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हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और

दिखाने की चीज़ और होती है और काम में लाने की और, दिखावा और चीज़ है व्यवहार और चीज़, दुनिया के लोग बाहर से कुछ अंदर से कुछ और होते हैं

खाने के दाँत और हैं दिखाने के और (हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और)

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

हाथी के दाँत दिखाने के और हैं खाने के और

۔ مثل۔دکھانے کی چیز اور ہوتی ہے اور کام میں لانے کی اور۔ دنیاکے لوگ ظاہر میں کچھ اور باطن میں کچھ ۔

हाथी के दाँत दिखाने के और (हैं) खाने के और (हैं)

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

खाने के दाँत और, दिखाने के और

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

खाने के दाँत और हैं दिखाने के और

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

गालियाँ और तरकारी खाने के वस्ते हैं

जब कोई तहम्मुल या बुज़दिली के बाइस गाली का जवाब ना दे तो मज़ाक़न कहते हैं कि गाली खाने के लिए ही होती है

गाली और भात खाने के वास्ते हैं

जब कोई सहनशीलता या कायरता के कारण दुर्वचन का जवाब नहीं देता है तो हँसी हँसी में कहा जाता है कि गाली खाने के लिए ही होती है

गाली और तरकारी खाने के वास्ते हैं

दुर्वचन सुनकर क्रोध न करने

आती है हाथी के पाँव और जाती है च्यूँटी के पाँव

रोग अर्थात बीमारी के आने में देर नहीं लगती परंतु जाती धीरे धीरे है

मुफ़्त के खाने वाले हम और हमारा भाई

वहां कहते हैं जहां कोई बेशरमी से लोगों का माल खाए

दीमक के दाँत, साँप के पाँव और च्यूँटी की नाक किस ने देखी

ये चीज़ें ज़ाहिरन मादूम हैं मगर काम अंसा देती हैं कि जिन जानवरों के दांत पांव और नाक ज़ाहिर होते हैं, इन से ऐसा बिन नहीं आता

किरिया और तरकारी खाने ही के लिए है

झूठी सौगंध खाए तो उसकी औचित्यता में कहते हैं

हाथी का दाँत और घोड़े की लात

(कोसना) दुश्मनों को नसीब हो

हाथी की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी से डरना चाहिए

हाथी और घोड़े की चपेट में आने से बचना चाहिए

हाथी के दाँत फ़क़त देखने ही के हैं

रुक : हाथी के दाँत खाने के और अलख

झोंपड़े का रहना और महलों के ख़्वाब देखना

रुक : झून में रहना और महलों के ख़ाब देखना . भला बेटी

कौड़ियों का रहना और महलों के ख़्वाब देखना

अपनी हैसियत से अधिक की इच्छा प्रकट करना, अपनी हैसियत से ज़्यादा की ख़्वाहिश या इज़हार करना, रहें झोंपड़ी में ख़्वाब देखें महलों के

रूपया गज़ का कपड़ा पहनना और अशरफ़ी तोला का खाना खाना

बहुत महँगे कपड़े पहनना और बहुत महँगा खाना खाना, कपड़ों और खाने पर बहुत सारा पैसा ख़र्च करना

सोने का निवाला खिलाना और शेर की नज़र से देखना

हर प्रकार की सुख-सुविधा के साथ प्रशिक्षण देना, शिष्टाचार सिखाना, लाड-प्यार देना मगर मर्यादा न लाँघने देना

फ़रज़ंद वो जो पंद माने और बाप का कहना फ़र्ज़ जाने

बेटा वो है जो बाप का सदुपदेश माने और उस की आज्ञा का पालन करे

क़र्ज़ का खाना और फूँस से तापना यकसाँ है

क़र्ज़ की चीज़ और फूंस की आग टिकाऊ नहीं होती है, बे बरकत है, कुछ लाभ नहीं होता पर लाचारी को क्या करे

दाँत टूटे और खुर घिसे पीठ न बोझा ले, ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे

बूढ़े आदमी को कोई अपने पास नहीं रखना चाहता

दाँत गिरे और खुर घिसे पीठ न बोझा ले, ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे

बूढ़े आदमी को कोई अपने पास नहीं रखना चाहता

खाने को ऊँट और कमाने को मजनूँ

निकम्मा आदमी, काम काज में सुस्त खाने पीने में चुस्त, काम चोर जो नौकरी चाकरी न करे मुफ़्त में माल उड़ाए

