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"कम-बख़्ती जब आवे ऊँट चढ़े को कुत्ता काटे" शब्द से संबंधित परिणाम

आवे

आवा का बहुवचन या परिवर्तित रुप यौगिकों में प्रयुक्त, कुम्हार की भट्ठी जिसमें कच्चे बर्तन पकाए जाते हैं

आवेगी

आवेग संबंधी

आवे ही आवे

अत्यावश्यक रूप से आएगा, (इस का) आना निश्चित है, इस के ना आने का अनुमान भी नहीं किया जा सकता

आवे का आवा ख़राब है

सारा ख़ानदान या पूरा जत्था किसी बुराई में समान रूप से ग्रसित है, संपूर्ण वंश या पूरा समूह समान रूप से किसी बुराई में संलिप्त होना

आवे न जावे बृहस्पत कहलावे

आता-जाता कुछ नहीं और योग्य प्रसिद्ध है

आवे हाथी की चाल , जावे च्यूँटी की चाल

रोग आते देर नहीं लगती और जाता देर में है

आवे में नाँद खो गई

स्पष्ट रूप से विश्वासघात किया और स्पष्टीकरण से आरोप का खंडन करना चाहता है

आवे में चढ़ाना

पकाने के लिए बर्तनों या ईंटों को आवे में चुनना

आवे की तरह बिठाना

नष्ट कर देना, किसी काम का न रहना

आवे का आवा बिगड़ना

पुरे परिवार या समूह आदि का किसी बुराई में समान रूप से लिप्त होना

आवे की तरह बैठना

आवे की तरह बिठाना का अकर्मक

आवे का आवा

पूरा परिवार, पूरा समूह, सारा ख़ानदान, पूरा जत्था या गिरोह, सब के सब

जिस के देखे तप आवे , वही मोहे ब्याहन आवे

जिस से नफ़रत हो इसी से बाला बड़े तो कहते हैं

कुछ आवे न जावे

अयोग्य है, निकम्मा है, काम से परिचित नहीं

एक आवे के बर्तन हैं

सब एक प्रकार के हैं, एक ही हाथ के बने हैं, सब के गुण एक ही प्रकार के हैं, सब एक ही परिवार और समूह के हैं

गाए न आवे बछवे लाज

अपने बच्चे कितने भी कुरूप हों बुरे नहीं लगते

साख गए फिर हाथ न आवे

एतबार एक दफ़ा जाता है तो फिर नहीं आता

बित्ती आवे

एक शर्त जो बत्ती के खिलाड़ी आपस में बदलीते हैं कि जब रास्ते में एक लहलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को ग़ाफ़िल पा कर बत्ती आवे कि दे तो उसे इस चौक के ख़मयाज़े में दो उंगलीयों से पुश्ते दस्त पर ज़रब लगवानी पड़ती है

सलक-आवे

घिसट कर या सरक कर आवे, रेंग कर आवे

ओनामासी न आवे, मैया पोथी ला दे

अ ब आती नहीं माँ को कहे किताब ला दे , पढ़े लिखे हैं नहीं किताब माँगते हैं

देखे को बोरिया और आवे पाँवों पैर

मालूम तो पागल हो मगर अपने मतलब का पक्का हो (दीवाना बकार-ए-ख़ेश होशियार)

कमाउ आवे डरता निकट्ठो आवे लड़ता

कमाने वाला शरीफ़ होता है और लड़ाई झगड़े से डरता है मगर निकम्मा शरीर और लड़ाका हुआ करता है

डोम के घर ब्याह, मन आवे सो गा

दूसरी जगह जो भी अनुरोध हो गाना पड़ता है परंतु अपने घर में जो चाहो करो, अपने घर में सभी व्यक्ति अपनी इच्छा के मालिक होते हैं और जो चाहे कर सकते हैं

