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दुखी

जिसे दुःख मिला या पहँचा हो, जिसके मन में किसी प्रकार का दुःख हो, पीड़ित, संत्रस्त, दुख से भरा हुआ, रंजीदा, परेशान, मुसीबतज़दा, उदास, बदहाल, बेचारा, निरुपाय, व्याकुल, बेचैन, अशांत, अनुशयी, अप्रसन्न, करुण, दीन, बीमार, मरीज़

दुखिया

जिसके मन में बराबर किसी तरह का दुःख बना रहता हो, जो दुःख या कष्ट में पड़ा हो, जिसे किसी प्रकार की व्यथा में हो, दुखी, पीड़ित, व्यथित, खिन्न, बीमार

दुखिया दुख रोवे सुखिया कमर टोए

दुखी और पीड़ित पर ठट्ठे मारना या किसी को बेपरवाही से जवाब देना

दुखिया रोवे सुखिया सोवे

मुसीबत का मारा आदमी तकलीफ़ में दिन गुज़ारता है, ख़ुश किस्मत मज़े करता है

दुखियारा

जिसे किसी बात का दुःख हो, दुखिया

दुखियारी

(स्त्रीवाची) दुख या विपत्ति की मारी, आफ़त की मारी, प्रताड़ित, दुखी दिल रखने वाली पीड़ित, अत्याचार का शिकार, व्यथित, पीड़ित

दुखित

जिसे दुख हो, जिसे कष्ट हो, पीड़ित, क्लेशित

कोई तन दुखी , कोई मन दुखी , दुखी सारा संसार

दुनिया में हर शख़्स किसी ना किसी तकलीफ़ या रंज में मुबतला है, दुनिया में हर शख़्स किसी ना किसी अज़ी्यत में गिरफ़्तार है, दुनिया दारालमहन है

जगत-दुखी

संसार को कष्ट देने वाला, दुनिया को तकलीफ़ देने वाला, क्रूर, निर्दयी, ज़ालिम

नल-दुखी-रस

(पशुचिकित्सा) घोड़ों का एक रोग जिसमें पिछले पैरों के उभरे हुए मांस (पुतली) से वायु संबंधी विकार के कारण दुर्गंधयुक्त पानी रिस्ता रहता है

जी दुखी होना

grieve, be distressed

जी दुखी हो जाना

तकलीफ़ या मुसीबत में होना, दिक़ होना, तकनग होना, दिल आजिज़ होना , जीना दुशवार हो जाना, बीमार होना

सदा दुखी और बख़्तावर नाम

नामौज़ूं नाम, नाम किस्मत के बरअक्स

मन में मूर्ख़ जून में दुखी कोई नहीं

स्वंय को कोई मूर्ख नहीं समझता है और न कोई जान से तंग आता है

सदा दुखी और बख़्त-आवर नाम

नामौज़ूं नाम, नाम किस्मत के बरअक्स

आप स्वार्थी सदा दुखी पर स्वार्थी सदा सुखी

स्वार्थ में हानि है और स्वार्थरहित होन में आराम है

त्रिया पुरुख बिन है दुखी जैसे अन्न बिन देह, जले बले है जेवड़ा जों खेती बिन मेंह

बिना पति के स्त्री इस तरह दुख एवं पीड़ा में रहती है जैसे शरीर बिना अनाज के और इस तरह जलती है जैसे खेती बिना बारिश के

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में फ़िक्र-ए-बुलंद के अर्थदेखिए

फ़िक्र-ए-बुलंद

fikr-e-bulandفِکْرِ بُلَنْد

वज़्न : 22121

फ़िक्र-ए-बुलंद के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, स्त्रीलिंग

  • उच्च विचार, उच्च कल्पना, आला फ़िक्र, बुलंद ख़याल

शे'र

English meaning of fikr-e-buland

Persian, Arabic - Noun, Feminine

  • high thinking, high imagination, high thought

فِکْرِ بُلَنْد کے اردو معانی

Roman

فارسی، عربی - اسم، مؤنث

  • اعلیٰ فکر، بلند تخیّل، اونچی سوچ

Urdu meaning of fikr-e-buland

Roman

  • aalaa fikr, buland taKhiiXyal, u.unchii soch

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दुखी

जिसे दुःख मिला या पहँचा हो, जिसके मन में किसी प्रकार का दुःख हो, पीड़ित, संत्रस्त, दुख से भरा हुआ, रंजीदा, परेशान, मुसीबतज़दा, उदास, बदहाल, बेचारा, निरुपाय, व्याकुल, बेचैन, अशांत, अनुशयी, अप्रसन्न, करुण, दीन, बीमार, मरीज़

दुखिया

जिसके मन में बराबर किसी तरह का दुःख बना रहता हो, जो दुःख या कष्ट में पड़ा हो, जिसे किसी प्रकार की व्यथा में हो, दुखी, पीड़ित, व्यथित, खिन्न, बीमार

दुखिया दुख रोवे सुखिया कमर टोए

दुखी और पीड़ित पर ठट्ठे मारना या किसी को बेपरवाही से जवाब देना

दुखिया रोवे सुखिया सोवे

मुसीबत का मारा आदमी तकलीफ़ में दिन गुज़ारता है, ख़ुश किस्मत मज़े करता है

दुखियारा

जिसे किसी बात का दुःख हो, दुखिया

दुखियारी

(स्त्रीवाची) दुख या विपत्ति की मारी, आफ़त की मारी, प्रताड़ित, दुखी दिल रखने वाली पीड़ित, अत्याचार का शिकार, व्यथित, पीड़ित

दुखित

जिसे दुख हो, जिसे कष्ट हो, पीड़ित, क्लेशित

कोई तन दुखी , कोई मन दुखी , दुखी सारा संसार

दुनिया में हर शख़्स किसी ना किसी तकलीफ़ या रंज में मुबतला है, दुनिया में हर शख़्स किसी ना किसी अज़ी्यत में गिरफ़्तार है, दुनिया दारालमहन है

जगत-दुखी

संसार को कष्ट देने वाला, दुनिया को तकलीफ़ देने वाला, क्रूर, निर्दयी, ज़ालिम

नल-दुखी-रस

(पशुचिकित्सा) घोड़ों का एक रोग जिसमें पिछले पैरों के उभरे हुए मांस (पुतली) से वायु संबंधी विकार के कारण दुर्गंधयुक्त पानी रिस्ता रहता है

जी दुखी होना

grieve, be distressed

जी दुखी हो जाना

तकलीफ़ या मुसीबत में होना, दिक़ होना, तकनग होना, दिल आजिज़ होना , जीना दुशवार हो जाना, बीमार होना

सदा दुखी और बख़्तावर नाम

नामौज़ूं नाम, नाम किस्मत के बरअक्स

मन में मूर्ख़ जून में दुखी कोई नहीं

स्वंय को कोई मूर्ख नहीं समझता है और न कोई जान से तंग आता है

सदा दुखी और बख़्त-आवर नाम

नामौज़ूं नाम, नाम किस्मत के बरअक्स

आप स्वार्थी सदा दुखी पर स्वार्थी सदा सुखी

स्वार्थ में हानि है और स्वार्थरहित होन में आराम है

त्रिया पुरुख बिन है दुखी जैसे अन्न बिन देह, जले बले है जेवड़ा जों खेती बिन मेंह

बिना पति के स्त्री इस तरह दुख एवं पीड़ा में रहती है जैसे शरीर बिना अनाज के और इस तरह जलती है जैसे खेती बिना बारिश के

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