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ढोर

(लाक्षणिक) ढेर

ढोर-डंगर

गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि

ढोर-मरे

कोसना, बद्दुआ, श्राप, बदगोई

ढोर-डांगर

ढोरा

मिट्टी का टीला जो किसी नाली के किनारे पर बनाते हैं, वो पुरानी और सूखी नहर जिसमें पानी नहीं आता हो ,

ढोरी

किसी ओर प्रवृत्त होने अथवा किसी पर अनुरक्त होने की अवस्था या भाव

ढोरना

पानी या और कोई द्रव पदार्थ गिराकर बहाना, ढालना, ढरकाना

ढोर मरे न कव्वा खाए

फ़ुज़ूल उम्मीद के मौक़ा पर कहते हैं

ढोरों के घर कव्वे मेहमान

बुरों में अच्छों का शम्मिलित होना

चोर-ढोर

चोर के साथ चोरी की हुई संपत्ति

चोर ढोर दोनों हाज़िर हैं

चोर और चौपाए पकड़ लाए हैं, अर्थात साक्ष्य पूरा है

चमारों के कोसे ढोर नहीं मरते

श्राप देने से किसी की हानि नहीं होती

चमार के कोसे ढोर नहीं मरते

श्राप देने से किसी को हानि नहीं होती, कोई आदमी अगर अपने स्वार्थवश दूसरे का बुरा चाहे, तो उससे कुछ होता-हवाता नहीं

कौओं के कोसे से ढोर नहीं मरते

किसी के बुरा चाहने से किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचता

कहीं कव्वों के कोसे से ढोर मरते हैं

किसी के बुरा चाहने से बुरा नहीं होता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में निगाह-ए-फ़ुसूँ-कार के अर्थदेखिए

निगाह-ए-फ़ुसूँ-कार

nigaah-e-fusuu.n-kaarنِگاہ فُسُوں کار

स्रोत: फ़ारसी

वज़्न : 1221221

निगाह-ए-फ़ुसूँ-कार के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • जादू जगाने वाली नज़र

शे'र

English meaning of nigaah-e-fusuu.n-kaar

Noun, Feminine

  • magical glance

Roman

نِگاہ فُسُوں کار کے اردو معانی

اسم، مؤنث

  • جادو جگانے والی نظر

Urdu meaning of nigaah-e-fusuu.n-kaar

  • jaaduu jagaane vaalii nazar

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ढोर

(लाक्षणिक) ढेर

ढोर-डंगर

गाय, बैल, भैंस, बकरी आदि

ढोर-मरे

कोसना, बद्दुआ, श्राप, बदगोई

ढोर-डांगर

ढोरा

मिट्टी का टीला जो किसी नाली के किनारे पर बनाते हैं, वो पुरानी और सूखी नहर जिसमें पानी नहीं आता हो ,

ढोरी

किसी ओर प्रवृत्त होने अथवा किसी पर अनुरक्त होने की अवस्था या भाव

ढोरना

पानी या और कोई द्रव पदार्थ गिराकर बहाना, ढालना, ढरकाना

ढोर मरे न कव्वा खाए

फ़ुज़ूल उम्मीद के मौक़ा पर कहते हैं

ढोरों के घर कव्वे मेहमान

बुरों में अच्छों का शम्मिलित होना

चोर-ढोर

चोर के साथ चोरी की हुई संपत्ति

चोर ढोर दोनों हाज़िर हैं

चोर और चौपाए पकड़ लाए हैं, अर्थात साक्ष्य पूरा है

चमारों के कोसे ढोर नहीं मरते

श्राप देने से किसी की हानि नहीं होती

चमार के कोसे ढोर नहीं मरते

श्राप देने से किसी को हानि नहीं होती, कोई आदमी अगर अपने स्वार्थवश दूसरे का बुरा चाहे, तो उससे कुछ होता-हवाता नहीं

कौओं के कोसे से ढोर नहीं मरते

किसी के बुरा चाहने से किसी को नुक़्सान नहीं पहुंचता

कहीं कव्वों के कोसे से ढोर मरते हैं

किसी के बुरा चाहने से बुरा नहीं होता

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