हल्दी लगी न फिटकरी रंग चोखा आवे

रुक : हल्दी लगे ना फटकरी रंग भी चौखा अलख

लिखना आवे न पढ़ना आवे , मोहम्मद फ़ाज़िल नाम बतावे

ऐसे शख़्स के मुताल्लिक़ कहते हैं जो आलिमाना वज़ा रखे और पढ़ा लिखा ना हो

भोरे भुलाए साँझ घरे आवे ओ भुलेल न कहलावे

सुबह का भोला शाम को घर आ जाये तो उसे भोला नहीं कहना चाहीए

मर मर डोम गीत गावे, दतार को हँसी आवे

ना अहल की क़दर नहीं होती

कौन किसी के आवे जावे दाना-पानी लावे

अतिथि भाग्य से आता है, जहाँ का दाना-पानी लिखा होता है वहीं जाता है

राजा बुलावे ठारी आवे

राजा बुलाए तो जल्दी आता है हाकिम या ज़बरदस्त बुलाए तो लोग फ़ौरन आजाते हैं, हाकिम के हुक्म की बजा आवरी करनी ही पड़ती है

राजा बुलावे ठारा आवे

राजा बुलाए तो जल्दी आता है हाकिम या ज़बरदस्त बुलाए तो लोग फ़ौरन आजाते हैं, हाकिम के हुक्म की बजा आवरी करनी ही पड़ती है

छकड़ा देखे थकाई आवे

راحت کا سامان دیکھ کر انسان آرام طلب ہو جاتا ہے

राजा बुलावे ठाड़े आवे

राजा बुलाए तो जल्दी आता है हाकिम या ज़बरदस्त बुलाए तो लोग फ़ौरन आजाते हैं, हाकिम के हुक्म की बजा आवरी करनी ही पड़ती है

मिल जुल कीजिए काज जीते हारे न आवे लाज

जो काम सब के सलाह मश्वरे से हो अगर इस में नाकामी भी हो, किसी पर इल्ज़ाम नहीं आता

लिखना आवे नहीं, मिटावें दोनों हाथ

काम करते नहीं बिगाड़ते हैं अथवा काम करना नहीं जानते बिगाड़ना जानते हैं

मिल जुल करते रहिए काज जीते हारे न आवे लाज

जो काम सब के सलाह मश्वरे से हो अगर इस में नाकामी भी हो, किसी पर इल्ज़ाम नहीं आता

यारी-आवे

(इतफ़ा क़ुल) जो चीज़ खा रहे हो उसमें से भाग्य प्राप्त हो, हमारा साझा दो मित्रता का अधिकार दो

हाथी अपनी हथयाई पर आवे तो आदमी भुंगा है

हाथी अगर अपनी ताक़त का इस्तिमाल करे तो आदमी इस के आगे क्या चीज़ है, ज़बरदस्त अगर किसी को तंग करना चाहे तो कमज़ोर कुछ नहीं करसकता

जो बाँडी में होगा वो डोई में आवेगा

जो बात दिल में है वो कभी ना कभा ज़बान से निकल ही पड़ेगी

कमाऊ आवे डरता निखट्टू आवे लड़ता

कमाने वाला आम तौर पर शरीफ़ और सीधा होता है, और लड़ाई झगड़े से डरता है, निखट्टू् लड़ भिड़ कर रोब डालता है

गिन गिन आवे टूटा पावे

बहुत होशयारी भी आख़िर को नुक़्सान का बाइस होती है , जो नुक़्सान होना होता है हो कर रहता है ख़ाह कितनी ही एहतियात करो, बावजूद बहुत एहतियात के भी नुक़्सान होता है

आस करे तो पास आवे

जब कुछ उम्मीद हो तो आज्ञा का पालन करे

गिन गिन आवे टूटा जावे

बहुत होशयारी भी आख़िर को नुक़्सान का बाइस होती है , जो नुक़्सान होना होता है हो कर रहता है ख़ाह कितनी ही एहतियात करो, बावजूद बहुत एहतियात के भी नुक़्सान होता है

