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ज़ौक़

स्वाद, मज़ा

ज़ौक़िय्या

रुचि से भरा, रूचिकर

ज़ौक़ होना

रुचि होना, किसी बात में ख़ुशी होना

ज़ौक़ी

ज़ौक़-चश

ज़ौक़-दर-ज़ौक़ होना

बहुत मस्ती और आननद में होना

ज़ौक़-शौक़

ज़ौक़-ए-शे'र

काव्य रसिकता, सहृदयता, कविता कहने या समझने का शौक़

ज़ौक़-अंगेज़

आनंददायक, स्वादिष्ट, मज़ेदार

ज़ौक़ीन

शेर का शौक़ रखने वाला, अच्छे शौक़वाला

ज़ौक़ सूँ

ज़ौक़ियात

शौक़ एवं दिलचस्पी, झूकाव

ज़ौक़-अफ़ज़ा

शौक़ बढ़ाने वाला

ज़ौक़-ए-नज़्ज़ारा

मनमुग्ध दृश्य, दृश्य का आनंद, देखने की लालसा, प्रिय को देखने का आनंद

ज़ौक़ करना

मज़ा उठाना, आनंद लेना

ज़ौक़ पाना

आनंद और मज़ा प्राप्त होना

ज़ौक़ में शौक़

किसी चीज़ के साथ मुफ़्त में कोई दूसरी चीज़ मिलने के अवसर पर प्रयुक्त

ज़ौक़ जमना

शौक़ या इच्छा पैदा होना

ज़ौक़-आमेज़ी

शीरा मिलाना, चाशनी मिलाना, मिठास पैदा करना

ज़ौक़ रखना

रुचि होना, किसी काम को जी चाहना

ज़ौक़ धरना

शौक़ रखना, इच्छा करना, चाहना, लगाव होना, चाहत होना

ज़ाैक़-आफ़रीं

जौक़ पैदा करने वाला

ज़ौक़ उठाना

आनंद उठाना, प्रसन्नता या स्वाद प्राप्त करना

ज़ौक़-ए-'उबूदियत

ईश्वर भक्ति का भाव

ज़ौक़-ए-नज़र

देखने और परखने की अभिलाषा, निरीक्षण करने की क्षमता

ज़ौक़-ए-सुख़न

काव्य रसिकता, सहृदयता, कविता करने या समझने का शौक़

ज़ौक़-पर-ज़ौक़ पाना

बहुत अधिक ख़ुशी होना

ज़ौक़-ए-नुमू

उन्नति, प्रगति और विकास का शौक़ और जुनून

ज़ौक़ में शौक़ दस्तूरी में बच्चा

निशुल्क या लगाव के काम में कोई लाभ प्राप्त हो जाने के अवसर पर या निशुल्क आय से संबंधित कहते हैं

ज़ौक़-ए-जबीं

शीश झुकाने की लालसा

ज़ौक़-ए-ज़बान

भषा का स्वाद, भाषा ज्ञान का स्वाद

ज़ौक़-ए-यक़ीन

ईमान का जज़्बा

ज़ौक़-ए-जमाल

ख़ूबसूरती या सुंदर का शौक़, सौंदर्य को परखने की योग्यता, क्षमता, सौंदर्य-अनुभव का स्वाद

ज़ौक़-ए-सलीम

शुद्ध रसिकता, काव्य-मर्मज्ञता की शुद्धता

ज़ौक़-ए-लतीफ़

मधुर शौक़

ज़ौक़ में शौक़ नफ़ा' में लड़का

निशुल्क या लगाव के काम में कोई लाभ प्राप्त हो जाने के अवसर पर या निशुल्क आय से संबंधित कहते हैं

ज़ौक़-ए-चमन_ज़े_ख़ातिर-ए-सय्याद मी-रवद

आखेटक के हृदय मे वाटिका का मोह शेष नहीं रहा अर्थात जो कार्य स्वयं की भावना से किया जाता है उसमें अपार हर्ष का अनुभव होता और जो कार्य आवश्यकता की पूर्ती के लिए विवश्तापूर्वक करना पड़ता है उसमें आनंद शेष नहीं रहता और प्रत्येक दिन का दर्शन आनंद और अभिलाषा का अंत कर देता है

ज़ौक़-ए-तमाशा

दर्शन की लालसा

ज़ौक़-ए-चमन ज़े-ख़ातिजर-ए-बुलबुल नमी-रवद

चमन का शौक़ बुलबुल के दिल से नहीं जाता यानी जिस बात का किसी को शौक़ हो वो दिल से नहीं जाती

ज़ौक़-ए-गुल चीदन अगर दारी ब-गुल्ज़ार बेरौ

अगर तुझे फूल चुनने का शौक़ है तो किसी बाग़ में जाओ, अर्थात अगर तुम किसी उद्देश्य में विजय प्राप्त करना चाहते हो तो घर से निकलो और उस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए उचित उपाय करो, बिना थोड़ी दौड़-धूप किए घर बैठे रहने से उद्देश्य पूर नहीं हो सकता

