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बहू जी

भद्र और सम्मानित महिला के लिए संबोधन

जा भी

चला जा, दूर हो जा

जाओ भी

ऐसे मौक़ा पर कहते हैं जब यह कहना हो कि तुम से कुछ न हो सका

जाओ भी

ऐसे समय पर कहते हैं जब ये कहना हो कि तुम से कुछ न होसका

खाता भी जाए और बड़ाता भी जाए

खाता है और खाने में ख़राबी भी निकालता है

जो ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो परेशानी आए उसे झेलना पड़ता है, ईश्वर की इच्छा पर सहमत होना बहुत अच्छी बात है

सुख दुख में जो रहे सहाई सजन वावा बोलें भाई

दोस्त वही है जो दुख दर्द में काम आए, दोस्त वही है जो हर हालत में काम आए

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो महज़ काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

जो कोई आवारा वो भाई हमारा

हमजिंस हमजिंस की सोहबत इख़तियार करता है, जो जैसा होता है इस के दोस्त अहबाब भी वैसे ही होते हैं

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

आओ पड़ोसन घर का भी ले जाओ

ग़लत जगह ख़र्च करना, दूसरों को देना एवं अपनों को वंचित रखना

आ पड़ोसन घर का भी ले जा

लाभ के स्थान पर हानि होने के अवसर पर प्रयुक्त

जो जान देता है वो नान भी देता है

अल्लाह ताला रज़्ज़ाक़ हक़ीक़ी है

आओ पड़ोसन घर से भी ले जाओ

किसी लाभ की आशा में हानि होने पर प्रयुक्त

उत दाता देवे ऐसे जो ले दाता नाम, इत भी सगरे ठीक हों उस के करतब काम

जो ईश्वर को याद करे ईश्वर उसे ख़ूब देता है और उसके काम संवर जाते हैं

उत दाता देवे उसे जो ले दाता नाम, इत भी सगरे ठीक हों उस के करतब काम

जो ईश्वर को याद करे ईश्वर उसे ख़ूब देता है और उसके काम संवर जाते हैं

धड़ी के पान बनैनी खाए , कहो भाई घर रहे या जाए

बख़ील आदमी अदना ख़र्च से घबराता है

जो न भाए आप को , वो दे बहू के बाप को

(ओ) उस जगह बोलते हैं जहान कोई शख़्स दूसरे के लिए वो बात करे जो ख़ुद के लिए नापसंद हो

आओ पड़ोसन पीर घर का भी ले जाओ

ग़लत जगह ख़र्च करना, दूसरों को देना एवं अपनों को वंचित रखना

जो पूत दरबारी भए, देव पित्तर सब से गए

जो सरकार की नौकरी करे वो किसी काम का नहीं रहता

मूल न वा सूँ भय करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

आप के भी सदक़े हो जाइए

बड़े मूर्ख हैं

बद बदी से न जाए तो नेक नेकी से भी न जाए

चाहे बुरा आदमी अपनी बुराई से बाज़ ना आए मगर नेक को अपनी नेकी नहीं छोड़ना चाहिए

बड़ी बहू को बुलाओ जो खीर में नमक डाले

किसी होशियार के हाथ से काम बिगड़ जाने पर व्यंगात्मक तौर पर प्रयुक्त है

मूल न वा सूँ भाए करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

मत कर सास बुराई, तेरे आगे भी जाई

बहू सास से कहती है कि तू मेरे साथ बुराई करती है हालाँकि तेरी भी बेटी है और जैसा तू मेरे साथ करती है वैसा कोई तेरी बेटी के साथ करेगा

मत कर सास बुराई तेरे भी आगे जाई

बहू सास से कहती है कि तू मेरे साथ बुराई करती है हालाँकि तेरी भी बेटी है और जैसा तू मेरे साथ करती है वैसा कोई तेरी बेटी के साथ करेगा

जिए मेरा भाई गली गली भौजाई

यानी रुपया होगा तो ख़िदमतगुज़ार और हर किस्म की चीज़ मिल जाएगी या असल से नक़ल बहुत हो जाती है

