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उल्टे बल की चोटी

وہ چوٹی جس کے گوندھنے میں بال نیچے سے اوپر لے جائیں

मन्नत के बाल की चोटी

वह बाल या चोटी जो किसी बुज़ुर्ग के नाम पर कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं

सौ खोटों का वो सरदार , जिस की छाती एक न बाल

मशहूर है कि जिस की छाती पर बाल ना हूँ वो सख़्त दग़ाबाज़ होता है

नैन का नेह न टूटे, जैसे बेल बृछ को लिपटे, सूख जाए न छूटे

आँख लगाने के बाद मुहब्बत नहीं जाती जैसे बैल दरख़्त से लिपट जाती तो इस से अलग नहीं होती ख़ाह सूख जाये

नैन को नेह न टूटे, जैसे बेल बृछ को लिपटे, सूख जाए न छूटे

आँख लगाने के बाद मुहब्बत नहीं जाती जैसे बैल दरख़्त से लिपट जाती तो इस से अलग नहीं होती ख़ाह सूख जाये

छोटी मोटी कामनी सब ही बिस की बेल, बैरी मारे दाँव से ये मारें हँस खेल

स्त्रियों पर व्यंग है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में नैन को नेह न टूटे, जैसे बेल बृछ को लिपटे, सूख जाए न छूटे के अर्थदेखिए

नैन को नेह न टूटे, जैसे बेल बृछ को लिपटे, सूख जाए न छूटे

nain ko neh na TuuTe, jaise bel brichh ko lipTe, suukh jaa.e na chhuuTeنَین کو نیہ نَہ ٹُوٹے، جَیسے بیل بِرِچھ کو لِپٹے، سُوکھ جائے نَہ چُھوٹے

कहावत

नैन को नेह न टूटे, जैसे बेल बृछ को लिपटे, सूख जाए न छूटे के हिंदी अर्थ

  • आँख लगाने के बाद मुहब्बत नहीं जाती जैसे बैल दरख़्त से लिपट जाती तो इस से अलग नहीं होती ख़ाह सूख जाये

نَین کو نیہ نَہ ٹُوٹے، جَیسے بیل بِرِچھ کو لِپٹے، سُوکھ جائے نَہ چُھوٹے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • آنکھ لگانے کے بعد محبت نہیں جاتی جیسے بیل درخت سے لپٹ جاتی تو اس سے الگ نہیں ہوتی خواہ سوکھ جائے

Urdu meaning of nain ko neh na TuuTe, jaise bel brichh ko lipTe, suukh jaa.e na chhuuTe

  • Roman
  • Urdu

  • aa.nkh lagaane ke baad muhabbat nahii.n jaatii jaise bail daraKht se lipaT jaatii to is se alag nahii.n hotii Khaah suukh jaaye

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उल्टे बल की चोटी

وہ چوٹی جس کے گوندھنے میں بال نیچے سے اوپر لے جائیں

मन्नत के बाल की चोटी

वह बाल या चोटी जो किसी बुज़ुर्ग के नाम पर कुछ समय के लिए छोड़ देते हैं

सौ खोटों का वो सरदार , जिस की छाती एक न बाल

मशहूर है कि जिस की छाती पर बाल ना हूँ वो सख़्त दग़ाबाज़ होता है

नैन का नेह न टूटे, जैसे बेल बृछ को लिपटे, सूख जाए न छूटे

आँख लगाने के बाद मुहब्बत नहीं जाती जैसे बैल दरख़्त से लिपट जाती तो इस से अलग नहीं होती ख़ाह सूख जाये

नैन को नेह न टूटे, जैसे बेल बृछ को लिपटे, सूख जाए न छूटे

आँख लगाने के बाद मुहब्बत नहीं जाती जैसे बैल दरख़्त से लिपट जाती तो इस से अलग नहीं होती ख़ाह सूख जाये

छोटी मोटी कामनी सब ही बिस की बेल, बैरी मारे दाँव से ये मारें हँस खेल

स्त्रियों पर व्यंग है

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