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हाँ तो

सिलसिला-ए-कलाम मुनक़ते होने के बाद फिर सिलसिला क़ायम करने के मौके़ पर मुस्तामल, रब्त-ए-कलाम के लिए

हों तो ऐसे हों

किसी की तारीफ़ के मौके़ पर कहते हैं

जाट कहे सुन जाटनी या ही गाँव में रहना, ऊँट बिलय्या ले गई तो हाँ जी हाँ जी कहना

बस्ती वालों का साथ देकर ही वहाँ रहा जा सकता है

अशराफ़ के लड़के बिगड़ते हैं तो भड़वे बनते हैं

भले आदमियों के लड़के कुसंग में पड़कर जब बिगड़ते हैं तो फिर किसी काम के नहीं रहते

आंखें तो बड़ी बड़ी हैं

(व्यंगात्मक) सामने की वसतु नहीं सूझती

चार बासन होते हैं तो खड़कते भी हैं

रुक : जहां चार बर्तन अलख, जहां चार आदमी जमा होते हैं तकरार भी हो जाती है

शेर मारता है तो सौ गीदड़ खाते हैं

बलंद हिम्मत और आली ज़र्फ़ लोग अपनी कमाई का बेशतर हिस्सा ज़रूरतमंदों पर सिर्फ़ करदेते हैं

सदा मियाँ घोड़े ही तो ख़रीदा करते हैं

जब कोई शख़्स अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और ताली की लेता है तो अज़राह-ए-तंज़ कहते हैं शेखी ख़ोरे पर तंज़ है

तेरे तो कुछ लछन से झड़ गए हैं

तेरे बुरे दिन आ पहुंचे हैं , तेरे चेहरे की रौनक जाती रही

अल्लाह दो सींग देवे तो वो भी क़ुबूल हैं

ईश्वर जो भी कष्ट सहावे सहना पड़ता है, ईश्वरेच्छा पर प्रसन्न होना चाहिए

शेर मारता है तो सौ लोमड़ियाँ खाती हैं

बलंद हिम्मत और आली ज़र्फ़ लोग अपनी कमाई का बेशतर हिस्सा ज़रूरतमंदों पर सिर्फ़ करदेते हैं

जो ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

वो तो बड़े ही भले मानुस हैं

वह बहुत नटखट हैं अर्थात बहुत भले हैं

दो लड़ते हैं तो एक गिरता है

जब दो आदमीयों में लड़ाई होती है और एक हारता है तो हारने वाले की तसल्ली के लिए बोलते हैं

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो परेशानी आए उसे झेलना पड़ता है, ईश्वर की इच्छा पर सहमत होना बहुत अच्छी बात है