क़ाज़ी जी के घर के चूहे भी सयाने

हाकिम या धनी व्यक्ति के घर का सबसे छोटा आदमी भी चालाक और चतुर होता है

बड़ी बहू को बुलाओ जो खीर में नून डाले

किसी होशियार के हाथ से काम बिगड़ जाने पर व्यंगात्मक तौर पर प्रयुक्त है

गंगा भी जाए कलवावल छाती पीटे

कलवारों पर तंज़ है कि इतना पानी ज़ाए होरहा है काश वो शराब में मिला कर बेचती , किसी को फ़ायदा हो तो बख़ील को दुख होता है , लालची हर चीज़ ख़ुद लेना चाहा है

गंगा भी जाए कलवारन छाती पीटे

कलवारों पर तंज़ है कि इतना पानी ज़ाए होरहा है काश वो शराब में मिला कर बेचती , किसी को फ़ायदा हो तो बख़ील को दुख होता है , लालची हर चीज़ ख़ुद लेना चाहा है

क़ाज़ी जी के चूहे भी सियाने

रुक : क़ाज़ी के घर के चूहे भी सयाने

ये भी सिक्शा नाथ जी कह गए ठीकम-ठीक, खो दें आदर मान को दग़ा लोभ और भीक

धोखा लालच और भीख मनुषेय के सम्मान को खो देते हैं

जो चोरी करता है वो मोरी भी रखता है

परिणाम की चिंता पहले कर लेना चाहिए

क़ाज़ी जी के घर की मुर्ग़ी भी पढ़ी हुई होती है

रुक : क़ाज़ी के घर के चूहे भी सयाने

तेरे जीए कुत्ता भी न जीए

(ओ) तेरी ज़िंदगी से कुत्ते की ज़िंदगी भी बेहतर है

बस जाओ भी

رک : بس بیٹھو بھی.

चाहे जो भी

चाहे कोई भी हो, चाहे कुछ भी हो, जो भी हो

अब चुप भी कर जाओ

कृपया शांत हो जाएँ

आओ पीर, घर का भी ले जाओ

ग़लत जगह ख़र्च करना, दूसरों को देना एवं अपनों को वंचित रखना

चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वो भी परी है

जिस पर आदमी 'आशिक़ हो वो कुरूप भी हो तो सुंदर लगता है

कुत्ता पाले वह कुत्ता, सास घर जंवाई कुत्ता, बहन घर भाई कुत्ता, सब कुत्तों का वह सरदार जो रहवे बेटी के द्वार

कुत्ता पालने वाला, ससुराल में रहने वाला और बहन के घर रहने वाला भाई बहुत अपमानित हैं, सबसे तुच्छ एवं अपमानित वो है जो बेटी के घर रहे

आओ पूत सिला चने घर का भी ले जाओ

शाबाश बेटा घर में कुछ न छोड़ना, सब कुछ उजाड़ देना

जो चोरी करता है सो मोरी भी रखता है

परिणाम की चिंता पहले कर लेना चाहिए

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उप्जे सो भई हमारी

हर काम के परिणाम पर संतुष्ट रहना चाहिए

ऐसी बहू सयानी जो पैंचा माँगे पानी

बहू ऐसी होशियार है कि पानी भी माँगती है तो उधार (इसलिए कि दूसरे लोग उससे कभी कोई वस्तु मुफ़्त में न माँगे और यदि माँगें भी तो तुरंत लौटा दिया करें)

राम जी ने बेटा दिया वो भी मुसलमान का, हल्वा पूरी खाता नहीं टुकड़ा माँगे नान का

एक चीज़ बड़ी इच्छाओं के बाद प्राप्त हो और वो भी निष्कर्म या बेकार निकले तो कहते हैं

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उप्जी सो भई हमारी

हर काम के परिणाम पर संतुष्ट रहना चाहिए

सास मोरी मरे , सुसर मोरा जिए , नई बहूरिया के राज भए

सास मर जाये तो बहू के मज़े हो जाते हैं

मुँह मोतियों से भरा जा सकता है , सो मुँह ख़ाक से भी नहीं भरे जाते

थोड़ा सा ख़र्च मज़ा यक्का नहीं बहुत सा कहाँ से आए

जी को भाए पर मुंडिया हिलाए

जब किसी शख़्स का किसी काम या किसी चीज़ को दिल तो चाहता हो मगर ज़ाहिर में इनकार करे

राम जी ने बेटा दिया वो भी मुसलमान का, पूरी कचौरी खाता नहीं टुकड़ा माँगे नान का

एक चीज़ बड़ी इच्छाओं के बाद प्राप्त हो और वो भी निष्कर्म या बेकार निकले तो कहते हैं