सच्ची बात जो कहे , बहुत के दिल से उतर से उतर आवे

सच्चे आदमी से कोई ख़ुश नहीं होता

सात पाँच मिल कीजिये काज , हारे जीते न आवे लाज

सलाह मश्वरे से काम क्यू जाये तो नाकामी के बाद भी शर्मिंदगी उठाना नहीं पड़ती क्योंकि हार जीत में सभी शामिल होते हैं

गधा मक्के से फिर आवे वो हाजी नहीं हो जाता

ये कहावत शेख़ सादी के इस शेअर का तर्जुमा है : ख़र ईसा अगर ये मक्का रौद जो बयाबद हनूज़ ख़र बाशद

पैसा आवे पैसा जावे , लोग नफ़ा' में रोटी खावें

रुपया पैसा खाने पीने की चीज़ नहीं लेकिन खाना पीना उन से मुहय्या होता है

दाम आवे काम

रुपया बचाया जाए तो समय पर काम आता है, रुपया बहुत लाभदायक होता है

खावे तो आवे

कुछ आशा हो तो आज्ञा का पालन करे, लाभ की आशा हो तभी कोई किसी के पास आता है

हाँडी में जो हो सो वही डोई में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

फ़ज्र का भूला शाम को घर आवे तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति बिना कारण अनुचित काम करे और फिर उससे आलग हो जाए तो उस पर गुनाह साबित नहीं होता

ये जवानी मुझे न भावे, सींग डलावे हँसी आवे

यह जवानी मुझे अच्छी नहीं लगती कि सींग मारने पर हँसी आए, साधारण सी बातों पर हंसना अच्छी बात नहीं

हाँडी में जो हो सो वही चमची में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

मियाँ आवे 'अली 'अली , फूल बखेरों गली गली

रुक : मियां आवे दौरों से अलख

बावा आवे ताली बाजे

बुज़ुर्ग आए तो ख़ुदबख़ुद शहरा होता है

लाड में आवे ककड़ी बल बल जावे कव्वा

रुक: जैसी रूह सीसे फ़रिश्ते

उत औखद कुछ काम न आवे, मौत पकड़ जी जिस का लेवे

मौत का कोई उपचार नहींं, मौत के आगे छोटे-बड़े किसी की नहीं चलती

कमबख़्ती जो आवे, ऊँट चढ़े को कुत्ता काटे

कभी बावजूद एहतियात के भी आदमी मुसीबत में गिरफ़्तार हो जाता है

सुब्ह का बिछड़ा शाम को आवे तो बिछड़ा न जानिए

अगर कोई व्यक्ति गुनाहों से तौबा कर ले तो ग़नीमत है, अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और रास्ते पर आ जाए तो क्षमा के योग्य है

जैसा देवे वैसा पावे , पूत बिठार के आगे आवे

जैसा कोई दूसरों के साथ सुलूक करे वैसा इस के ख़ानदान के साथ होता है

मियाँ आवे दाैड़ के , दुश्मन की छाती तोड़ के

रुक : मियां आवे दौरों से अलख

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कम-बख़्ती जब आवे ऊँट चढ़े को कुत्ता काटे के अर्थदेखिए

कम-बख़्ती जब आवे ऊँट चढ़े को कुत्ता काटे

kam-baKHtii jab aave uu.nT cha.Dhe ko kuttaa kaaTeکَم بَخْتی جب آوے اُونٹ چَڑھے کو کُتّا کاٹے

कहावत

कम-बख़्ती जब आवे ऊँट चढ़े को कुत्ता काटे के हिंदी अर्थ

  • कठिनाई के समय में बहुत ज़्यादा चौकन्ना रहने पर भी तकलीफ़ से नहीं बच सकते

English meaning of kam-baKHtii jab aave uu.nT cha.Dhe ko kuttaa kaaTe

  • there is no remedy against misfortune

کَم بَخْتی جب آوے اُونٹ چَڑھے کو کُتّا کاٹے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • سختی کے دنوں میں ہزار خبرداری کرنے پر بھی اذیّت سے نہیں بچ سکتے

