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फ़हीम

बुद्धिमान,अक्लमंद, समझदार, विवेकी

फ़हीम-ओ-सलीम

عقلمند اور صائب الرائے ، ہوشیار اور نیک.

कमावें मियाँ ख़ान-ए-ख़ानाँ उड़ावें मियाँ फ़हीम

दौलत कोई कमाए ओर ख़र्च कोई करे, फ़हीम ख़ानख़ाना का ग़ुलाम था, और बहुत दानी था

कमावें ख़ान-ए-ख़ानाँ उड़ावें मियाँ फ़हीम

कमाए कोई और उसे उड़ाए कोई और दूसरे के माल पर गलच्छ्াरे उड़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

ख़ान-ए-ख़ानाँ की कमाई मियाँ फ़हीम ने उड़ाई

उस अवसर पर बोलते हैं जब पराया माल अंधाधुंध ख़र्च किया जाए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ के अर्थदेखिए

जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ

jis ghar baDe na buujhe.n diipak jale na saa.njh, vo ghar uja.D jaa.e.n ge jin kii triyaa baa.njhجِس گھر بَڈے نَہ بُوجھیں دِیپَکْ جَلے نَہ سانجھ، وہ گَھر اُجَڑ جائیں گے جِن کی تِرْیا بانجھ

अथवा : जिस घर बड़े न बूझिए दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जानिए जिन की त्रिया बाँझ

कहावत

जिस घर बडे न बूझें दीपक जले न साँझ, वो घर उजड़ जाएँगे जिन की त्रिया बाँझ के हिंदी अर्थ

  • जिस घर में बड़ों की इज़्ज़त ना हो या शाम को दिए ना जलें या जिस घर में बांझ औरत हो वो घर उजड़ जाते हैं
  • जिस घर में बड़े बूढ़ों से सलाह न लिया जाए उसे बर्बाद हुआ समझो

جِس گھر بَڈے نَہ بُوجھیں دِیپَکْ جَلے نَہ سانجھ، وہ گَھر اُجَڑ جائیں گے جِن کی تِرْیا بانجھ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جس گھر میں بڑوں کی عزت نہ ہو یا شام کو دیئے نہ جلیں یا جس گھر میں بان٘جھ عورت ہو وہ گھر اجڑ جاتے ہیں
  • جس گھر میں بڑے بوڑھوں سے مشورہ نہ لیا جائے اسے برباد ہوا سمجھو

Urdu meaning of jis ghar baDe na buujhe.n diipak jale na saa.njh, vo ghar uja.D jaa.e.n ge jin kii triyaa baa.njh

  • Roman
  • Urdu

  • jis ghar me.n ba.Do.n kii izzat na ho ya shaam ko di.e na jale.n ya jis ghar me.n baanjh aurat ho vo ghar uja.D jaate hai.n
  • jis ghar me.n ba.De buu.Dho.n se mashvara na liyaa jaaye use barbaad hu.a samjho

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फ़हीम

बुद्धिमान,अक्लमंद, समझदार, विवेकी

फ़हीम-ओ-सलीम

عقلمند اور صائب الرائے ، ہوشیار اور نیک.

कमावें मियाँ ख़ान-ए-ख़ानाँ उड़ावें मियाँ फ़हीम

दौलत कोई कमाए ओर ख़र्च कोई करे, फ़हीम ख़ानख़ाना का ग़ुलाम था, और बहुत दानी था

कमावें ख़ान-ए-ख़ानाँ उड़ावें मियाँ फ़हीम

कमाए कोई और उसे उड़ाए कोई और दूसरे के माल पर गलच्छ्াरे उड़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

ख़ान-ए-ख़ानाँ की कमाई मियाँ फ़हीम ने उड़ाई

उस अवसर पर बोलते हैं जब पराया माल अंधाधुंध ख़र्च किया जाए

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