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बाशद

क्या परवाह है, ऐसा हो सकता है, शायद! ऐसा ही हो

गाह-बाशद

कभी कभी ऐसा भी होता है, मुम्किन है, हो सकता है, इस वक़्त बोलते हैं जब कोई शख़्स ऐसी बात कहता है जिस की इस से तवक़्क़ो नहीं की जाती

हवा-बाशद

जो हवा में घुल गया हो

रवाना-बाशद

विदा हो जाना, चले जाना

ख़ाया-बाशद होना

(बाज़ारी) ख़ाक में मिल जाना, बर्बाद होना, जाता रहना, ग़ायब होजाना , चल देना

शायद कि बाशद

it may be so, perhaps it is

हर कसे कि बाशद

कोई शख़्स क्यों ना हो

जवाब-ए-जाहिलान-बाशद-ख़मोशी

جاہلوں کی بات کے جواب میں سکوت ہی بہتر ہے عقلمند جاہلوں کے من٘ھ نہیں لگتے.

ख़ैर-बाशद

ख़ैरीयत तो है ना, सब ठीक तो है ना, (किसी को परेशान देख कर पूछते हैं और दोस्तों से शिकायत के तौर पर भी कहते हैं)

सलामत-बाशद

तुम स्वस्थ रहो, ईश्वर तुमको सुरक्षित रखे

मुबारक-बाशद

मुबारक हो, नेक हो, अच्छा हो, बेहतर हो, ख़ुश करने वाला हो, मुबारक रहे

कसे-बाशद

कोई आदमी हो, कोई हो, कोई क्यों न हो, चाहे कोई हो

हर चे बर ख़रे बाशद मन पालानम

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) चाहे गधे पे कुछ हो में तो पालान हूँ , मुझे हरकिस-ओ-नाक्स से पाला पड़ता है , अपने काम से काम रखना चाहिए (ऐसे मौके़ पर कहा जाता है जब किसी को अपनी मंसबी मजबूरी के सबब ग़लत या हमाक़त का काम करना पड़ता है , जैसे : पालान के ऊपर अच्छा बुरा, क़ीमती सस्ता हर तरह का सामान लदा होता है

दरोग़ गो रा हाफ़िज़ा नमी बाशद

جھوٹے کا حافظہ درست نہیں ہوتا ، اسے یاد نہیں رہتا کہ پہلے کیا کہا ہے اور اب کیا کیا کہہ رہا ہے.

दरोग़ गो रा हाफ़िज़ा न बाशद

a liar has a bad memory

नक़्ल-ए-कुफ़्र कुफ़्र न बाशद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) ज़रूर न कुफ्र को दुहराना लायक़ इगरफ़त नहीं होता, ग़लत बात को दुहराने वाला क़सूरवार नहीं गिरदाना जा सकता, हवाले के लिए कुफ्र की नक़ल करने से नाक़ल काफ़िर नहीं हो जाता

वार-ए-मर्दां ख़ाली न बाशद

मर्दों का वार ख़ाली नहीं जाता, जवाँ मर्दों की ज़रब या हर्बा ख़ाली नहीं जाता, मर्दों का वार चूकता नहीं, कुछ ना कुछ असर करता है

रास्ती रा ज़वाल के बाशद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) सच्चाई को ज़वाल नहीं

गर ज़रूरत बुवद रवा बाशद

ज़रूरत के वक़्त सब कुछ जायज़ रवा है

दुश्मन चे कुनद चूँ मेहरबाँ बाशद दोस्त

दुश्मन क्या कर सकता है जब दोस्त मेहरबाँ हो

तेग़-ए-कज-रा-नियाम-कज-बाशद

टेढ़ी तलवार के लिए नयाम भी टेढ़ी होती है, (मुराद) जैसा आदमी ख़ुद होवे वैसे इस के दूत होते हैं

ख़्वाजा-ए-आनस्त कि बाशद ग़म-ए-ख़िदमत-गारश

مالک وہ ہے جسے اپنے نوکر کی فکرہو، نوکروں کا خیال رکھنا مالک کا فرض ہے .

