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हलवाई

मिठाई बनाने और बेचने वाला

हल्वाई-गरी

حلوائی کا کام یا پیشہ ، مٹھائیاں بنانے کا کام یا ہنر

हल्वाई की दुकान नाना जी की फ़ातिहा

ग़ैर के माल के बे दरेग़ ख़र्च करने के मौक़ा पर बोलते हैं, अपनी गिरह से कुछ ना निकाले मगर दूसरे के माल को पढ़ पढ़ कर सिर्फ़ करे

हल्वाई की दुकान दादा जी की फ़ातिहा

ग़ैर के माल के बे दरेग़ ख़र्च करने के मौक़ा पर बोलते हैं, अपनी गिरह से कुछ ना निकाले मगर दूसरे के माल को पढ़ पढ़ कर सिर्फ़ करे

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को मारेगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुंचाने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को देगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुंचाने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

हल्वाई के जाई सोवे साथ क़साई

ख़ानदानी आदमी ज़लील और बेइज़्ज़ती का काम करे तो कहते हैं

जब लगी चाट तो सूझी हल्वाई की हाट

जब हराम के लुक़मा का मज़ा पड़ जाता है तो इस की आदत हो जलती है

चाट लगी तो हल्वाई की दूकान की सूझी

किसी को मिठाई का चस्का पड़ जाए तो कहते हैं, किसी उद्देश्य से किसी के पास जाना या संपर्क करना

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हलवाई की दुकान पर दादा-जी की फ़ातिहा के अर्थदेखिए

हलवाई की दुकान पर दादा-जी की फ़ातिहा

halvaa.ii kii dukaan par daadaa-jii kii faatihaحَلْوائِی کی دُکان پَر دادا جِی کی فاتِحَہ

कहावत

हलवाई की दुकान पर दादा-जी की फ़ातिहा के हिंदी अर्थ

  • पराए माल को अपना समझ कर अंधाधुंध व्यय करना, दूसरे के धन पर मज़े उड़ाना

English meaning of halvaa.ii kii dukaan par daadaa-jii kii faatiha

  • liberal at the expense of others

حَلْوائِی کی دُکان پَر دادا جِی کی فاتِحَہ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • پرائے مال کو اپنا سمجھ کر بے دریغ خرچ کرنا، دوسرے کی دولت پر مزے اڑانا

Urdu meaning of halvaa.ii kii dukaan par daadaa-jii kii faatiha

  • Roman
  • Urdu

  • paraa.e maal ko apnaa samajh kar be dareG Kharch karnaa, duusre kii daulat par maze u.Daanaa

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हलवाई

मिठाई बनाने और बेचने वाला

हल्वाई-गरी

حلوائی کا کام یا پیشہ ، مٹھائیاں بنانے کا کام یا ہنر

हल्वाई की दुकान नाना जी की फ़ातिहा

ग़ैर के माल के बे दरेग़ ख़र्च करने के मौक़ा पर बोलते हैं, अपनी गिरह से कुछ ना निकाले मगर दूसरे के माल को पढ़ पढ़ कर सिर्फ़ करे

हल्वाई की दुकान दादा जी की फ़ातिहा

ग़ैर के माल के बे दरेग़ ख़र्च करने के मौक़ा पर बोलते हैं, अपनी गिरह से कुछ ना निकाले मगर दूसरे के माल को पढ़ पढ़ कर सिर्फ़ करे

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को मारेगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुंचाने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

हलवाई दीवाना होगा तो हिर फिर कर लड्डू अपनों ही को देगा

हर सूरत में अपनों को फ़ायदा पहुंचाने वाले के मुताल्लिक़ कहते हैं

हल्वाई के जाई सोवे साथ क़साई

ख़ानदानी आदमी ज़लील और बेइज़्ज़ती का काम करे तो कहते हैं

जब लगी चाट तो सूझी हल्वाई की हाट

जब हराम के लुक़मा का मज़ा पड़ जाता है तो इस की आदत हो जलती है

चाट लगी तो हल्वाई की दूकान की सूझी

किसी को मिठाई का चस्का पड़ जाए तो कहते हैं, किसी उद्देश्य से किसी के पास जाना या संपर्क करना

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