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प्रीत

प्यार, मुहब्बत, इशक़, दोस्ती, याराना, सुभगता, अनुराग, मोह, आसक्ति

प्रीत-पत्र

प्रीत-नदी

नरक की वह नदी जिसे मृत आत्माओं को पार करना पड़ता है।

प्रीत न टूटे अन-मिले उत्तम मन की लाग, सौ जुग पानी में रहे चकमक तजे न आग

सच्चा प्रेम अनुपस्थिति में नहीं जाती जिस तरह चक़माक़ पानी में रहने से आग नहीं खोता

प्रीत न जाने जात कुजात नींद न जाने टूटी खाट, भूक न जाने बासी भात प्यास न जाने धोबी घाट

प्रेम करते समय कोई ये नहीं सोचता कि उस का प्रेमी किस जाति या वर्ण का है, जिस तरह नींद हर जगह और हर हालत में आ जाती है और भूख में मनुष्य को बासी रोटी भी अच्छी मालूम होती है और प्यास लगी हो तो मनुष्य ये नहीं देखता कि पानी शुद्ध है या अशुद्ध

प्रीतम प्रीतम सब कहें प्रीतम जाने न कोय, एक बार जो प्रीतम मिले सदा आनंद फिर होय

हर एक प्रेम करता है परंतु प्रेम की समझ किसी को नहीं

प्रीतम हर से नेह कर जैसे खेत किसान, घाटे दे और डंड भरे फेर खेत से ध्यान

ईश्वर से प्रेम इस तरह होनी चाहिये जिस तरह किसान को अपने खेत से होती है गरचे हानि उठाता है परंतु उसे छोड़ता नहीं

प्रीतम

जिस से बहुत ज़्यादा मुहब्बत हो, चहेता, महबूब, शौहर, प्रेमी, आशिक़, माशूक़, प्रियतम, पति, जो सबसे अधिक प्रिय हो, परम प्रिय

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

प्रीत लगाना

प्रीत की रीत

प्रीत की रीत निराली

प्रीत न जाने जात कुजात

मुहब्बत करते वक़्त कोई ये नहीं सोचता कि इस का महबूब किस ज़ात या क़ौम का है

बिश्न-प्रीत

जगत-प्रीत

दुनिया की ख़ुशी

बिशन-प्रीत-दार

बिन बहू प्रीत नहीं

ससुर अपने जमाई को तभी तक प्यार करता है जब तक उसकी लड़की जीवित रहती है

मुँह देखे की प्रीत

बे भई के प्रीत नहीं

जब तक किसी से ख़ौफ़ या अंदेशा नहीं होता इस से मुहब्बत नहीं होती

रक्खे तो प्रीत, नहीं तो पलीत

यदि प्रेम को सदैव निश्चित रक्खे तो बहुत अच्छी बात है वर्ना बहुत बुरी

बिन भाए प्रीत नहीं, बिन परिचय प्रतीत नहीं

जब तक मन आकर्षित न हो प्रेम नहीं होता और जब तक किसी को परख न लिया जाए उसका भरोसा नहीं होता

राई भर सगाई पेठा भर प्रीत

ज़रा सा रिश्ता बहुत सी मुहब्बत से बेहतर है

जैसा देखे गाँव की रीत तैसन करे लोग से प्रीत

रुक: जैसा देस वैसा भेस , जैसे लोग हूँ वैसा उन से बरताओ करे

बालू की भीत ओछे का संग, परतुरिया की प्रीत तितली का रंग

ओछे या तुच्छ की मित्रता कभी यथावत अर्थात निश्चित नहीं रह सकती जिस तरह कि रंडी या किसी की मुहब्बत जो तितली के रंग की तरह मनमोहक होने के अतिरिक्त समाप्त हो जाती है

चातुर तो बैरी भला मूरख भला न मीत, साध कहें हैं मत करो को मूरख से प्रीत

बुद्धिमान शत्रु मूर्ख दोस्त से अच्छा होता है इस लिए मूर्ख से दोस्ती नहीं करनी चाहिये

गोरी तेरे संग में गई 'उमरिया बीत, अब चाली संग छोड़ के ये न रीत प्रीत

मरते समय आदमी आत्मा से कहता है कि हे प्रेमिका तेरे साथ आयु बीत गई, अब तू साथ छोड़ रही है तो ये प्रेम के विरुद्ध है

