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साझी

साझेदार, शरीक, हिस्सादार

साझी-दार

साझी, भागीदार, हिस्सादार

साझी साझी मिल गए झूटे पड़े बसीठ

फ़रीक़ैन आपस में एक हो गए दरमयान में आने वालों को ख़िफ़्फ़त उठानी पड़ी

साँझी

दसहरे के समय मंदिरों में गोबर की बनाई हुई मूर्तियां (जो मूर्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं)

साझी होना

शरीक होना, मिल जाना

साझी करना

साझा करना

साझी बनना

become a partner, enter into partnership (with)

साझिया

(दुकानदारी) व्यावसायिक व्यवसाय में भागीदार, हिस्सेदार

आधी का साझी बराबर की चोट

आधे का भगीदार प्रतिद्वंदी होता है

आधे का साझी बराबर की चोट

साझी या हिस्सेदार का हक़ बराबर होता है

गोबर की साँझी भी फरिया ओढ़े अच्छी लगती है

कुरूप भी शृंगार की वजह से सुंदर लगती है, सज्जा बड़ी चीज़ है

गोबर की साँझी

गोबर की छोटी सी मूर्ती जो हिंदू लड़कियाँ भादों के महीने में बनाती हैं

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ग़ैर-अख़लाक़ी के अर्थदेखिए

ग़ैर-अख़लाक़ी

Gair-aKHlaaqiiغَیر اَخْلاقی

स्रोत: अरबी

वज़्न : 21222

ग़ैर-अख़लाक़ी के हिंदी अर्थ

विशेषण

  • अनैतिक, भ्रष्ट, चरित्रहीन, अशिष्ट, असामाजिक, बदचलन

English meaning of Gair-aKHlaaqii

Adjective

غَیر اَخْلاقی کے اردو معانی

Roman

صفت

  • بد اطوار، بد چلن، بری عادتوں والا، غیرمہذب

Urdu meaning of Gair-aKHlaaqii

Roman

  • badaatvaar, badachlan, barii aadto.n vaala, Gair muhazzab

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साझेदार, शरीक, हिस्सादार

साझी-दार

साझी, भागीदार, हिस्सादार

साझी साझी मिल गए झूटे पड़े बसीठ

फ़रीक़ैन आपस में एक हो गए दरमयान में आने वालों को ख़िफ़्फ़त उठानी पड़ी

साँझी

दसहरे के समय मंदिरों में गोबर की बनाई हुई मूर्तियां (जो मूर्तियों का प्रतिनिधित्व करती हैं)

साझी होना

शरीक होना, मिल जाना

साझी करना

साझा करना

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साझिया

(दुकानदारी) व्यावसायिक व्यवसाय में भागीदार, हिस्सेदार

आधी का साझी बराबर की चोट

आधे का भगीदार प्रतिद्वंदी होता है

आधे का साझी बराबर की चोट

साझी या हिस्सेदार का हक़ बराबर होता है

गोबर की साँझी भी फरिया ओढ़े अच्छी लगती है

कुरूप भी शृंगार की वजह से सुंदर लगती है, सज्जा बड़ी चीज़ है

गोबर की साँझी

गोबर की छोटी सी मूर्ती जो हिंदू लड़कियाँ भादों के महीने में बनाती हैं

सरसों फूले फाग में और साँझी फूले साँझ, न फूले न फले जो तिरिया हो बाँझ

सरसों फाग में फूलती है शाम को शफ़क़ प्रकट होती है परंतु बाँझ स्त्री कभी नहीं फूलती

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