हर्फ़-ए-बद बर ज़बान-ए-बद बाशद

بُرے کے منْھ سے بُری بات نکلتی ہے

शौक़ दर हर-दिल कि बाशद रहबरे दरकार नेस्त

फ़ारसी की कहावत उर्दू में प्रयुक्त, जिसको जिस चीज़ की रुचि होगी वो बिना किसी के बताए उसे सीखेगा रुचि वाले को मार्गदर्शक की आवश्यक्ता नहीं

हर बीशा गुमाँ मबर कि ख़ाली सत, शायद कि पिलंग ख़ुफ़्ता बाशद

(शेख़ सादी का शेअर उर्दू में बतौर कहावत मुस्तामल) हर जंगल को ख़ाली मत समझो शायद इस में चीता सोया हो , मुराद : आदमी को हर जगह होशयार रहना चाहिए, ख़तरे की तरफ़ से चौकन्ना रहना चाहिए , किसी शख़्स को नाकारा नहीं समझना चाहिए

हुनर ज़ादा बे हुनर चूँ बुवद, पिदर टर्रा बाशद पिसर टूँ बुवद

(फ़ारसी कहावत) बाप दादा का असर कुछ ना कुछ औलाद में ज़रूर आता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ख़ैर-बाशद के अर्थदेखिए

ख़ैर-बाशद

KHair-baashadخَیر باشَد

वज़्न : 2122

वाक्य

ख़ैर-बाशद के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी

  • ख़ैरीयत तो है ना, सब ठीक तो है ना, (किसी को परेशान देख कर पूछते हैं और दोस्तों से शिकायत के तौर पर भी कहते हैं)

शे'र

English meaning of KHair-baashad

Persian, Arabic

  • is everything all right? may all be well!

خَیر باشَد کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فارسی، عربی

  • خیریت تو ہے (کسی کو پریشان دیکھ کر پوچھتے ہیں اور شکایت دوستانہ کے موقع پر بھی کہتے ہیں)

Urdu meaning of KHair-baashad

  • Roman
  • Urdu

  • Khairiiyat to hai (kisii ko pareshaan dekh kar puuchhte hai.n aur shikaayat dostaana ke mauqaa par bhii kahte hai.n

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बाशद

क्या परवाह है, ऐसा हो सकता है, शायद! ऐसा ही हो

गाह-बाशद

कभी कभी ऐसा भी होता है, मुम्किन है, हो सकता है, इस वक़्त बोलते हैं जब कोई शख़्स ऐसी बात कहता है जिस की इस से तवक़्क़ो नहीं की जाती

हवा-बाशद

जो हवा में घुल गया हो

रवाना-बाशद

विदा हो जाना, चले जाना

ख़ाया-बाशद होना

(बाज़ारी) ख़ाक में मिल जाना, बर्बाद होना, जाता रहना, ग़ायब होजाना , चल देना

शायद कि बाशद

it may be so, perhaps it is

हर कसे कि बाशद

कोई शख़्स क्यों ना हो

जवाब-ए-जाहिलान-बाशद-ख़मोशी

جاہلوں کی بات کے جواب میں سکوت ہی بہتر ہے عقلمند جاہلوں کے من٘ھ نہیں لگتے.