Urdu meaning of kam-baKHtii jab aave uu.nT cha.Dhe ko kuttaa kaaTe

  • Roman
  • Urdu

  • saKhtii ke dino.n me.n hazaar Khabardaarii karne par bhii aziiXyat se nahii.n bach sakte

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आवे

आवा का बहुवचन या परिवर्तित रुप यौगिकों में प्रयुक्त, कुम्हार की भट्ठी जिसमें कच्चे बर्तन पकाए जाते हैं

आवेगी

आवेग संबंधी

आवे ही आवे

अत्यावश्यक रूप से आएगा, (इस का) आना निश्चित है, इस के ना आने का अनुमान भी नहीं किया जा सकता

आवे का आवा ख़राब है

सारा ख़ानदान या पूरा जत्था किसी बुराई में समान रूप से ग्रसित है, संपूर्ण वंश या पूरा समूह समान रूप से किसी बुराई में संलिप्त होना

आवे न जावे बृहस्पत कहलावे

आता-जाता कुछ नहीं और योग्य प्रसिद्ध है

आवे हाथी की चाल , जावे च्यूँटी की चाल

रोग आते देर नहीं लगती और जाता देर में है

आवे में नाँद खो गई

स्पष्ट रूप से विश्वासघात किया और स्पष्टीकरण से आरोप का खंडन करना चाहता है

आवे में चढ़ाना

पकाने के लिए बर्तनों या ईंटों को आवे में चुनना

आवे की तरह बिठाना

नष्ट कर देना, किसी काम का न रहना

आवे का आवा बिगड़ना

पुरे परिवार या समूह आदि का किसी बुराई में समान रूप से लिप्त होना

आवे की तरह बैठना

आवे की तरह बिठाना का अकर्मक

आवे का आवा

पूरा परिवार, पूरा समूह, सारा ख़ानदान, पूरा जत्था या गिरोह, सब के सब

जिस के देखे तप आवे , वही मोहे ब्याहन आवे

जिस से नफ़रत हो इसी से बाला बड़े तो कहते हैं

कुछ आवे न जावे

अयोग्य है, निकम्मा है, काम से परिचित नहीं

एक आवे के बर्तन हैं

सब एक प्रकार के हैं, एक ही हाथ के बने हैं, सब के गुण एक ही प्रकार के हैं, सब एक ही परिवार और समूह के हैं

गाए न आवे बछवे लाज

अपने बच्चे कितने भी कुरूप हों बुरे नहीं लगते

साख गए फिर हाथ न आवे

एतबार एक दफ़ा जाता है तो फिर नहीं आता

बित्ती आवे

एक शर्त जो बत्ती के खिलाड़ी आपस में बदलीते हैं कि जब रास्ते में एक लहलाड़ी दूसरे खिलाड़ी को ग़ाफ़िल पा कर बत्ती आवे कि दे तो उसे इस चौक के ख़मयाज़े में दो उंगलीयों से पुश्ते दस्त पर ज़रब लगवानी पड़ती है

सलक-आवे

घिसट कर या सरक कर आवे, रेंग कर आवे

ओनामासी न आवे, मैया पोथी ला दे

अ ब आती नहीं माँ को कहे किताब ला दे , पढ़े लिखे हैं नहीं किताब माँगते हैं

देखे को बोरिया और आवे पाँवों पैर

मालूम तो पागल हो मगर अपने मतलब का पक्का हो (दीवाना बकार-ए-ख़ेश होशियार)

कमाउ आवे डरता निकट्ठो आवे लड़ता

कमाने वाला शरीफ़ होता है और लड़ाई झगड़े से डरता है मगर निकम्मा शरीर और लड़ाका हुआ करता है

