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गुल-रू

फूल जैसे चेहरे वाली

गुल-रूयों

गुलाब के से चहरे वाला, प्रतीकात्मक: सुंदरियां, प्रिय

गुल-आराई

फूलों से सजावट करना, फूलों की सजावट

गुल-दोज़ी

फूल काढ़ना, गुलأबूटे बनाना, फूलों से लिबास या कपड़े को सजाने का काम

गोल-रौज़न

गोल सुराख़, गोल छिद्र

गुल-दोज़

ऐसा कपड़ा या लिबास जिस पर फूल या बूटे कढ़े हुए हूँ

गोल-दूदा

کیچوا یا خاص طور پر کیچوے نما کوئی جان دار جو نقاریہ جان داروں کی انتڑیوں سے چپٹا رہتا ہے، پیٹ کا کیڑا ، جسم کے اندر رہنے والا باریک کیڑا.

गोल-रूप

round-shaped, round

गुल-रुख़

फूल-जैसे सुंदर, सुकोमल और सुकुमार मुखवाली नायिका, जिसका चेहरा फूल जैसा हो, पुष्पमुखी

गुल-ए-ख़ुद-रू

जो फूल बोया न गया हो बल्कि अपने आप उगा हो

रू-ए-गुलगूँ

सुरख़ चेहरा

शाह ख़ानम की आँखें दुखती हैं, शहर के चराग़ दीए गुल कर दो

ऐसी नाज़ुक मिज़ाज और मुतकब्बिर हैं कि अपनी तकलीफ़ के साथ औरों को भी तकलीफ़ देने से परहेज़ नहीं करतीं, अपनी तकलीफ़ और मुसीबत में औरों को मुबतला करना

गुल-ए-ख़ुद-रौ

जो फूल बोया न गया हो बल्कि अपने आप उगा हो

दो गाल हँसना बोलना

दोस्तों में थोड़ा सा हंसी मज़ाक़ करना, थोड़ी सी ख़ुश गपीयाँ करना, थोड़ा वक़्त बेफ़िकरी से गुज़ारना

दो गाल हँस बोल लेना

दोस्तों में थोड़ा सा हंसी मज़ाक़ करना, थोड़ी सी ख़ुश गपीयाँ करना, थोड़ा वक़्त बेफ़िकरी से गुज़ारना

गुल-ओ-बुलबुल की शा'इरी

प्रेम की कविता, वसंत की कविता

हर गुल-ए-रा रंग-ओ-बू-ए-दीगर अस्त

(فارسی کہاوت اُردو میں مستعمل) ہر پھول کا رنگ اور خوش بو جدا ہے ؛ ہر شخص میں کچھ باتیں ایسی ہوتی ہیں جو دوسروں میں نہیں ہوتیں ، ہر ایک کا انداز جداگانہ ہے ۔ (جب کہیں ایسی خبریں دیکھتے ہیں جو ایک دوسرے سے نہیں ملتیں تو اس موقعے پر بھی یہ کہاوت استعمال کرتے ہیں) ۔

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में घड़ी में गाँव जले नौ घड़ी का भद्रा के अर्थदेखिए

घड़ी में गाँव जले नौ घड़ी का भद्रा

gha.Dii me.n gaa.nv jale nau gha.Dii kaa bhadraaگَھڑی میں گاؤں جَلے نَو گَھڑی کا بَھدْرا

अथवा : घड़ी में घर जले नौ घड़ी का भद्रा

कहावत

घड़ी में गाँव जले नौ घड़ी का भद्रा के हिंदी अर्थ

  • मुसीबत एक दम में आती है जबकि ख़ुशी की घड़ी देर में आती है
  • ज्योतिषियों पर व्यंग है कि एक आफ़त ने तो काम कर दिया अब भविष्य की आफ़तों को कौन झेल सकेगा या किस तरह झेला जाएगा
  • गाँव में आग लग गई है, पर नौ घड़ी तक भग नक्षत्र है, जिसमें कोई काम नहीं किया जाता इसलिए अब आग कैसे बुझे

    विशेष पाठा.-घड़ी में घर...। आवश्यक कार्य के लिए टालमटोल करने पर कहावत है। ज्योतिषियों पर व्यंग्य भी कहावत में है। वे हर काम शुभ घड़ी में ही करने को कहते हैं।

