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हाँ-नहीं

اقرار یا انکار میں جواب

हाँ-नहीं करना

एक ही बात में मानना और नकारना, टाल मटोल करना, स्पष्ट जवाब न देना

हाँ नहीं कहना

वाज़िह जवाब देना, साफ़ साफ़ इक़रार या इनकार करना

होनी-नहीं

संभव नहीं, हो नहीं सकता, मुम्किन नहीं

नहीं हाँ करना

कभी इक़रार कभी इनकार करना

हाँ जी क्यों नहीं

ज़रूर, यक़ीनन, बिलाशुबा नीज़ (तंज़न) नहीं, बिलकुल नहीं

नहीं से हाँ होना

कुछ थोड़ा बहुत सहारा होना, कुछ तो होना, थोड़ा बहुत होना

नहीं से हाँ भली

कुछ न होने से कुछ होना बेहतर है

मुँह से हाँ नहीं करना

स्वीकार करना या इनकार करना

मुँह से हाँ नहीं करना

۔ मुनह से इक़रार या इनकार करना। २। मुनह से इक़रार या इनकार करना।

दस नहीं अट्ठारह हैं

बहुत ज़्यादा लाभ प्राप्त होना, हद से ज़्यादा ऐश-ओ-आराम मिलना

मारते के हाथ पकड़े जाते हैं कहते का मुँह नहीं पकड़ा जाता

मुँहफट की ज़बान नहीं रोकी जा सकती, किसी को कोई बात कहने से नहीं रोका जा सकता

कौआ नाक ले गया नाक को नहीं देखते, कव्वे के पीछे दौड़े फिरते हैं

झूओटी बात को बे तहक़ीक़ मान लेने के मौक़ा पर मुस्तामल

कौआ कान ले गया कान को नहीं देखते कव्वे के पीछे दौड़े जाते हैं

रुक : को्वा नाक ले गया, नाक को नहीं देखते को्वे के पीछे दौड़े जाते हैं

कौआ नाक ले गया नाक को नहीं देखते, कव्वे के पीछे दौड़े जाते हैं

झूओटी बात को बे तहक़ीक़ मान लेने के मौक़ा पर मुस्तामल

कौआ कान ले गया कान को नहीं देखते कव्वे के पीछे दौड़े फिरते हैं

रुक : को्वा नाक ले गया, नाक को नहीं देखते को्वे के पीछे दौड़े जाते हैं

पढ़े तो हैं पर गुने नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

पेट का खाया कोई नहीं देखता, तन का पहना सब देखते हैं

कपड़ों पर सब की नज़र होती है, ज़ाहिर को सब देखते हैं बातिन को कोई नहीं जानता, ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब ज़ाहिरदारी बरतना ज़रूरी हो जाये या किसी भी मुआमले में बाअज़ बातों का इज़हार एक ज़रूरत हो

जनम-पत्र सब देखते है, करम-पत्र कोई नहीं देखता

कुंडली तो सब देखते हैं पर भाग्य का लिखा कोई नहीं जानता

तर्कश में दो तीर नहीं, शर्मा शर्मी लड़ते हैं

आशा तो रही नहीं परंतु प्रयास हो रहा है

पढ़े तो हैं पर गुणी नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

माँस सब खाते हैं हाड गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ को सब पसंद करते हैं, नालायक़ को कोई भी पसंद नहीं करता

जिस क़द्र गरजते हैं , उतने बरसते नहींं

रुक : जितना गरजते हैं . . .

गरजते हैं, वो बरसते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

गरजते हैं, सो वो बरसते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

कम रिज़्क़े बहुत हैं बेरिज़्क़ा कोई नहीं

ईश्वर सबको खाने को देता है

हम नहीं ये भाई फ़त्ह ख़ाँ हैं

ये ज़बरदस्त हैं हमारी तरह कमज़ोर नहीं

बनी के सब साथी हैं, बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे समय में सब दोस्त होते हैं बुरे समय में कोई ख़बर नहीं लेता

ब्याह नहीं किया बरात तो देखी हैं

ख़ुद किसी काम को नहीं किया, मगर दूसरों के हाँ होते तो देखा है जिस की बना पर इस का तजुर्बा है

हाथ बेचे हैं, कुछ ज़ात नहीं बेची

نوکری کی ہے مگر گالی گلوچ نہیں کھائینگے

हाथ बेचे हैं, ज़ात नहीं बेची

۔ یہ مقولہ خدمت گاروں کا ہے ۔یعنی تمہاری خدمت اورنوکری بجالائیں گے۔مگر بُرا بھلا اور گالی گلوچ نہیں سنیں گے؎

