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क्यूँ

किस अधिकार से। जैसे-तुमने यह फल क्यों तोड़ा ?

क्यूँकर

because, why

क्यूँ-कि

कारण यह कि, इसलिए कि, चूँकि

क्यूँ कि

because

क्यूँ न हो

शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो

क्यूँकि

कारण यह कि, इसलिए कि, चूँकि

क्यूँ जाता है

किस काम के लिए जाता है

क्यूँ साहब न कहोगे

हमने ऐसा काम किया कि शाबाशी चाहिए, फ़ख़्र के रूप में कहते हैं

क्यूँ वाही हुआ है

क्यों दिमाग़ ख़राब हुआ है

क्यूँ हत्या देता है

क्यों गुनाहगार करता है

मेरा पीछा क्यूँ लिया है

मुझे क्यूँ परेशान कर रखा है, मुझे क्यूँ दिक़ करता है

मेरा पेंडा क्यूँ लिया है

मुझे क्यूँ परेशान कर रखा है, मुझे क्यूँ दिक़ करता है

पूत सपूत तो क्यूँ संचे, पूत कपूत तो क्यूँ संचे

यदि बेटा अच्छा है तो उसके लिए रुपया जमा करने की आवश्यक्ता नहीं और यदि बुरा है तो भी आवश्यक्ता नहीं

आसमान पर क्यूँ ढेले फेंकता है

کیوں نا شکری کرتا ہے

पूत सपूत तो क्यूँ संचे

यदि बेटा अच्छा है तो उसके लिए रुपया जमा करने की आवश्यक्ता नहीं और यदि बुरा है तो भी आवश्यक्ता नहीं

मेरा पिंड क्यूँ लिया है

मुझे क्यूँ परेशान कर रखा है, मुझे क्यूँ दिक़ करता है

आप ने क्यूँ तकलीफ़ की

किसी निःसंकोच मित्र या साथी के बहुत दिन में सूरत दिखाने के अवसर पर उलाहना देने के लिए प्रयुक्त

मुई क्यूँ, साँस न आया

जब सांस ही न चले तो मृत्यु के अतिरिक्त और कौन सा चारा है

आसमान ज़मीन शक़्क़ क्यूँ नहीं हो जाते

کسی سخت صدمے، بے شرمی اور گناہ پر کہا جاتا ہے

मुई क्यूँ कि साँस न आया

जब सांस ही न चले तो मृत्यु के अतिरिक्त और कौन सा चारा है

गुड़ से मरे तो ज़हर उसे क्यूँ दे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

जड़ को पकड़ो, शाख़ों को क्यूँ पकड़ते हो

अस्ल मु'आमले को देखो बेकार बातों में क्यूँ पड़ते हो

अरबा' ज्यूँ का त्यूँ कुंबा डूबा क्यूँ

जहाँ हानि का कारण कुछ न मालूम हो, थोड़ा ज्ञान हानिकारक होता है

गुड़ दिए मरे तो ज़हर क्यूँ दीजे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