गिरह का देना और जूतियाँ खानी

अपना पैसा भी ख़र्च करना और बेइज़्ज़ती भी सहना के मौक़ा पर मुस्तामल

खाना पीना गाँठ का और नरी सलाम-ओ-'अलैक

किसी अमीर आदमी से परिचय हो और उससे कुछ प्राप्त हो तो कहते हैं

खाने को ऊद कमाने को मजनूँ

निकम्मा आदमी, काम काज में सुस्त खाने पीने में चुस्त, काम चोर जो नौकरी चाकरी न करे मुफ़्त में माल उड़ाए

'आशिक़ की आबरू है गाली और मार खाना

प्यार में गालियाँ और मार खाना सम्मान की बात समझी जाती है, प्यार की विशेषता अभिव्यक्त करते समय कहते हैं

उधार खाना और फूस का तापना बराबर है

क़र्ज़ की चीज़ और फूंस की आग टिकाऊ नहीं होती है, बे बरकत है, कुछ लाभ नहीं होता पर लाचारी को क्या करे

अपनी कहना और की न सुनना

ख़ुद ही कहे जाना, दूसरे की बात की ओर कान न देना

मेहमान और बुख़ार को अगर खाना न दो तो फि नहीं आते

फ़ाक़े से बुख़ार में फ़ायदा रहता है और मेहमान को खाना ना मिले तो बार बार नहीं आता

जोरू का मरना और कुहनी की चोट का लगना बराबर है

(लफ़ज़न) बीवी के मरने से भी तकलीफ़ होती है इसी तरह कहनी की चोट बहुत तकलीफ़ देती है, सख़्त तकलीफ़ जो देर पा ना हो। इस की निसबत बोलते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और के अर्थदेखिए

हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और

haathii ke daa.nt khaane ke aur dikhaane ke aurہاتھی کے دانت کھانے کے اور دِکھانے کے اور

कहावत

मूल शब्द: हाथी

हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और के हिंदी अर्थ

  • दिखाने की चीज़ और होती है और काम में लाने की और, दिखावा और चीज़ है व्यवहार और चीज़, दुनिया के लोग बाहर से कुछ अंदर से कुछ और होते हैं

English meaning of haathii ke daa.nt khaane ke aur dikhaane ke aur

  • all that glitters is not gold

ہاتھی کے دانت کھانے کے اور دِکھانے کے اور کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • دکھانے کی چیز اور ہوتی ہے اور کام میں لانے کی اور، دکھاوا اور چیز ہے برتاؤ اور چیز، دنیا کے لوگ ظاہر میں کچھ باطن میں کچھ ہوتے ہیں

Urdu meaning of haathii ke daa.nt khaane ke aur dikhaane ke aur

  • Roman
  • Urdu

  • dikhaane kii chiiz aur hotii hai aur kaam me.n laane kii aur, dikhaavaa aur chiiz hai bartaa.o aur chiiz, duniyaa ke log zaahir me.n kuchh baatin me.n kuchh hote hai.n

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हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और

दिखाने की चीज़ और होती है और काम में लाने की और, दिखावा और चीज़ है व्यवहार और चीज़, दुनिया के लोग बाहर से कुछ अंदर से कुछ और होते हैं

खाने के दाँत और हैं दिखाने के और (हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और)

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

हाथी के दाँत दिखाने के और हैं खाने के और

۔ مثل۔دکھانے کی چیز اور ہوتی ہے اور کام میں لانے کی اور۔ دنیاکے لوگ ظاہر میں کچھ اور باطن میں کچھ ۔

हाथी के दाँत दिखाने के और (हैं) खाने के और (हैं)

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

खाने के दाँत और, दिखाने के और

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

खाने के दाँत और हैं दिखाने के और

दिखावटी चीज़ें काम नहीं देतीं

गालियाँ और तरकारी खाने के वस्ते हैं

जब कोई तहम्मुल या बुज़दिली के बाइस गाली का जवाब ना दे तो मज़ाक़न कहते हैं कि गाली खाने के लिए ही होती है

गाली और भात खाने के वास्ते हैं

जब कोई सहनशीलता या कायरता के कारण दुर्वचन का जवाब नहीं देता है तो हँसी हँसी में कहा जाता है कि गाली खाने के लिए ही होती है

गाली और तरकारी खाने के वास्ते हैं

दुर्वचन सुनकर क्रोध न करने

आती है हाथी के पाँव और जाती है च्यूँटी के पाँव

रोग अर्थात बीमारी के आने में देर नहीं लगती परंतु जाती धीरे धीरे है

मुफ़्त के खाने वाले हम और हमारा भाई

वहां कहते हैं जहां कोई बेशरमी से लोगों का माल खाए

दीमक के दाँत, साँप के पाँव और च्यूँटी की नाक किस ने देखी

ये चीज़ें ज़ाहिरन मादूम हैं मगर काम अंसा देती हैं कि जिन जानवरों के दांत पांव और नाक ज़ाहिर होते हैं, इन से ऐसा बिन नहीं आता