बहन के घर भाई कुत्ता, सासुरे जमाई कुत्ता, कुत्ता पाले वह कुत्ता, सब कुत्तों का वह सरदार, जो बाप रहे बेटी के बार

बहन के घर भाई और ससुर के घर दामाद कुत्ते के बराबर है, जो व्यक्ति कुत्ता रक्खे वह भी कुत्ता है, परंतु सबसे बढ़कर कुत्ता वह व्यक्ति है जो अपनी बेटी के घर जा कर रहे

कुत्ता पाले वो कुत्ता, सासुरे जवाई कुत्ता, बहन के घर भाई कुत्ता,सब कुत्तों का वो सरदार जो रहे बेटी के बार

कुत्ता पालने वाला, ससुराल में रहने वाला और बहन के घर रहने वाला भाई बहुत अपमानित हैं, सबसे तुच्छ एवं अपमानित वो है जो बेटी के घर रहे

ठंडा है बर्फ़ से भी मीठा हे जैसे ओला, कुछ पास है तो दे जा नहीं पी जा राह-ए-मौला

सक़्क़ों अर्थात पानी पिलाने वालों की सदा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ग़लीज़ के अर्थदेखिए

ग़लीज़

Galiizغَلِیظ

स्रोत: अरबी

वज़्न : 121

शब्द व्युत्पत्ति: ग़-ल-त

ग़लीज़ के हिंदी अर्थ

विशेषण

शे'र

English meaning of Galiiz

Adjective

غَلِیظ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • گاڑھا، غیرسیّال (دودھ وغیرہ)
  • گوہ، فضلہ، پاخانہ، غلاظت
  • موٹا، دبیز، دل دار (کمیت و کیفیت کے اظہار کے لیے) کپڑا وغیرہ
  • کثیف، میلا، گدلا، کوڑا کرکٹ
  • گندہ، نجس، ناپاک
  • سخت، شدید، گہرا
  • بھاری، ثقیل، دیر ہضم
  • تند مزاج، سنگ دل

Urdu meaning of Galiiz

  • Roman
  • Urdu

  • gaa.Dhaa, GiirsiiXyaal (duudh vaGaira)
  • gaah, phuzlaa, paaKhaanaa, Galaazat
  • moTaa, dubaiz, dildaar (kamiiyat-o-kaifiiyat ke izhaar ke li.e) kap.Daa vaGaira
  • kasiif, melaa, gadlaa, kuu.Daa krikeT
  • gandaa, najis, naapaak
  • saKht, shadiid, gahiraa
  • bhaarii, skel, der hazam
  • tund mizaaj, sang dil

ग़लीज़ के पर्यायवाची शब्द

ग़लीज़ के यौगिक शब्द

ग़लीज़ के अंत्यानुप्रास शब्द

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बहू जी

भद्र और सम्मानित महिला के लिए संबोधन

जा भी

चला जा, दूर हो जा

जाओ भी

ऐसे मौक़ा पर कहते हैं जब यह कहना हो कि तुम से कुछ न हो सका

जाओ भी

ऐसे समय पर कहते हैं जब ये कहना हो कि तुम से कुछ न होसका

खाता भी जाए और बड़ाता भी जाए

खाता है और खाने में ख़राबी भी निकालता है

जो ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो परेशानी आए उसे झेलना पड़ता है, ईश्वर की इच्छा पर सहमत होना बहुत अच्छी बात है

सुख दुख में जो रहे सहाई सजन वावा बोलें भाई

दोस्त वही है जो दुख दर्द में काम आए, दोस्त वही है जो हर हालत में काम आए

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो महज़ काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

जो कोई आवारा वो भाई हमारा

हमजिंस हमजिंस की सोहबत इख़तियार करता है, जो जैसा होता है इस के दोस्त अहबाब भी वैसे ही होते हैं

रोज़ा रखे न नमाज़ पढ़े सहरी भी न खाए तो काफ़िर हो जाए

ये कहावत उन लोगों की है जो इंद्रियों के वश में रहते हैं, रोज़ा नमाज़ न सही मगर सहरी ज़रूर खानी चाहिए