डोम के घर ब्याह, मन आवे सो गा

दूसरी जगह जो भी अनुरोध हो गाना पड़ता है परंतु अपने घर में जो चाहो करो, अपने घर में सभी व्यक्ति अपनी इच्छा के मालिक होते हैं और जो चाहे कर सकते हैं

हल्दी लगी न फिटकरी रंग चोखा आवे

रुक : हल्दी लगे ना फटकरी रंग भी चौखा अलख

लिखना आवे न पढ़ना आवे , मोहम्मद फ़ाज़िल नाम बतावे

ऐसे शख़्स के मुताल्लिक़ कहते हैं जो आलिमाना वज़ा रखे और पढ़ा लिखा ना हो

भोरे भुलाए साँझ घरे आवे ओ भुलेल न कहलावे

सुबह का भोला शाम को घर आ जाये तो उसे भोला नहीं कहना चाहीए

मर मर डोम गीत गावे, दतार को हँसी आवे

ना अहल की क़दर नहीं होती

कौन किसी के आवे जावे दाना-पानी लावे

अतिथि भाग्य से आता है, जहाँ का दाना-पानी लिखा होता है वहीं जाता है

राजा बुलावे ठारी आवे

राजा बुलाए तो जल्दी आता है हाकिम या ज़बरदस्त बुलाए तो लोग फ़ौरन आजाते हैं, हाकिम के हुक्म की बजा आवरी करनी ही पड़ती है

राजा बुलावे ठारा आवे

राजा बुलाए तो जल्दी आता है हाकिम या ज़बरदस्त बुलाए तो लोग फ़ौरन आजाते हैं, हाकिम के हुक्म की बजा आवरी करनी ही पड़ती है

छकड़ा देखे थकाई आवे

راحت کا سامان دیکھ کر انسان آرام طلب ہو جاتا ہے

राजा बुलावे ठाड़े आवे

राजा बुलाए तो जल्दी आता है हाकिम या ज़बरदस्त बुलाए तो लोग फ़ौरन आजाते हैं, हाकिम के हुक्म की बजा आवरी करनी ही पड़ती है

मिल जुल कीजिए काज जीते हारे न आवे लाज

जो काम सब के सलाह मश्वरे से हो अगर इस में नाकामी भी हो, किसी पर इल्ज़ाम नहीं आता

लिखना आवे नहीं, मिटावें दोनों हाथ

काम करते नहीं बिगाड़ते हैं अथवा काम करना नहीं जानते बिगाड़ना जानते हैं

मिल जुल करते रहिए काज जीते हारे न आवे लाज

जो काम सब के सलाह मश्वरे से हो अगर इस में नाकामी भी हो, किसी पर इल्ज़ाम नहीं आता

यारी-आवे

(इतफ़ा क़ुल) जो चीज़ खा रहे हो उसमें से भाग्य प्राप्त हो, हमारा साझा दो मित्रता का अधिकार दो

हाथी अपनी हथयाई पर आवे तो आदमी भुंगा है

हाथी अगर अपनी ताक़त का इस्तिमाल करे तो आदमी इस के आगे क्या चीज़ है, ज़बरदस्त अगर किसी को तंग करना चाहे तो कमज़ोर कुछ नहीं करसकता

जो बाँडी में होगा वो डोई में आवेगा

जो बात दिल में है वो कभी ना कभा ज़बान से निकल ही पड़ेगी

कमाऊ आवे डरता निखट्टू आवे लड़ता

कमाने वाला आम तौर पर शरीफ़ और सीधा होता है, और लड़ाई झगड़े से डरता है, निखट्टू् लड़ भिड़ कर रोब डालता है

गिन गिन आवे टूटा पावे

बहुत होशयारी भी आख़िर को नुक़्सान का बाइस होती है , जो नुक़्सान होना होता है हो कर रहता है ख़ाह कितनी ही एहतियात करो, बावजूद बहुत एहतियात के भी नुक़्सान होता है