किरिया और तरकारी खाने ही के लिए है

झूठी सौगंध खाए तो उसकी औचित्यता में कहते हैं

हाथी का दाँत और घोड़े की लात

(कोसना) दुश्मनों को नसीब हो

हाथी की अगाड़ी और घोड़े की पिछाड़ी से डरना चाहिए

हाथी और घोड़े की चपेट में आने से बचना चाहिए

हाथी के दाँत फ़क़त देखने ही के हैं

रुक : हाथी के दाँत खाने के और अलख

झोंपड़े का रहना और महलों के ख़्वाब देखना

रुक : झून में रहना और महलों के ख़ाब देखना . भला बेटी

कौड़ियों का रहना और महलों के ख़्वाब देखना

अपनी हैसियत से अधिक की इच्छा प्रकट करना, अपनी हैसियत से ज़्यादा की ख़्वाहिश या इज़हार करना, रहें झोंपड़ी में ख़्वाब देखें महलों के

रूपया गज़ का कपड़ा पहनना और अशरफ़ी तोला का खाना खाना

बहुत महँगे कपड़े पहनना और बहुत महँगा खाना खाना, कपड़ों और खाने पर बहुत सारा पैसा ख़र्च करना

सोने का निवाला खिलाना और शेर की नज़र से देखना

हर प्रकार की सुख-सुविधा के साथ प्रशिक्षण देना, शिष्टाचार सिखाना, लाड-प्यार देना मगर मर्यादा न लाँघने देना

फ़रज़ंद वो जो पंद माने और बाप का कहना फ़र्ज़ जाने

बेटा वो है जो बाप का सदुपदेश माने और उस की आज्ञा का पालन करे

क़र्ज़ का खाना और फूँस से तापना यकसाँ है

क़र्ज़ की चीज़ और फूंस की आग टिकाऊ नहीं होती है, बे बरकत है, कुछ लाभ नहीं होता पर लाचारी को क्या करे

दाँत टूटे और खुर घिसे पीठ न बोझा ले, ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे

बूढ़े आदमी को कोई अपने पास नहीं रखना चाहता

दाँत गिरे और खुर घिसे पीठ न बोझा ले, ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे

बूढ़े आदमी को कोई अपने पास नहीं रखना चाहता

खाने को ऊँट और कमाने को मजनूँ

निकम्मा आदमी, काम काज में सुस्त खाने पीने में चुस्त, काम चोर जो नौकरी चाकरी न करे मुफ़्त में माल उड़ाए

गिरह का देना और जूतियाँ खानी

अपना पैसा भी ख़र्च करना और बेइज़्ज़ती भी सहना के मौक़ा पर मुस्तामल

खाना पीना गाँठ का और नरी सलाम-ओ-'अलैक

किसी अमीर आदमी से परिचय हो और उससे कुछ प्राप्त हो तो कहते हैं

खाने को ऊद कमाने को मजनूँ

निकम्मा आदमी, काम काज में सुस्त खाने पीने में चुस्त, काम चोर जो नौकरी चाकरी न करे मुफ़्त में माल उड़ाए

'आशिक़ की आबरू है गाली और मार खाना

प्यार में गालियाँ और मार खाना सम्मान की बात समझी जाती है, प्यार की विशेषता अभिव्यक्त करते समय कहते हैं

उधार खाना और फूस का तापना बराबर है

क़र्ज़ की चीज़ और फूंस की आग टिकाऊ नहीं होती है, बे बरकत है, कुछ लाभ नहीं होता पर लाचारी को क्या करे

अपनी कहना और की न सुनना

ख़ुद ही कहे जाना, दूसरे की बात की ओर कान न देना

मेहमान और बुख़ार को अगर खाना न दो तो फि नहीं आते

फ़ाक़े से बुख़ार में फ़ायदा रहता है और मेहमान को खाना ना मिले तो बार बार नहीं आता

जोरू का मरना और कुहनी की चोट का लगना बराबर है

(लफ़ज़न) बीवी के मरने से भी तकलीफ़ होती है इसी तरह कहनी की चोट बहुत तकलीफ़ देती है, सख़्त तकलीफ़ जो देर पा ना हो। इस की निसबत बोलते हैं

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