नौ जानते हैं, छे जानते ही नहीं

कमइलम हैं, नादान हैं, नासमझ हैं, भूले हैं (तंज़न मुस्तामल)

कोई नहीं पूछ्ता कि तेरे मुँह में कै दाँत हैं

बहुत शांति का ज़माना है, किसी तरह की पूछताछ नहीं

धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं

बहुत अनुभव है यूँ ही उम्र बर्बाद नहीं की

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

जीवित का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

लाला के नौकर हैं भाँड के नौकर नहीं

आक़ा अथवा स्वामी के वचन की पुष्टि और आज्ञा का पालन प्राथमिक है

बनी के सौ साले हैं और बिगड़ी का एक बहनोई नहीं होता

अच्छे समय में सब अपना मतलब निकालते हैं और बुरे समय में कोई काम नहीं आता

गरजते हैं सो बरसते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

जिसके माँ बाप जीते हैं, वह हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

जो कहते हैं वो करते नहीं

अपना वादा पूरा नहीं करते, अपने वचन पर टिकते नहीं, अपनी ज़बान पर क़ायम नहीं रहते

रात को नाम नहीं लेते हैं

एक अंधविश्वास कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है (इस लिए रस्सी कह देते हैं)

हाथ ख़ाली नहीं हैं

फ़ुर्सत नहीं है, कार्य में व्यस्त हैं, काम में मसरूफ़ हैं

तर्कश में दो तीर नहीं, ख़ान बहादुर आते हैं

कस बल अर्थात शक्ति नाम को नहीं बड़े बड़े पहलवानों से लड़ने की डींग हाँक रहे हैं, ज़रा सी बात पर अपने आप को बड़ा समझ बैठे हैं

मक्का में रहते हैं पर हज नहीं करते

अभागा हर जगह वंचित रहता है

मुँह देखी सब कहते हैं, ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता

सब चापलूसी और तरफ़दारी की बात करते हैं सच्च और इंसाफ़ की कोई नहीं कहता

ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता , मुँह देखी सब कहते हैं

सब चापलूसी और तरफ़दारी की बात करते हैं सच्च और इंसाफ़ की कोई नहीं कहता

गरजते हैं सो बरस्ते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं करसकता, शेखी बाज़ों की बातें ही बातें हुआ करती हैं, लाफ ज़न कुछ नहीं कर सकता, जो डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

आई पर नहीं चूकते हैं

हाज़िर जवाब हैं मन में जो बात आए कह देते हैं

आगे चलते हैं पीछे की ख़बर नहीं

लाभ पर नज़र है और हानि के बारे में नहीं सोचते

आप का नौकर हूँ बैगनों का नौकर नहीं

आप के कथन के समर्थनऔर प्रसन्नता से आशय है झूट-सच से कुछ काम नहीं

दिन नीके बीते जाते, फेर नहीं वो आते हैं

अच्छे दिन बीत कर फिर नहीं आते, अच्छा समय फिर नहीं आता

नाख़ुन नहीं गिर गए हैं

मुफ़लिस या अपाहज या कौड़ी नहीं हैं, हम तंदरुस्त हैं, किसी का एहसान नहीं लेना चाहते (कोढ़ की बीमारी में नाख़ुन झड़ जाते हैं

मरे का कोई नहीं, जीते के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

जिस के माँ बाप जीते हों वो हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

मक्का में रहते हैं पर हज नहीं किया

अभागा हर जगह वंचित रहता है

मक्के में रहते हैं पर हज नहीं किया

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो अग़माज़ करे, अस्बाब मयस्सर होते हुए इस्तिफ़ादा ना किया, नेअमत मौजूद से महरूम रहे तो कहते हैं

आँखें क्या नहीं हैं

क्या सूझता नहीं (सामान्यतः बढ़े हुए सर्वनाम के साथ प्रयुक्त)

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में हाँ-नहीं करना के अर्थदेखिए

हाँ-नहीं करना

haa.n-nahii.n karnaaہاں نَہِیں کَرنا

मुहावरा

हाँ-नहीं करना के हिंदी अर्थ

  • एक ही बात में मानना और नकारना, टाल मटोल करना, स्पष्ट जवाब न देना

English meaning of haa.n-nahii.n karnaa

  • evade, prevaricate, not give clear answer

ہاں نَہِیں کَرنا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ایک ہی بات میں اقرار و انکار کرنا، ٹال مٹول کرنا، واضح جواب نہ دینا

Urdu meaning of haa.n-nahii.n karnaa

  • Roman
  • Urdu

  • ek hii baat me.n iqraar-o-inkaar karnaa, Taal maTol karnaa, vaazih javaab na denaa