گَھڑی میں گاؤں جَلے نَو گَھڑی کا بَھدْرا کے اردو معانی

Roman

  • مصیبت ایک دم میں آتی ہے جبکہ خوشی کی گھڑی دیر میں آتی ہے
  • نجومیوں پر طنز ہے کہ ایک آفت نے تو کام کر دیا اب آئندہ کی آفتوں کو کون جھیل سکے گا یا کس طرح جھیلا جائے گا
  • گاؤں میں آگ لگ گئی ہے لیکن نو گھڑی تک 'بھَگ نَشَکۡتر' ہے، جس میں کوئی کام نہیں کیا جاتا اس لئے اب آگ کیسے بجھے

Urdu meaning of gha.Dii me.n gaa.nv jale nau gha.Dii kaa bhadraa

Roman

  • musiibat ek dam me.n aatii hai jabki Khushii kii gha.Dii der me.n aatii hai
  • nujuumiyo.n par tanz hai ki ek aafat ne to kaam kar diyaa ab aa.indaa kii aafto.n ko kaun jhiil sakegaa ya kis tarah jhelaa jaa.egaa
  • gaanv me.n aag lag ga.ii hai lekin nau gha.Dii tak 'bhag nashakৡtar' hai, jis me.n ko.ii kaam nahii.n kiya jaataa is li.e ab aag kaise bujhe

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गुल-रू

फूल जैसे चेहरे वाली

गुल-रूयों

गुलाब के से चहरे वाला, प्रतीकात्मक: सुंदरियां, प्रिय

गुल-आराई

फूलों से सजावट करना, फूलों की सजावट

गुल-दोज़ी

फूल काढ़ना, गुलأबूटे बनाना, फूलों से लिबास या कपड़े को सजाने का काम

गोल-रौज़न

गोल सुराख़, गोल छिद्र

गुल-दोज़

ऐसा कपड़ा या लिबास जिस पर फूल या बूटे कढ़े हुए हूँ

गोल-दूदा

کیچوا یا خاص طور پر کیچوے نما کوئی جان دار جو نقاریہ جان داروں کی انتڑیوں سے چپٹا رہتا ہے، پیٹ کا کیڑا ، جسم کے اندر رہنے والا باریک کیڑا.

गोल-रूप

round-shaped, round

गुल-रुख़

फूल-जैसे सुंदर, सुकोमल और सुकुमार मुखवाली नायिका, जिसका चेहरा फूल जैसा हो, पुष्पमुखी

गुल-ए-ख़ुद-रू

जो फूल बोया न गया हो बल्कि अपने आप उगा हो

रू-ए-गुलगूँ

सुरख़ चेहरा

शाह ख़ानम की आँखें दुखती हैं, शहर के चराग़ दीए गुल कर दो

ऐसी नाज़ुक मिज़ाज और मुतकब्बिर हैं कि अपनी तकलीफ़ के साथ औरों को भी तकलीफ़ देने से परहेज़ नहीं करतीं, अपनी तकलीफ़ और मुसीबत में औरों को मुबतला करना

गुल-ए-ख़ुद-रौ

जो फूल बोया न गया हो बल्कि अपने आप उगा हो

दो गाल हँसना बोलना

दोस्तों में थोड़ा सा हंसी मज़ाक़ करना, थोड़ी सी ख़ुश गपीयाँ करना, थोड़ा वक़्त बेफ़िकरी से गुज़ारना

दो गाल हँस बोल लेना

दोस्तों में थोड़ा सा हंसी मज़ाक़ करना, थोड़ी सी ख़ुश गपीयाँ करना, थोड़ा वक़्त बेफ़िकरी से गुज़ारना

गुल-ओ-बुलबुल की शा'इरी

प्रेम की कविता, वसंत की कविता

हर गुल-ए-रा रंग-ओ-बू-ए-दीगर अस्त

(فارسی کہاوت اُردو میں مستعمل) ہر پھول کا رنگ اور خوش بو جدا ہے ؛ ہر شخص میں کچھ باتیں ایسی ہوتی ہیں جو دوسروں میں نہیں ہوتیں ، ہر ایک کا انداز جداگانہ ہے ۔ (جب کہیں ایسی خبریں دیکھتے ہیں جو ایک دوسرے سے نہیں ملتیں تو اس موقعے پر بھی یہ کہاوت استعمال کرتے ہیں) ۔

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