ओछे की प्रीत , कटारी का मरना , बालू की भीत अटारी का चढ़ना

कमज़र्फ़ की दोस्ती में सरासर नुक़्सान

कभी की प्रीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

ओछे की प्रीत और बालू की भीत

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में गिरिफ़्त के अर्थदेखिए

गिरिफ़्त

giriftگِرِفْت

अथवा : गिरफ़्त

स्रोत: फ़ारसी

टैग्ज़: रसायन विज्ञान

गिरिफ़्त के हिंदी अर्थ

संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • कोई चीज़ अच्छी तरह पकड़ने की क्रिया या भाव
  • (कीमिया) हाइड्रोजन के एक जौहर की क़ुव्वत-ए-तर केबी, किसी जौहर की काबिलियत-ए-इमतिज़ाज
  • (मजाज़न) ज़बान का लड़खड़ाना, लुकनत
  • (मजाज़न) सकल-ए-समाअत, गिराने-ए-गोश, बहरा पन
  • ۔(फ) असल में हर्फ़ दोम मफ़तूह है फ़ारसियों ने बक्सर दोम भी इस्तिमाल किया। मुवाख़िज़ा। एतराज़)मुअन्नस १। पकड़। क़लम की गिरिफ़त ठीक नहीं है २।दस्ता। मूठ। क़बज़ा ३। मुवाख़िज़ा। वो बात जो बतौर एतराज़ या सरज़निश कही जाये
  • एतराज़, हर्फ़गीरी, नुक्ता चीनी
  • क़बज़ा, क़ाबू, दस्तरस
  • किसी चीज़ को अच्छी तरह पकड़ना; पकड़; चंगुल
  • किसी चीज़ को पकड़ने या थामने का अमल, पकड़
  • गोद आग़ोश, कोली
  • जकड़ाओ, इत्तिसाल, पैवस्तगी
  • तसल्लुत, ग़लबा
  • पकड़ (गुनाह और ख़ता के लिए), मुवाख़िज़ा
  • पकड़, ग्रहण, हिसाब में त्रुटि की पकड़, अपराध की पकड़, आपत्ति, ए'तिराज़, अधिकार, क़ब्ज़ा, चंगुल, पंजा, हस्तक, दस्ता ।
  • पकड़ने का अंदाज़ या तरीक़ा
  • पकड़ने की जगह, दस्ता, क़बज़ा, मूठ
  • पाबंदी
  • बाज़पुर्स, सरज़निश
  • रोक टोक, दारू गीर, पकड़ धक्कड़
  • त्रुटि या भूल का पता लगाना; दोष
  • एतराज़
  • मूठ
  • दस्ता; पंजा
  • अधिकार; कब्ज़ा
  • हथियारों का वह अंग जहाँ से वे पकड़े जाते हैं
  • ख़ास ढंग या हथाकंडा जिससे अपराध, दोष, भूल आदि का पता लगाया जाता है।

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English meaning of girift

Roman

گِرِفْت کے اردو معانی

اسم، مؤنث

  • کسی چیز کو پکڑنے یا تھامنے کا عمل، پکڑ
  • پکڑنے کا انداز یا طریقہ
  • پکڑ (گناہ اور خطا کے لیے)، مواخذہ
  • اعتراض، حرف گیری، نکتہ چینی
  • (مجازاً) زبان کا لڑکھڑانا، لکنت
  • (مجازاً) ثقلِ سماعت، گرانیِ گوش، بہرا پن
  • روک ٹوک، دارو گیر، پکڑ دھکڑ
  • پابندی
  • قبضہ، قابو، دسترس
  • گود، آغوش، کولی
  • جکڑاؤ، اَتَّصال، پیوستگی
  • باز پُرس، سر زنش
  • پکڑنے کی جگہ، دستہ، قبضہ، موٹھ
  • تسلُّط، غلبہ
  • (کیمیا) ہائڈروجن کے ایک جوہر کی قوتِ ترکیبی، کسی جوہر کی قابلیتِ امتزاج

Urdu meaning of girift

  • kisii chiiz ko paka.Dne ya thaamne ka amal, paka.D
  • paka.Dne ka andaaz ya tariiqa
  • paka.D (gunaah aur Khataa ke li.e), muvaaKhizaa
  • etraaz, harfgiirii, nukta chiinii
  • (majaazan) zabaan ka la.Dkha.Daanaa, luknat
  • (majaazan) sakal-e-samaaat, giraane-e-gosh, bahra pan
  • rok Tok, daaruu giir, paka.D dhakka.D
  • paabandii
  • qabzaa, qaabuu, dastaras
  • god, ko liy
  • jak.Daa.o, ittisaal, paivastagii
  • baazpurs, sarzanish
  • paka.Dne kii jagah, dastaa, qabzaa, muuTh
  • tasallut, Galba
  • (kiimiya) haa.iDrojan ke ek jauhar kii quvvat-e-tar kebii, kisii jauhar kii kaabiliyat-e-imatizaaj

