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रूखी-सूखी

रुखा-सूखा स्त्री., साधारण खाना, किसी जान-पहचान से ऐसे वयवहार करना जैसे अंजन हो, बेमन से बातचीत, अहंकार, घमंड

रूखी-सूखी में मगन रहना

दिवालियेपन में भी ख़ुश रहना, हर स्थिति में ख़ुश रहना

रूखी-सूखी खा के ठंडा पानी पी

हर हाल में ईश्वर का कृतज्ञ रहना चाहिए, हर आकार में प्रसन्न रहना चाहिए, हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा कर, हर हाल में ख़ुश रहना चाहिए

रूखी-सूखी रोटी

किसी तरह के सालन या शोरबे के बिना, औपचारिकता के बग़ैर सादा खाना

घी गिर गया तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही बड़ी बात है

घी गिर पड़ा तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

देख बिगानी झोंपड़ी मत तरसावे जी, रूखी सूखी खा के ठंडा पानी पी

रुक : देख बग्गानी चमड़ी मत अलख

किस की हालत देख कर मत ललचावे जी, अजी रूखी सूखी खा कर ठंडा पानी पी

किसी की अच्छी चीज़ देख कर लालच नहीं करना चाहिए जो कुछ मिले इस पर क़नाअत करनी चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में घी-चुपड़ी के अर्थदेखिए

घी-चुपड़ी

ghii-chup.Diiگھی چُپْڑی

स्रोत: हिंदी

घी-चुपड़ी के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • घी लगी हुई, अर्थात: अच्छा खाना (रूखी-सूखी के विपरीत)

گھی چُپْڑی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • گھی لگی ہوئی، مراد: اچھا کھانا (روکھی سوکھی کے مقابل)

Urdu meaning of ghii-chup.Dii

  • Roman
  • Urdu

  • ghii lagii hu.ii, muraadah achchhaa khaanaa (ruukhii suukhii ke muqaabil

घी-चुपड़ी के पर्यायवाची शब्द

खोजे गए शब्द से संबंधित

रूखी-सूखी

रुखा-सूखा स्त्री., साधारण खाना, किसी जान-पहचान से ऐसे वयवहार करना जैसे अंजन हो, बेमन से बातचीत, अहंकार, घमंड

रूखी-सूखी में मगन रहना

दिवालियेपन में भी ख़ुश रहना, हर स्थिति में ख़ुश रहना

रूखी-सूखी खा के ठंडा पानी पी

हर हाल में ईश्वर का कृतज्ञ रहना चाहिए, हर आकार में प्रसन्न रहना चाहिए, हर हाल में अल्लाह का शुक्र अदा कर, हर हाल में ख़ुश रहना चाहिए

रूखी-सूखी रोटी

किसी तरह के सालन या शोरबे के बिना, औपचारिकता के बग़ैर सादा खाना

घी गिर गया तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही बड़ी बात है

घी गिर पड़ा तो रूखी सूखी ही भाती है

जब कुछ नहीं होता तो थोड़ा ही ग़नीमत है, मजबूरी और शर्मिंदगी को छिपाने के लिए बात टालने के मौक़ा पर कहते हैं

देख बिगानी झोंपड़ी मत तरसावे जी, रूखी सूखी खा के ठंडा पानी पी

रुक : देख बग्गानी चमड़ी मत अलख

किस की हालत देख कर मत ललचावे जी, अजी रूखी सूखी खा कर ठंडा पानी पी

किसी की अच्छी चीज़ देख कर लालच नहीं करना चाहिए जो कुछ मिले इस पर क़नाअत करनी चाहिए

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