आस करे तो पास आवे

जब कुछ उम्मीद हो तो आज्ञा का पालन करे

गिन गिन आवे टूटा जावे

बहुत होशयारी भी आख़िर को नुक़्सान का बाइस होती है , जो नुक़्सान होना होता है हो कर रहता है ख़ाह कितनी ही एहतियात करो, बावजूद बहुत एहतियात के भी नुक़्सान होता है

सच्ची बात जो कहे , बहुत के दिल से उतर से उतर आवे

सच्चे आदमी से कोई ख़ुश नहीं होता

सात पाँच मिल कीजिये काज , हारे जीते न आवे लाज

सलाह मश्वरे से काम क्यू जाये तो नाकामी के बाद भी शर्मिंदगी उठाना नहीं पड़ती क्योंकि हार जीत में सभी शामिल होते हैं

गधा मक्के से फिर आवे वो हाजी नहीं हो जाता

ये कहावत शेख़ सादी के इस शेअर का तर्जुमा है : ख़र ईसा अगर ये मक्का रौद जो बयाबद हनूज़ ख़र बाशद

पैसा आवे पैसा जावे , लोग नफ़ा' में रोटी खावें

रुपया पैसा खाने पीने की चीज़ नहीं लेकिन खाना पीना उन से मुहय्या होता है

दाम आवे काम

रुपया बचाया जाए तो समय पर काम आता है, रुपया बहुत लाभदायक होता है

खावे तो आवे

कुछ आशा हो तो आज्ञा का पालन करे, लाभ की आशा हो तभी कोई किसी के पास आता है

हाँडी में जो हो सो वही डोई में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

फ़ज्र का भूला शाम को घर आवे तो उसे भूला नहीं कहते

अगर कोई व्यक्ति बिना कारण अनुचित काम करे और फिर उससे आलग हो जाए तो उस पर गुनाह साबित नहीं होता

ये जवानी मुझे न भावे, सींग डलावे हँसी आवे

यह जवानी मुझे अच्छी नहीं लगती कि सींग मारने पर हँसी आए, साधारण सी बातों पर हंसना अच्छी बात नहीं

हाँडी में जो हो सो वही चमची में आवे है

जो दिल में होता है वही ज़बान पर आता है, दिल की बात मुँह से निकल ही जाती है , बात ज़ाहिर हो कर रहती है

मियाँ आवे 'अली 'अली , फूल बखेरों गली गली

रुक : मियां आवे दौरों से अलख

बावा आवे ताली बाजे

बुज़ुर्ग आए तो ख़ुदबख़ुद शहरा होता है

लाड में आवे ककड़ी बल बल जावे कव्वा

रुक: जैसी रूह सीसे फ़रिश्ते

उत औखद कुछ काम न आवे, मौत पकड़ जी जिस का लेवे

मौत का कोई उपचार नहींं, मौत के आगे छोटे-बड़े किसी की नहीं चलती

कमबख़्ती जो आवे, ऊँट चढ़े को कुत्ता काटे

कभी बावजूद एहतियात के भी आदमी मुसीबत में गिरफ़्तार हो जाता है

सुब्ह का बिछड़ा शाम को आवे तो बिछड़ा न जानिए

अगर कोई व्यक्ति गुनाहों से तौबा कर ले तो ग़नीमत है, अगर आदमी ग़लती के बाद उसे महसूस करे और रास्ते पर आ जाए तो क्षमा के योग्य है

जैसा देवे वैसा पावे , पूत बिठार के आगे आवे

जैसा कोई दूसरों के साथ सुलूक करे वैसा इस के ख़ानदान के साथ होता है

मियाँ आवे दाैड़ के , दुश्मन की छाती तोड़ के

रुक : मियां आवे दौरों से अलख

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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