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अनजान

अपरिचित, अजनबी,पहले से न देखा हुआ

अंजानपन

अज्ञानता, नासमझी

अनजाने में

inadvertently, unknowingly, unwittingly

जान के अंजान होना

feign or pretend ignorance

जान कर अनजान हो जाना

इरादतन नावाक़िफ़ बनना, वाक़फ़ीयत के बावजूद ग़ैरियत का इज़हार करना, चंद्राना, मुकराना, दीदा-ओ-दानिस्ता इनकार करना

जान कर अंजान बनना

किसी चीज़ से परिचित हो कर अपरिचित होना, किसी चीज़ से वाक़िफ़ होकर नावाक़िफ़ बनना

हाकिम दो जानने वालों में अंजान

मूल घटनाएँ वादी एवं प्रतिवादी को पता होती हैं हाकिम को कुछ मालूम नहीं होता

क्या लड़े सूरमा, क्या लड़े अनजान

लड़ने का काम बहादुरों का है या फिर जो मूर्ख होता है वही लड़ाई मोल लेता है

सार पराई पीड़ की क्या जाने अंजान

दूओसरे की तकलीफ़ का अंदाज़ा नहीं हो सकता, दर्दमंद ही को दर्द का एहसास होता है

साईं तेरा आसरा छोड़े जो अंजान, दर-दर बांडे मांगता कौड़ी मिले न दान

जो ईश्वर की आस छोड़ दे वो दर-दर मांगता फिरे तो भी उसे कुछ नहीं मिलता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में नीम-वहशी के अर्थदेखिए

नीम-वहशी

niim-vahshiiنِیم وَحشی

वज़्न : 2122

नीम-वहशी के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • असभ्य, गंवार

शे'र

English meaning of niim-vahshii

Adjective

  • semi-barbaric

نِیم وَحشی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • نیم وحشی، تہذیب اور معاشرت سے کم آشنا ، قدرے غیر مہذب

Urdu meaning of niim-vahshii

  • Roman
  • Urdu

  • niyam vahshii, tahaziib aur mu.aasharat se kam aashnaa, qadre Gair muhazzab

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अनजान

अपरिचित, अजनबी,पहले से न देखा हुआ

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अज्ञानता, नासमझी

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जान के अंजान होना

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जान कर अनजान हो जाना

इरादतन नावाक़िफ़ बनना, वाक़फ़ीयत के बावजूद ग़ैरियत का इज़हार करना, चंद्राना, मुकराना, दीदा-ओ-दानिस्ता इनकार करना

जान कर अंजान बनना

किसी चीज़ से परिचित हो कर अपरिचित होना, किसी चीज़ से वाक़िफ़ होकर नावाक़िफ़ बनना

हाकिम दो जानने वालों में अंजान

मूल घटनाएँ वादी एवं प्रतिवादी को पता होती हैं हाकिम को कुछ मालूम नहीं होता

क्या लड़े सूरमा, क्या लड़े अनजान

लड़ने का काम बहादुरों का है या फिर जो मूर्ख होता है वही लड़ाई मोल लेता है

सार पराई पीड़ की क्या जाने अंजान

दूओसरे की तकलीफ़ का अंदाज़ा नहीं हो सकता, दर्दमंद ही को दर्द का एहसास होता है

साईं तेरा आसरा छोड़े जो अंजान, दर-दर बांडे मांगता कौड़ी मिले न दान

जो ईश्वर की आस छोड़ दे वो दर-दर मांगता फिरे तो भी उसे कुछ नहीं मिलता

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