मीज़ान ज्यूँ का त्यूँ कुंबा डूबा क्यूँ

जहाँ हानि का कारण कुछ न मालूम हो, थोड़ा ज्ञान हानिकारक होता है

हिसाब जूँ का तूँ कुंबा डूबा क्यूँ

जहाँ हानि का कारण कुछ न मालूम हो, थोड़ा ज्ञान हानिकारक होता है

हिसाब ज्यूँ का त्यूँ कुंबा डूबा क्यूँ

जहाँ हानि का कारण कुछ न मालूम हो, थोड़ा ज्ञान हानिकारक होता है

आते जाते में न फँसी तो क्यूँ फँसारे कव्वे

جہاں کوئی عقلمند شخص کسی معاملہ میں پھنس جائے، اور معمولی بچ جائے تو کہتے ہیں

सख़ी से राह नहीं सूम से क्यूँ तोड़ियो

अगर अच्छे से मुलाक़ात नहीं तो बुरे से विरोध नहीं कुछ तो फ़ायदा हो ही रहेगा

माँगे ताँगे काम चले तो ब्याह क्यूँ करे

यदि आसानी से काम निकल जाए तो परिश्रम की क्या आवश्यक्ता है

जिस का आँडू बिके वह बधिया क्यूँ करे

जिस का काम हो रहा हो वह उस के लिए बिना-लाभ क्यूँ प्रयास करे

गधों से हल चलें तो बैल क्यूँ बिसाएँ

अगर नादानोन से हुनरमंद वन का काम निकले तो हुनरमंदों को कौन पूछे

करनी करे तो क्यूँ डरे, कर के क्यूँ पछताय, बोवे पेड़ बबूल के, आम कहाँ से खाय

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

क़ाज़ी जी दुबले क्यूँ, शहर का अंदेशा से

जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला

क़ाज़ी जी दुबले क्यूँ, शहर के अंदेशे से

जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला

क़ाज़ी जी क्यूँ दुबले, शहर के अंदेशा से

जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला

क़िस्मत न दे यारी तो क्यूँ कर करे फ़ौजदारी

अगर क़िस्मत साथ न दे तो सत्ता नहीं मिलती

जो गुड़ दिए से मरे उसे ज़हर क्यूँ दे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

क़ाज़ी जी तुम क्यूँ दुबले हो शहर के अंदेशे से

जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला

जिसे खाने को मिले यूँ, वो कमाने को जाए क्यूँ

जिसे परिश्रम के बिना सब कुछ कुछ मिले उसे परिश्रम करने की क्या आवश्यकता है

मानुस के साथ हाथ पाँव मानुस की सी काया, चार महीने बरखा बीती छप्पर क्यूँ नही छाया

ये वह दोहरा है जो बुए ने बंदर से कह कर अपना घोसला बर्बाद किराया था

लेप बहू दिवाली आई पूत बहू दिवाली आई, छेद छदाली माथे मारी क्यूँ सासू यही दिवाली थी

यह उन सासों पर व्यंग्य है जो अपनी बहुओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करतीं

यही भरोसा ठीक है कि दाता दे तो लूँ, औरों का कर आसरा जी तरसावे क्यूँ

किसी से अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए, ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए, ईश्वर पर आसरा करना चाहिए

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में क्यों कर के अर्थदेखिए

क्यों कर

kyo.n karکِیُوں کَر

क्यों कर के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, हिंदी - क्रिया-विशेषण

  • कैसे, क्यों, किस के लिए

English meaning of kyo.n kar

Persian, Hindi - Adverb

  • how, why, what for

کِیُوں کَر کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فارسی، ہندی - فعل متعلق

  • کیسے، کیوں، کس کے لئے

Urdu meaning of kyo.n kar

  • Roman
  • Urdu

  • kaise, kyon, kis ke li.e

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क्यूँ

किस अधिकार से। जैसे-तुमने यह फल क्यों तोड़ा ?

क्यूँकर

because, why

क्यूँ-कि

कारण यह कि, इसलिए कि, चूँकि

क्यूँ कि

because

क्यूँ न हो

शाबाश, क्या कहना, अवश्य, ज़रूर, वाह वाह, क्यों नहीं, ऐसा ज़रूर हो

क्यूँकि

कारण यह कि, इसलिए कि, चूँकि

क्यूँ जाता है

किस काम के लिए जाता है

क्यूँ साहब न कहोगे

हमने ऐसा काम किया कि शाबाशी चाहिए, फ़ख़्र के रूप में कहते हैं

क्यूँ वाही हुआ है

क्यों दिमाग़ ख़राब हुआ है

क्यूँ हत्या देता है

क्यों गुनाहगार करता है

मेरा पीछा क्यूँ लिया है

मुझे क्यूँ परेशान कर रखा है, मुझे क्यूँ दिक़ करता है

मेरा पेंडा क्यूँ लिया है

मुझे क्यूँ परेशान कर रखा है, मुझे क्यूँ दिक़ करता है

पूत सपूत तो क्यूँ संचे, पूत कपूत तो क्यूँ संचे

यदि बेटा अच्छा है तो उसके लिए रुपया जमा करने की आवश्यक्ता नहीं और यदि बुरा है तो भी आवश्यक्ता नहीं

आसमान पर क्यूँ ढेले फेंकता है

کیوں نا شکری کرتا ہے

पूत सपूत तो क्यूँ संचे

यदि बेटा अच्छा है तो उसके लिए रुपया जमा करने की आवश्यक्ता नहीं और यदि बुरा है तो भी आवश्यक्ता नहीं

मेरा पिंड क्यूँ लिया है

मुझे क्यूँ परेशान कर रखा है, मुझे क्यूँ दिक़ करता है

आप ने क्यूँ तकलीफ़ की

किसी निःसंकोच मित्र या साथी के बहुत दिन में सूरत दिखाने के अवसर पर उलाहना देने के लिए प्रयुक्त