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हाँ-नहीं

اقرار یا انکار میں جواب

हाँ-नहीं करना

एक ही बात में मानना और नकारना, टाल मटोल करना, स्पष्ट जवाब न देना

हाँ नहीं कहना

वाज़िह जवाब देना, साफ़ साफ़ इक़रार या इनकार करना

होनी-नहीं

संभव नहीं, हो नहीं सकता, मुम्किन नहीं

नहीं हाँ करना

कभी इक़रार कभी इनकार करना

हाँ जी क्यों नहीं

ज़रूर, यक़ीनन, बिलाशुबा नीज़ (तंज़न) नहीं, बिलकुल नहीं

नहीं से हाँ होना

कुछ थोड़ा बहुत सहारा होना, कुछ तो होना, थोड़ा बहुत होना

नहीं से हाँ भली

कुछ न होने से कुछ होना बेहतर है

मुँह से हाँ नहीं करना

स्वीकार करना या इनकार करना

मुँह से हाँ नहीं करना

۔ मुनह से इक़रार या इनकार करना। २। मुनह से इक़रार या इनकार करना।

दस नहीं अट्ठारह हैं

बहुत ज़्यादा लाभ प्राप्त होना, हद से ज़्यादा ऐश-ओ-आराम मिलना

मारते के हाथ पकड़े जाते हैं कहते का मुँह नहीं पकड़ा जाता

मुँहफट की ज़बान नहीं रोकी जा सकती, किसी को कोई बात कहने से नहीं रोका जा सकता

कौआ नाक ले गया नाक को नहीं देखते, कव्वे के पीछे दौड़े फिरते हैं

झूओटी बात को बे तहक़ीक़ मान लेने के मौक़ा पर मुस्तामल

कौआ कान ले गया कान को नहीं देखते कव्वे के पीछे दौड़े जाते हैं

रुक : को्वा नाक ले गया, नाक को नहीं देखते को्वे के पीछे दौड़े जाते हैं

कौआ नाक ले गया नाक को नहीं देखते, कव्वे के पीछे दौड़े जाते हैं

झूओटी बात को बे तहक़ीक़ मान लेने के मौक़ा पर मुस्तामल

कौआ कान ले गया कान को नहीं देखते कव्वे के पीछे दौड़े फिरते हैं

रुक : को्वा नाक ले गया, नाक को नहीं देखते को्वे के पीछे दौड़े जाते हैं

पढ़े तो हैं पर गुने नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

पेट का खाया कोई नहीं देखता, तन का पहना सब देखते हैं

कपड़ों पर सब की नज़र होती है, ज़ाहिर को सब देखते हैं बातिन को कोई नहीं जानता, ऐसे मौक़ा पर बोलते हैं जब ज़ाहिरदारी बरतना ज़रूरी हो जाये या किसी भी मुआमले में बाअज़ बातों का इज़हार एक ज़रूरत हो

जनम-पत्र सब देखते है, करम-पत्र कोई नहीं देखता

कुंडली तो सब देखते हैं पर भाग्य का लिखा कोई नहीं जानता

तर्कश में दो तीर नहीं, शर्मा शर्मी लड़ते हैं

आशा तो रही नहीं परंतु प्रयास हो रहा है

पढ़े तो हैं पर गुणी नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

माँस सब खाते हैं हाड गले में कोई नहीं बाँधता

लायक़ को सब पसंद करते हैं, नालायक़ को कोई भी पसंद नहीं करता

जिस क़द्र गरजते हैं , उतने बरसते नहींं

रुक : जितना गरजते हैं . . .

गरजते हैं, वो बरसते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

गरजते हैं, सो वो बरसते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

कम रिज़्क़े बहुत हैं बेरिज़्क़ा कोई नहीं

ईश्वर सबको खाने को देता है

हम नहीं ये भाई फ़त्ह ख़ाँ हैं

ये ज़बरदस्त हैं हमारी तरह कमज़ोर नहीं

बनी के सब साथी हैं, बिगड़ी का कोई नहीं

अच्छे समय में सब दोस्त होते हैं बुरे समय में कोई ख़बर नहीं लेता

ब्याह नहीं किया बरात तो देखी हैं

ख़ुद किसी काम को नहीं किया, मगर दूसरों के हाँ होते तो देखा है जिस की बना पर इस का तजुर्बा है

हाथ बेचे हैं, कुछ ज़ात नहीं बेची

نوکری کی ہے مگر گالی گلوچ نہیں کھائینگے

हाथ बेचे हैं, ज़ात नहीं बेची

۔ یہ مقولہ خدمت گاروں کا ہے ۔یعنی تمہاری خدمت اورنوکری بجالائیں گے۔مگر بُرا بھلا اور گالی گلوچ نہیں سنیں گے؎