गिरिफ़्त के यौगिक शब्द

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प्रीत

प्यार, मुहब्बत, इशक़, दोस्ती, याराना, सुभगता, अनुराग, मोह, आसक्ति

प्रीत-पत्र

प्रीत-नदी

नरक की वह नदी जिसे मृत आत्माओं को पार करना पड़ता है।

प्रीत न टूटे अन-मिले उत्तम मन की लाग, सौ जुग पानी में रहे चकमक तजे न आग

सच्चा प्रेम अनुपस्थिति में नहीं जाती जिस तरह चक़माक़ पानी में रहने से आग नहीं खोता

प्रीत न जाने जात कुजात नींद न जाने टूटी खाट, भूक न जाने बासी भात प्यास न जाने धोबी घाट

प्रेम करते समय कोई ये नहीं सोचता कि उस का प्रेमी किस जाति या वर्ण का है, जिस तरह नींद हर जगह और हर हालत में आ जाती है और भूख में मनुष्य को बासी रोटी भी अच्छी मालूम होती है और प्यास लगी हो तो मनुष्य ये नहीं देखता कि पानी शुद्ध है या अशुद्ध

प्रीतम प्रीतम सब कहें प्रीतम जाने न कोय, एक बार जो प्रीतम मिले सदा आनंद फिर होय

हर एक प्रेम करता है परंतु प्रेम की समझ किसी को नहीं

प्रीतम हर से नेह कर जैसे खेत किसान, घाटे दे और डंड भरे फेर खेत से ध्यान

ईश्वर से प्रेम इस तरह होनी चाहिये जिस तरह किसान को अपने खेत से होती है गरचे हानि उठाता है परंतु उसे छोड़ता नहीं

प्रीतम

जिस से बहुत ज़्यादा मुहब्बत हो, चहेता, महबूब, शौहर, प्रेमी, आशिक़, माशूक़, प्रियतम, पति, जो सबसे अधिक प्रिय हो, परम प्रिय

प्रीत डगर जब पग रखा होनी होय सो हो, नेह नगर की रीत है तन मन दीनो खो

प्रेम में भू-लोक एवं परलोक कहीं का होश नहीं रहता, मनुष्य बे-परवाह हो जाता है

प्रीत लगाना

प्रीत की रीत

प्रीत की रीत निराली

प्रीत न जाने जात कुजात

मुहब्बत करते वक़्त कोई ये नहीं सोचता कि इस का महबूब किस ज़ात या क़ौम का है

बिश्न-प्रीत

जगत-प्रीत

दुनिया की ख़ुशी

बिशन-प्रीत-दार

बिन बहू प्रीत नहीं

ससुर अपने जमाई को तभी तक प्यार करता है जब तक उसकी लड़की जीवित रहती है

मुँह देखे की प्रीत

बे भई के प्रीत नहीं

जब तक किसी से ख़ौफ़ या अंदेशा नहीं होता इस से मुहब्बत नहीं होती

रक्खे तो प्रीत, नहीं तो पलीत

यदि प्रेम को सदैव निश्चित रक्खे तो बहुत अच्छी बात है वर्ना बहुत बुरी

बिन भाए प्रीत नहीं, बिन परिचय प्रतीत नहीं

जब तक मन आकर्षित न हो प्रेम नहीं होता और जब तक किसी को परख न लिया जाए उसका भरोसा नहीं होता

राई भर सगाई पेठा भर प्रीत

ज़रा सा रिश्ता बहुत सी मुहब्बत से बेहतर है

जैसा देखे गाँव की रीत तैसन करे लोग से प्रीत

रुक: जैसा देस वैसा भेस , जैसे लोग हूँ वैसा उन से बरताओ करे

बालू की भीत ओछे का संग, परतुरिया की प्रीत तितली का रंग

ओछे या तुच्छ की मित्रता कभी यथावत अर्थात निश्चित नहीं रह सकती जिस तरह कि रंडी या किसी की मुहब्बत जो तितली के रंग की तरह मनमोहक होने के अतिरिक्त समाप्त हो जाती है

चातुर तो बैरी भला मूरख भला न मीत, साध कहें हैं मत करो को मूरख से प्रीत

बुद्धिमान शत्रु मूर्ख दोस्त से अच्छा होता है इस लिए मूर्ख से दोस्ती नहीं करनी चाहिये

गोरी तेरे संग में गई 'उमरिया बीत, अब चाली संग छोड़ के ये न रीत प्रीत

मरते समय आदमी आत्मा से कहता है कि हे प्रेमिका तेरे साथ आयु बीत गई, अब तू साथ छोड़ रही है तो ये प्रेम के विरुद्ध है

ओछे की प्रीत , कटारी का मरना , बालू की भीत अटारी का चढ़ना

कमज़र्फ़ की दोस्ती में सरासर नुक़्सान

कभी की प्रीत मर्रन की रीत

कीनावर की दोस्ती में मरने का ताज्जुब नहीं बल्कि रस्म है दोस्ती में जान भी देनी पड़ती है

ओछे की प्रीत और बालू की भीत

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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