मुई क्यूँ, साँस न आया

जब सांस ही न चले तो मृत्यु के अतिरिक्त और कौन सा चारा है

आसमान ज़मीन शक़्क़ क्यूँ नहीं हो जाते

کسی سخت صدمے، بے شرمی اور گناہ پر کہا جاتا ہے

मुई क्यूँ कि साँस न आया

जब सांस ही न चले तो मृत्यु के अतिरिक्त और कौन सा चारा है

गुड़ से मरे तो ज़हर उसे क्यूँ दे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

जड़ को पकड़ो, शाख़ों को क्यूँ पकड़ते हो

अस्ल मु'आमले को देखो बेकार बातों में क्यूँ पड़ते हो

अरबा' ज्यूँ का त्यूँ कुंबा डूबा क्यूँ

जहाँ हानि का कारण कुछ न मालूम हो, थोड़ा ज्ञान हानिकारक होता है

गुड़ दिए मरे तो ज़हर क्यूँ दीजे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

मीज़ान ज्यूँ का त्यूँ कुंबा डूबा क्यूँ

जहाँ हानि का कारण कुछ न मालूम हो, थोड़ा ज्ञान हानिकारक होता है

हिसाब जूँ का तूँ कुंबा डूबा क्यूँ

जहाँ हानि का कारण कुछ न मालूम हो, थोड़ा ज्ञान हानिकारक होता है

हिसाब ज्यूँ का त्यूँ कुंबा डूबा क्यूँ

जहाँ हानि का कारण कुछ न मालूम हो, थोड़ा ज्ञान हानिकारक होता है

आते जाते में न फँसी तो क्यूँ फँसारे कव्वे

جہاں کوئی عقلمند شخص کسی معاملہ میں پھنس جائے، اور معمولی بچ جائے تو کہتے ہیں

सख़ी से राह नहीं सूम से क्यूँ तोड़ियो

अगर अच्छे से मुलाक़ात नहीं तो बुरे से विरोध नहीं कुछ तो फ़ायदा हो ही रहेगा

माँगे ताँगे काम चले तो ब्याह क्यूँ करे

यदि आसानी से काम निकल जाए तो परिश्रम की क्या आवश्यक्ता है

जिस का आँडू बिके वह बधिया क्यूँ करे

जिस का काम हो रहा हो वह उस के लिए बिना-लाभ क्यूँ प्रयास करे

गधों से हल चलें तो बैल क्यूँ बिसाएँ

अगर नादानोन से हुनरमंद वन का काम निकले तो हुनरमंदों को कौन पूछे

करनी करे तो क्यूँ डरे, कर के क्यूँ पछताय, बोवे पेड़ बबूल के, आम कहाँ से खाय

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

क़ाज़ी जी दुबले क्यूँ, शहर का अंदेशा से

जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला

क़ाज़ी जी दुबले क्यूँ, शहर के अंदेशे से

जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला

क़ाज़ी जी क्यूँ दुबले, शहर के अंदेशा से

जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला

क़िस्मत न दे यारी तो क्यूँ कर करे फ़ौजदारी

अगर क़िस्मत साथ न दे तो सत्ता नहीं मिलती

जो गुड़ दिए से मरे उसे ज़हर क्यूँ दे

जो काम नरमी से निकले तो उस में सख़्ती क्यूँ की जाये अथवा मिठास से काम चल जाए तो सख़्ती क्यूँ की जाए

क़ाज़ी जी तुम क्यूँ दुबले हो शहर के अंदेशे से

जब कोई व्यक्ती किसी ऐसी बात की चिंता करे जिससे उसका किसी प्रकार का भी संबंध न हो, बिला वजह किसी की चिंता में रहने वाला

जिसे खाने को मिले यूँ, वो कमाने को जाए क्यूँ

जिसे परिश्रम के बिना सब कुछ कुछ मिले उसे परिश्रम करने की क्या आवश्यकता है

मानुस के साथ हाथ पाँव मानुस की सी काया, चार महीने बरखा बीती छप्पर क्यूँ नही छाया

ये वह दोहरा है जो बुए ने बंदर से कह कर अपना घोसला बर्बाद किराया था

लेप बहू दिवाली आई पूत बहू दिवाली आई, छेद छदाली माथे मारी क्यूँ सासू यही दिवाली थी

यह उन सासों पर व्यंग्य है जो अपनी बहुओं के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करतीं

यही भरोसा ठीक है कि दाता दे तो लूँ, औरों का कर आसरा जी तरसावे क्यूँ

किसी से अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए, ईश्वर पर भरोसा करना चाहिए, ईश्वर पर आसरा करना चाहिए

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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