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बबूल

एक प्रकार का कँटीला वृक्ष जिसकी लकड़ी कठोर और बहुत मज़बूत होती है तथा जिसके फल, पत्तियाँ, गोंद आदि दवा के काम आते हैं, कीकर

बबूला

तेज हवा की वह अवस्था जिसमें वह घेरा बाँधकर चक्कर लगाती हुई तथा ऊपर उठती हुई आगे बढ़ती है, एक ही स्थान पर चक्कर काटने वाली तेज़ हवा या आँधी, बवंडर

बबूल के पेड़ बोना

बुरे और ग़लत काम करना

पस्सी-बबूल

एक प्रकार का बढ़िया कलमी बबूल का वृक्ष जिसके फूलों से कई प्रकार के सुगंधित द्रव्य बनाये जाते हैं

बेल, बबूल, ख़ाक और धूल

बेल और बबूल दोंनों बहुत कँटीले होते हैं

बेल का मारा बबूल तले और बबूल का मारा बेल तले

बड़ाबद बख़्त है जहां जाता है नुक़्सान उठाता है

अंडे बबूल में, बच्चे खजूर में

कोई चीज़ कहीं है कोई कहीं, एक भी ठिकाने से नहीं

सुर्ग से उतरा बबूल में अटका

आसमान से गिरा खजूर में अटका

आसमान से गिरा बबूल में अटका

एस समस्या से निकलते ही दूसरे समस्या में फँस गया, एक मुसीबत से निकलते ही दूसरे मुसीबत में फँस गया, एक रुकावट दूर हुई थी कि दूसरी रुकावट घटित होगई

दरख़्त बोए थे आम के , हो गए बबूल

जब नफ़ाह की उम्मीद पर काम करने से नुक़्सान होजाए तो कहते हैं

ढाई दरख़्त बबूल के , मियाँ बाग़ में बैठे हैं

रुक : ढाई पेड़ बकाइन के अलख

काँटे बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

बुरा काम करके भलाई की आशा रखना, फ़ुज़ूल और मुर्खतापूर्ण क्रिया है, जैसा बोओगे वैसा काटोगे, जौ बोओ गे तो गेहूं कैसे काटोगे, जौ बोओगे तो जौ ही काटोगे

पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

बुरे कर्म का परिणाम बुरा होता है, बुरे काम का नतीजा बुरा

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए के अर्थदेखिए

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

karnii kare to kyu.n kare aur karke pachhtaa.e, pe.D bo.e babuul ke to aam kahaa.n se khaa.eکرنی کرے تو کیوں کرے اور کر کے پچھتائے، پیڑ بوئے ببول کے تو آم کہاں سے کھائے

अथवा : करनी करे तो क्यूँ डरे, कर के क्यूँ पछताय, बोवे पेड़ बबूल के, आम कहाँ से खाय

कहावत

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए के हिंदी अर्थ

  • जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए
  • जैसा काम करोगे वैसा प्रिणाम निकलेगा, बबूल बो कर आम नहीं प्राप्त हो सकते
  • बुरे काम का परिणाम तो भोगना ही पड़ेगा, उसके लिए पछताने से क्या होता है

کرنی کرے تو کیوں کرے اور کر کے پچھتائے، پیڑ بوئے ببول کے تو آم کہاں سے کھائے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جو بات کرنی چاہو کرو ڈرو نہیں اور کر کے پھر پچھتانا نہیں چاہیے
  • جیسا کام کرو گے ویسا نتیجہ نکلے گا، ببول بو کر آم نہیں حاصل ہو سکتے
  • برے کام کا انجام تو جھیلنا ہی پڑے گا، اس کے لئے پچھتانے سے کیا ہوتا ہے

Urdu meaning of karnii kare to kyu.n kare aur karke pachhtaa.e, pe.D bo.e babuul ke to aam kahaa.n se khaa.e

  • Roman
  • Urdu

  • jo baat karnii chaaho karo Daro nahii.n aur kar ke phir pachhtaanaa nahii.n chaahi.e
  • jaisaa kaam karoge vaisaa natiija niklegaa, babuul buu kar aam nahii.n haasil ho sakte
  • bure kaam ka anjaam to jhelnaa hii pa.Degaa, is ke li.e pachhtaane se kiya hotaa hai

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बबूल

एक प्रकार का कँटीला वृक्ष जिसकी लकड़ी कठोर और बहुत मज़बूत होती है तथा जिसके फल, पत्तियाँ, गोंद आदि दवा के काम आते हैं, कीकर

बबूला

तेज हवा की वह अवस्था जिसमें वह घेरा बाँधकर चक्कर लगाती हुई तथा ऊपर उठती हुई आगे बढ़ती है, एक ही स्थान पर चक्कर काटने वाली तेज़ हवा या आँधी, बवंडर

बबूल के पेड़ बोना

बुरे और ग़लत काम करना

पस्सी-बबूल

एक प्रकार का बढ़िया कलमी बबूल का वृक्ष जिसके फूलों से कई प्रकार के सुगंधित द्रव्य बनाये जाते हैं

बेल, बबूल, ख़ाक और धूल

बेल और बबूल दोंनों बहुत कँटीले होते हैं

बेल का मारा बबूल तले और बबूल का मारा बेल तले

बड़ाबद बख़्त है जहां जाता है नुक़्सान उठाता है

अंडे बबूल में, बच्चे खजूर में

कोई चीज़ कहीं है कोई कहीं, एक भी ठिकाने से नहीं

सुर्ग से उतरा बबूल में अटका

आसमान से गिरा खजूर में अटका

आसमान से गिरा बबूल में अटका

एस समस्या से निकलते ही दूसरे समस्या में फँस गया, एक मुसीबत से निकलते ही दूसरे मुसीबत में फँस गया, एक रुकावट दूर हुई थी कि दूसरी रुकावट घटित होगई

दरख़्त बोए थे आम के , हो गए बबूल

जब नफ़ाह की उम्मीद पर काम करने से नुक़्सान होजाए तो कहते हैं

ढाई दरख़्त बबूल के , मियाँ बाग़ में बैठे हैं

रुक : ढाई पेड़ बकाइन के अलख

काँटे बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

बुरा काम करके भलाई की आशा रखना, फ़ुज़ूल और मुर्खतापूर्ण क्रिया है, जैसा बोओगे वैसा काटोगे, जौ बोओ गे तो गेहूं कैसे काटोगे, जौ बोओगे तो जौ ही काटोगे

पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

बुरे कर्म का परिणाम बुरा होता है, बुरे काम का नतीजा बुरा

करनी करे तो क्यूँ करे और करके पछताए, पेड़ बोए बबूल के तो आम कहाँ से खाए

जो बात करनी चाहो करो डरो नहीं और कर के फिर पछताना नहीं चाहिए

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