ बराबर होता है

गोबर की साँझी भी फरिया ओढ़े अच्छी लगती है

कुरूप भी शृंगार की वजह से सुंदर लगती है, सज्जा बड़ी चीज़ है

गोबर की साँझी

गोबर की छोटी सी मूर्ती जो हिंदू लड़कियाँ भादों के महीने में बनाती हैं

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

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