अहल-ए-ज़ौक़

वो लोग जो साहित्यिक सूझ-बूझ रखते हैं, जिसको साहित्य से लगाव हो

'आलम-ए-ज़ौक़

शिकार का ज़ौक़ होना

शिकार खेलने की तरफ़ तबीयत का बहुत इच्छुक होना

साक़ी-ए-अर्बाब-ए-ज़ौक़

जो लोग ईश्वर और पैग़म्बर मोहम्मद साहब से प्यार करते हैं

ख़ुश-ज़ौक़

रसिक, सहृदय, रसानुभवी

शौक़-ज़ौक़

बद-ज़ौक़

जो अच्छे-बुरे में भेद न कर सकता हो, जिसकी पसंद अच्छी न हो, जो किसी विशेष काम करने में दिलचस्पी न ले; जो काव्य-रसिक न हो

कोर-ज़ौक़

बद मज़ाक़, बुरा स्वाद, निःस्वाद, हर्ष, स्वाद और आनंद से परे

बे-ज़ौक़

किसी विशेष चीज़ में आनंद न आना, बिना स्वाद और इच्छा के, बद-मज़ा

बे-ज़ौक़-ओ-शु'ऊर

शौक़-ओ-ज़ौक़

बहुत अधिक रुचि, बहुत अधिक शौक

साहिब-ए-ज़ौक़

सहृदय, रसानुभवी

वुफ़ूर-ए-ज़ौक़

लालसा और अभिलाषा की बहुतायत, उत्कंठा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हज्व के अर्थदेखिए

हज्व

hajvہَجْو

स्रोत: अरबी

वज़्न : 21

शब्द व्युत्पत्ति: ह-ज-व

हज्व के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • अपकीर्ति
  • आलोचना, निंदा, किसी की निंदा में लिखा गया काव्य
  • निंदा, तिरस्कार, अपमान, ऐसी कविता जिसमें किसी की निंदा की जाय।

शे'र

English meaning of hajv

Noun, Feminine

  • dispraise, reproach
  • a genre of Urdu poetry for lampooning
  • lampoon, satire

ہَجْو کے اردو معانی

اسم، مؤنث

  • (لفظا) کسی کی برائی کرنا، نفرت اور غصے وغیرہ کا اظہار، مذمت، ملامت، برائی، بد گوئی، عیب جوئی، دشنام طرازی
  • (اصطلاحاً) وہ نظم جس میں کسی کے فرضی یا واقعی عیوب مبالغے کے ساتھ بیان کیے گئے ہوں، شاعری کی ایک صنف جس میں کسی کی مذمت کی جاتی ہے

हज्व से संबंधित रोचक जानकारी

"हज्व" उर्दू शायरी की एक विधा है जिसमें शायर किसी व्यक्ति या प्रतिद्वंद्वी के ख़िलाफ़ अपने गुस्से को व्यक्त करता है। कुछ लोग हज्व को क़सीदे ही का एक रूप मानते हैं। उर्दू में नियमित रूप से हज्व कहने का आरंभ मुहम्मद रफ़ी सौदा(1713-1781) से होता है। उन्होंने अपने हज्वों के लिए क़सीदा, मसनवी, क़ता, ग़ज़ल, रुबाई अर्थात सभी विधाओं का इस्तेमाल किया है। मुहम्मद हुसैन आज़ाद "आब ए हयात" में लिखते हैं कि सौदा का 'ग़ुंचा' नाम का एक सेवक था जो हर समय सेवा में उपस्थित रहता था और साथ साथ क़लमदान लिए फिरता था। सौदा जब किसी से नाराज़ होते तो तुरंत पुकारते,"अरे ग़ुंचा, ला तो क़लमदान, ज़रा मैं इसकी ख़बर तो लूं, ये मुझे समझा क्या है।" सौदा ने विभिन्न प्रकार की हज्वियात कही हैं। वो जो समकालिक नोक झोंक से भरपूर हैं या फिर शिष्टाचार के सुधार के लिए लिखी हैं या जिनमें अपने दौर की राजनीतिक दुर्दशा और आर्थिक बदहाली पर व्यंग्य है और हास्य उड़ाया गया है। सौदा ने एक हाथी और घोड़े की भी हज्वें लिखी हैं। उनकी मशहूर "तज़्हीक ए रोज़गार" वैसे तो एक दुर्बल घोड़े की हज्व है लेकिन वास्तव में यह मुग़ल सल्तनत के आखिरी दौर का रूपक है जो उस दौर की राजनीतिक और आर्थिक विपन्नता का प्रतिनिधि है।

लेखक: अज़रा नक़वी

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