ख़ैर-बाशद

ख़ैरीयत तो है ना, सब ठीक तो है ना, (किसी को परेशान देख कर पूछते हैं और दोस्तों से शिकायत के तौर पर भी कहते हैं)

सलामत-बाशद

तुम स्वस्थ रहो, ईश्वर तुमको सुरक्षित रखे

मुबारक-बाशद

मुबारक हो, नेक हो, अच्छा हो, बेहतर हो, ख़ुश करने वाला हो, मुबारक रहे

कसे-बाशद

कोई आदमी हो, कोई हो, कोई क्यों न हो, चाहे कोई हो

हर चे बर ख़रे बाशद मन पालानम

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) चाहे गधे पे कुछ हो में तो पालान हूँ , मुझे हरकिस-ओ-नाक्स से पाला पड़ता है , अपने काम से काम रखना चाहिए (ऐसे मौके़ पर कहा जाता है जब किसी को अपनी मंसबी मजबूरी के सबब ग़लत या हमाक़त का काम करना पड़ता है , जैसे : पालान के ऊपर अच्छा बुरा, क़ीमती सस्ता हर तरह का सामान लदा होता है

दरोग़ गो रा हाफ़िज़ा नमी बाशद

جھوٹے کا حافظہ درست نہیں ہوتا ، اسے یاد نہیں رہتا کہ پہلے کیا کہا ہے اور اب کیا کیا کہہ رہا ہے.

दरोग़ गो रा हाफ़िज़ा न बाशद

a liar has a bad memory

नक़्ल-ए-कुफ़्र कुफ़्र न बाशद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) ज़रूर न कुफ्र को दुहराना लायक़ इगरफ़त नहीं होता, ग़लत बात को दुहराने वाला क़सूरवार नहीं गिरदाना जा सकता, हवाले के लिए कुफ्र की नक़ल करने से नाक़ल काफ़िर नहीं हो जाता

वार-ए-मर्दां ख़ाली न बाशद

मर्दों का वार ख़ाली नहीं जाता, जवाँ मर्दों की ज़रब या हर्बा ख़ाली नहीं जाता, मर्दों का वार चूकता नहीं, कुछ ना कुछ असर करता है

रास्ती रा ज़वाल के बाशद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) सच्चाई को ज़वाल नहीं

गर ज़रूरत बुवद रवा बाशद

ज़रूरत के वक़्त सब कुछ जायज़ रवा है

दुश्मन चे कुनद चूँ मेहरबाँ बाशद दोस्त

दुश्मन क्या कर सकता है जब दोस्त मेहरबाँ हो

तेग़-ए-कज-रा-नियाम-कज-बाशद

टेढ़ी तलवार के लिए नयाम भी टेढ़ी होती है, (मुराद) जैसा आदमी ख़ुद होवे वैसे इस के दूत होते हैं

ख़्वाजा-ए-आनस्त कि बाशद ग़म-ए-ख़िदमत-गारश

مالک وہ ہے جسے اپنے نوکر کی فکرہو، نوکروں کا خیال رکھنا مالک کا فرض ہے .

हर्फ़-ए-बद बर ज़बान-ए-बद बाशद

بُرے کے منْھ سے بُری بات نکلتی ہے

शौक़ दर हर-दिल कि बाशद रहबरे दरकार नेस्त

फ़ारसी की कहावत उर्दू में प्रयुक्त, जिसको जिस चीज़ की रुचि होगी वो बिना किसी के बताए उसे सीखेगा रुचि वाले को मार्गदर्शक की आवश्यक्ता नहीं

हर बीशा गुमाँ मबर कि ख़ाली सत, शायद कि पिलंग ख़ुफ़्ता बाशद

(शेख़ सादी का शेअर उर्दू में बतौर कहावत मुस्तामल) हर जंगल को ख़ाली मत समझो शायद इस में चीता सोया हो , मुराद : आदमी को हर जगह होशयार रहना चाहिए, ख़तरे की तरफ़ से चौकन्ना रहना चाहिए , किसी शख़्स को नाकारा नहीं समझना चाहिए

हुनर ज़ादा बे हुनर चूँ बुवद, पिदर टर्रा बाशद पिसर टूँ बुवद

(फ़ारसी कहावत) बाप दादा का असर कुछ ना कुछ औलाद में ज़रूर आता है

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