आओ पड़ोसन घर का भी ले जाओ

ग़लत जगह ख़र्च करना, दूसरों को देना एवं अपनों को वंचित रखना

आ पड़ोसन घर का भी ले जा

लाभ के स्थान पर हानि होने के अवसर पर प्रयुक्त

जो जान देता है वो नान भी देता है

अल्लाह ताला रज़्ज़ाक़ हक़ीक़ी है

आओ पड़ोसन घर से भी ले जाओ

किसी लाभ की आशा में हानि होने पर प्रयुक्त

उत दाता देवे ऐसे जो ले दाता नाम, इत भी सगरे ठीक हों उस के करतब काम

जो ईश्वर को याद करे ईश्वर उसे ख़ूब देता है और उसके काम संवर जाते हैं

उत दाता देवे उसे जो ले दाता नाम, इत भी सगरे ठीक हों उस के करतब काम

जो ईश्वर को याद करे ईश्वर उसे ख़ूब देता है और उसके काम संवर जाते हैं

धड़ी के पान बनैनी खाए , कहो भाई घर रहे या जाए

बख़ील आदमी अदना ख़र्च से घबराता है

जो न भाए आप को , वो दे बहू के बाप को

(ओ) उस जगह बोलते हैं जहान कोई शख़्स दूसरे के लिए वो बात करे जो ख़ुद के लिए नापसंद हो

आओ पड़ोसन पीर घर का भी ले जाओ

ग़लत जगह ख़र्च करना, दूसरों को देना एवं अपनों को वंचित रखना

जो पूत दरबारी भए, देव पित्तर सब से गए

जो सरकार की नौकरी करे वो किसी काम का नहीं रहता

मूल न वा सूँ भय करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

आप के भी सदक़े हो जाइए

बड़े मूर्ख हैं

बद बदी से न जाए तो नेक नेकी से भी न जाए

चाहे बुरा आदमी अपनी बुराई से बाज़ ना आए मगर नेक को अपनी नेकी नहीं छोड़ना चाहिए

बड़ी बहू को बुलाओ जो खीर में नमक डाले

किसी होशियार के हाथ से काम बिगड़ जाने पर व्यंगात्मक तौर पर प्रयुक्त है

मूल न वा सूँ भाए करो जो नर करे ग़ुरूर, जो नर साईं से डरे वा से डरो ज़रूर

घमंडी व्यक्ति से बिलकुल न डरो परंतु जो ईश्वर से डरे उससे अवश्य डरो

मत कर सास बुराई, तेरे आगे भी जाई

बहू सास से कहती है कि तू मेरे साथ बुराई करती है हालाँकि तेरी भी बेटी है और जैसा तू मेरे साथ करती है वैसा कोई तेरी बेटी के साथ करेगा

मत कर सास बुराई तेरे भी आगे जाई

बहू सास से कहती है कि तू मेरे साथ बुराई करती है हालाँकि तेरी भी बेटी है और जैसा तू मेरे साथ करती है वैसा कोई तेरी बेटी के साथ करेगा

जिए मेरा भाई गली गली भौजाई

यानी रुपया होगा तो ख़िदमतगुज़ार और हर किस्म की चीज़ मिल जाएगी या असल से नक़ल बहुत हो जाती है

क़ाज़ी जी के घर के चूहे भी सयाने

हाकिम या धनी व्यक्ति के घर का सबसे छोटा आदमी भी चालाक और चतुर होता है

बड़ी बहू को बुलाओ जो खीर में नून डाले

किसी होशियार के हाथ से काम बिगड़ जाने पर व्यंगात्मक तौर पर प्रयुक्त है

गंगा भी जाए कलवावल छाती पीटे

कलवारों पर तंज़ है कि इतना पानी ज़ाए होरहा है काश वो शराब में मिला कर बेचती , किसी को फ़ायदा हो तो बख़ील को दुख होता है , लालची हर चीज़ ख़ुद लेना चाहा है

गंगा भी जाए कलवारन छाती पीटे

कलवारों पर तंज़ है कि इतना पानी ज़ाए होरहा है काश वो शराब में मिला कर बेचती , किसी को फ़ायदा हो तो बख़ील को दुख होता है , लालची हर चीज़ ख़ुद लेना चाहा है

क़ाज़ी जी के चूहे भी सियाने

रुक : क़ाज़ी के घर के चूहे भी सयाने

ये भी सिक्शा नाथ जी कह गए ठीकम-ठीक, खो दें आदर मान को दग़ा लोभ और भीक

धोखा लालच और भीख मनुषेय के सम्मान को खो देते हैं

जो चोरी करता है वो मोरी भी रखता है

परिणाम की चिंता पहले कर लेना चाहिए

क़ाज़ी जी के घर की मुर्ग़ी भी पढ़ी हुई होती है

रुक : क़ाज़ी के घर के चूहे भी सयाने

तेरे जीए कुत्ता भी न जीए

(ओ) तेरी ज़िंदगी से कुत्ते की ज़िंदगी भी बेहतर है

बस जाओ भी

رک : بس بیٹھو بھی.