नौ जानते हैं, छे जानते ही नहीं

कमइलम हैं, नादान हैं, नासमझ हैं, भूले हैं (तंज़न मुस्तामल)

कोई नहीं पूछ्ता कि तेरे मुँह में कै दाँत हैं

बहुत शांति का ज़माना है, किसी तरह की पूछताछ नहीं

धूप में बाल सफ़ेद नहीं किए हैं

बहुत अनुभव है यूँ ही उम्र बर्बाद नहीं की

जीते के सब हैं मरे का कोई नहीं

जीवित का साथ दिया जाता है, मरने के बाद कोई किसी को नहीं पूछता

रात को साँप का नाम नहीं लेते हैं

लोक-निश्वास है कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है इस लिए रस्सी कह देते हैं

लाला के नौकर हैं भाँड के नौकर नहीं

आक़ा अथवा स्वामी के वचन की पुष्टि और आज्ञा का पालन प्राथमिक है

बनी के सौ साले हैं और बिगड़ी का एक बहनोई नहीं होता

अच्छे समय में सब अपना मतलब निकालते हैं और बुरे समय में कोई काम नहीं आता

गरजते हैं सो बरसते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं कर सकता, जो लोग डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

जिसके माँ बाप जीते हैं, वह हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

जो कहते हैं वो करते नहीं

अपना वादा पूरा नहीं करते, अपने वचन पर टिकते नहीं, अपनी ज़बान पर क़ायम नहीं रहते

रात को नाम नहीं लेते हैं

एक अंधविश्वास कि साँप का नाम रात को लिया जाए तो वह निकल आता है (इस लिए रस्सी कह देते हैं)

हाथ ख़ाली नहीं हैं

फ़ुर्सत नहीं है, कार्य में व्यस्त हैं, काम में मसरूफ़ हैं

तर्कश में दो तीर नहीं, ख़ान बहादुर आते हैं

कस बल अर्थात शक्ति नाम को नहीं बड़े बड़े पहलवानों से लड़ने की डींग हाँक रहे हैं, ज़रा सी बात पर अपने आप को बड़ा समझ बैठे हैं

मक्का में रहते हैं पर हज नहीं करते

अभागा हर जगह वंचित रहता है

मुँह देखी सब कहते हैं, ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता

सब चापलूसी और तरफ़दारी की बात करते हैं सच्च और इंसाफ़ की कोई नहीं कहता

ख़ुदा लगती कोई नहीं कहता , मुँह देखी सब कहते हैं

सब चापलूसी और तरफ़दारी की बात करते हैं सच्च और इंसाफ़ की कोई नहीं कहता

गरजते हैं सो बरस्ते नहीं

शोर करने वाला कोई काम नहीं करसकता, शेखी बाज़ों की बातें ही बातें हुआ करती हैं, लाफ ज़न कुछ नहीं कर सकता, जो डींगें मारते हैं वो करते कुछ नहीं

आई पर नहीं चूकते हैं

हाज़िर जवाब हैं मन में जो बात आए कह देते हैं

आगे चलते हैं पीछे की ख़बर नहीं

लाभ पर नज़र है और हानि के बारे में नहीं सोचते

आप का नौकर हूँ बैगनों का नौकर नहीं

आप के कथन के समर्थनऔर प्रसन्नता से आशय है झूट-सच से कुछ काम नहीं

दिन नीके बीते जाते, फेर नहीं वो आते हैं

अच्छे दिन बीत कर फिर नहीं आते, अच्छा समय फिर नहीं आता

नाख़ुन नहीं गिर गए हैं

मुफ़लिस या अपाहज या कौड़ी नहीं हैं, हम तंदरुस्त हैं, किसी का एहसान नहीं लेना चाहते (कोढ़ की बीमारी में नाख़ुन झड़ जाते हैं

मरे का कोई नहीं, जीते के सब लागू हैं

मित्रता और संबंध सब जीवन के साथ है, मृत्यु के पश्चात कोई साथ नहीं देता

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

जिस के माँ बाप जीते हों वो हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

मक्का में रहते हैं पर हज नहीं किया

अभागा हर जगह वंचित रहता है

मक्के में रहते हैं पर हज नहीं किया

इस के मुताल्लिक़ कहते हैं जो अग़माज़ करे, अस्बाब मयस्सर होते हुए इस्तिफ़ादा ना किया, नेअमत मौजूद से महरूम रहे तो कहते हैं

आँखें क्या नहीं हैं

क्या सूझता नहीं (सामान्यतः बढ़े हुए सर्वनाम के साथ प्रयुक्त)

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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