चाहे जो भी

चाहे कोई भी हो, चाहे कुछ भी हो, जो भी हो

अब चुप भी कर जाओ

कृपया शांत हो जाएँ

आओ पीर, घर का भी ले जाओ

ग़लत जगह ख़र्च करना, दूसरों को देना एवं अपनों को वंचित रखना

चुड़ैल पर दिल आ जाए तो वो भी परी है

जिस पर आदमी 'आशिक़ हो वो कुरूप भी हो तो सुंदर लगता है

कुत्ता पाले वह कुत्ता, सास घर जंवाई कुत्ता, बहन घर भाई कुत्ता, सब कुत्तों का वह सरदार जो रहवे बेटी के द्वार

कुत्ता पालने वाला, ससुराल में रहने वाला और बहन के घर रहने वाला भाई बहुत अपमानित हैं, सबसे तुच्छ एवं अपमानित वो है जो बेटी के घर रहे

आओ पूत सिला चने घर का भी ले जाओ

शाबाश बेटा घर में कुछ न छोड़ना, सब कुछ उजाड़ देना

जो चोरी करता है सो मोरी भी रखता है

परिणाम की चिंता पहले कर लेना चाहिए

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उप्जे सो भई हमारी

हर काम के परिणाम पर संतुष्ट रहना चाहिए

ऐसी बहू सयानी जो पैंचा माँगे पानी

बहू ऐसी होशियार है कि पानी भी माँगती है तो उधार (इसलिए कि दूसरे लोग उससे कभी कोई वस्तु मुफ़्त में न माँगे और यदि माँगें भी तो तुरंत लौटा दिया करें)

राम जी ने बेटा दिया वो भी मुसलमान का, हल्वा पूरी खाता नहीं टुकड़ा माँगे नान का

एक चीज़ बड़ी इच्छाओं के बाद प्राप्त हो और वो भी निष्कर्म या बेकार निकले तो कहते हैं

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उप्जी सो भई हमारी

हर काम के परिणाम पर संतुष्ट रहना चाहिए

सास मोरी मरे , सुसर मोरा जिए , नई बहूरिया के राज भए

सास मर जाये तो बहू के मज़े हो जाते हैं

मुँह मोतियों से भरा जा सकता है , सो मुँह ख़ाक से भी नहीं भरे जाते

थोड़ा सा ख़र्च मज़ा यक्का नहीं बहुत सा कहाँ से आए

जी को भाए पर मुंडिया हिलाए

जब किसी शख़्स का किसी काम या किसी चीज़ को दिल तो चाहता हो मगर ज़ाहिर में इनकार करे

राम जी ने बेटा दिया वो भी मुसलमान का, पूरी कचौरी खाता नहीं टुकड़ा माँगे नान का

एक चीज़ बड़ी इच्छाओं के बाद प्राप्त हो और वो भी निष्कर्म या बेकार निकले तो कहते हैं

बहन के घर भाई कुत्ता, सासुरे जमाई कुत्ता, कुत्ता पाले वह कुत्ता, सब कुत्तों का वह सरदार, जो बाप रहे बेटी के बार

बहन के घर भाई और ससुर के घर दामाद कुत्ते के बराबर है, जो व्यक्ति कुत्ता रक्खे वह भी कुत्ता है, परंतु सबसे बढ़कर कुत्ता वह व्यक्ति है जो अपनी बेटी के घर जा कर रहे

कुत्ता पाले वो कुत्ता, सासुरे जवाई कुत्ता, बहन के घर भाई कुत्ता,सब कुत्तों का वो सरदार जो रहे बेटी के बार

कुत्ता पालने वाला, ससुराल में रहने वाला और बहन के घर रहने वाला भाई बहुत अपमानित हैं, सबसे तुच्छ एवं अपमानित वो है जो बेटी के घर रहे

ठंडा है बर्फ़ से भी मीठा हे जैसे ओला, कुछ पास है तो दे जा नहीं पी जा राह-ए-मौला

सक़्क़ों अर्थात पानी पिलाने वालों की सदा

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