आप तो वलीउल्लाह हैं

किसी को साफ़-साफ़ मूर्ख और बेवक़ूफ़ कहने के अवसर पर प्रयुक्त

जीते थे तो राह बताते थे अब तो मरे पड़े हैं

कभी हमारी गिनती भी बुद्धिमानों में थी अब तो बेकार हो गए हैं

ख़ुदा दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

वली सब का अल्लाह है हम तो रखवाले हैं

सब का मालिक ईश्वर है हम तो मात्र रखवाले हैं

कौड़ी न हो तो फिर कौड़ी के तीन-तीन हैं

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

जब कमर में ज़ोर होता है तो मदार साहब भी देते हैं

बेरों फ़क़ीर वन की दुआ का तब ही असर होता है जब अपने आप भी कोशिश की जाये

ऐसे तो मेरी जेब में पड़े रहते हैं

मेरे सामने उनकी कोई वास्तविकता नहीं, मैं उनकी तुलना में अत्यधिक चालाक हूँ

पढ़े तो हैं पर गुने नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

बरसे सावन, तो हों पाँच के बावन

सावन के महीने की वर्षा से किसानों को बहुत लाभ होता है

ऐसे ऐसे तो मेरी जेब में पड़े रहते हैं

मेरे सामने उनकी कोई वास्तविकता नहीं, मैं उनकी तुलना में अत्यधिक चालाक हूँ

ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

मैं तो चराग़ सहरी हूँ

बहुत बुढ्ढा हूँ, मौत के क़रीब हूँ

दादा मरते हैं तो भोज करते हैं

हिंदू बुजुर्गों के मरने पर खूब मजे उड़ाए जाते हैं

जले तो फफूले फोड़ा ही करते हैं

बिगड़े दिल जो कुछ कहें कम है

ताल तो भोपाल ताल बाक़ी सब तलय्याँ हैं

किसी चीज़ की बहुत तारीफ़ करना हो तो कहते हैं

कोई जले तो जलने दो मै आप ही जलता हूँ

मैं आप ही मुसीबत में गिरफ़्तार, हूँ मुझे किसी की मुसीबत से किया

ख़ुदा दो सींग भी दे, तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

पढ़े तो हैं पर गुणी नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

चार हाथ पाँव तो सब के हैं

हर व्यक्ति को कुछ न कुछ सामर्थ्य प्राप्त है

पैजामा सीते हैं तो पहले पेशाब की राह रख लेते हैं

हर काम में आक़िबत अंदेशी ज़रूर चाहिए

काजल तो सब लगाते हैं, पर चितवन भाँत भाँत

काजल या सुर्मा सब आँखों में लगाते हैं परंतु किसी किसी को भला लगता है

कोई जलता है तो जलने दो, मैं आप ही जलता हूँ

में आप ही मुसीबत में हूँ, किसी की मुसीबत से मुझे क्या ग़रज़

मैं तो बिन दामों गुलाम हूँ

मैं तो आपका फ़्री का ग़ुलाम हूँ मैं तो आज्ञाकारी हूँ

गूजर राँघड़ दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

राँघड़ गूजर दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

देखो तो मैं क्या करता हूँ

(सम्मानजनक शब्द) मेरा हुनर अब आप देखिये, मेरी चतुराई अब आप देखिये

यही हथकंडे हैं तो ख़ुदा हाफ़िज़

यही चालाकियाँ रहीं तो एक न एक दिन ज़रूर मुसीबत में फँसेगा

जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है

ईश्वर की स्तुति में कहते हैं

पीर आप तो दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करेंगे

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

आँखें हों तो तुम देखो

अंत्रदृष्टी हो तो तुम्हें सत्य पता चले

दमड़ी की हंडिया लेते हैं तो ठोक बजा कर लेते हैं

कोई साधारण वस्तु भी लो तो अच्छी तरह जाँच कर लो, हर काम सोच समझ कर करना चाहिए

जले हुए तो पत्थर मारा करते हैं

जो व्यक्ति मुसीबत में हो वह जल्द लड़ने के लिए तैयार हो जाता है

ब्याह नहीं किया बरात तो देखी हैं

ख़ुद किसी काम को नहीं किया, मगर दूसरों के हाँ होते तो देखा है जिस की बना पर इस का तजुर्बा है

दमड़ी की हाँडी लेते हैं तो उसे भी ठोंक बजा कर लेते हैं

कोई साधारण वस्तु भी लो तो अच्छी तरह जाँच कर लो, हर काम सोच समझ कर करना चाहिए

दिन अछे होते हैं तो कंकर जवाहर बन जाते हैं

जब भाग्य अच्छा होता है तो अच्छे काम अपने आप हो जाते हैं

बाजरा कहे में हूँ अकेला दो मोसली से लड़ूँ अकेला जो मेरी ताजो खिचड़ी खाए तो तुरत बोलता ख़ुश हो जाए

एक कहावत जो बाजरे की प्रशंसा में प्रयुक्त, परयायवाची: यदि सुंदर स्त्री बाजरा खाए तो बहुत प्रसन्न हो

आप डाल-डाल हैं तो में पात-पात

मैं आप से अधिक होशियार हूँ

ये भी अपने वक़्त के हातिम ताई हैं

(व्यंग्यात्मक) बहुत दानी हैं

यहाँ तो हम भी हैरान हैं

इस जगह तो हमारी बुद्धि भी काम नहीं करती, यहाँ समझ में कुछ नहीं आता

तू हे और मैं हूँ

अब और कोई नहीं, अब ऐसा बदला लूंगा कि तो भी याद करे

हुन बरसे तो क्यों तरसे

ईश्वर दे तो क्यों मन ललचाए, अल्लाह अलौकिक रूप से दे तो तरसते क्यों हो

ये तो कबीर भी कह गए हैं

ये तो मुस्लिमा बात है, ये बात तो और सब बुज़ुर्गों की तस्लीम की हुई है, उसे तो आरिफ़ बिल्लाह भी मानते हैं ये तो मानी हुई और तस्लीम की हुई बात है

चौबे मरें तो बंदर हों, बंदर मरें तो चौबे हों

चौबे मथुरा से बाहर नहीं निकलते और वहाँ बंदर भी बहुत हुए हैं

बराती तो खा पी कर अलग हो जाते हैं , काम दूल्हा दुल्हन से पड़ता है

مصیبت کے وقت کا کوئی ساتھی نہیں ہوتا .

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में फ़ी-अमानिल्लाह के अर्थदेखिए

फ़ी-अमानिल्लाह

fii-amaanillaahفی اَمانِ اللہ

स्रोत: अरबी

वज़्न : 212221

वाक्य

फ़ी-अमानिल्लाह के हिंदी अर्थ

क्रिया-विशेषण

  • ईश्वर की रक्षा में, अर्थात् ईश्वर रक्षा करे, किसी को बिदा करते समय कहते हैं

शे'र

English meaning of fii-amaanillaah

Adverb

  • goodbye, May you be in the protection of Allah

فی اَمانِ اللہ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فعل متعلق

  • خدا حافظ، اللہ کی حفاظت میں، اللہ کی امان میں، اللہ کے سپرد (کسی کو رخصت کرنے کا وداعی کلمہ)

Urdu meaning of fii-amaanillaah

  • Roman
  • Urdu

  • Khudaahaafiz, allaah kii hifaazat men, allaah kii amaan men, allaah ke sapurd (kisii ko ruKhast karne ka vidaa.ii kalima

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हाँ तो

सिलसिला-ए-कलाम मुनक़ते होने के बाद फिर सिलसिला क़ायम करने के मौके़ पर मुस्तामल, रब्त-ए-कलाम के लिए

हों तो ऐसे हों

किसी की तारीफ़ के मौके़ पर कहते हैं

जाट कहे सुन जाटनी या ही गाँव में रहना, ऊँट बिलय्या ले गई तो हाँ जी हाँ जी कहना

बस्ती वालों का साथ देकर ही वहाँ रहा जा सकता है

अशराफ़ के लड़के बिगड़ते हैं तो भड़वे बनते हैं

भले आदमियों के लड़के कुसंग में पड़कर जब बिगड़ते हैं तो फिर किसी काम के नहीं रहते

आंखें तो बड़ी बड़ी हैं

(व्यंगात्मक) सामने की वसतु नहीं सूझती

चार बासन होते हैं तो खड़कते भी हैं

रुक : जहां चार बर्तन अलख, जहां चार आदमी जमा होते हैं तकरार भी हो जाती है

शेर मारता है तो सौ गीदड़ खाते हैं

बलंद हिम्मत और आली ज़र्फ़ लोग अपनी कमाई का बेशतर हिस्सा ज़रूरतमंदों पर सिर्फ़ करदेते हैं

सदा मियाँ घोड़े ही तो ख़रीदा करते हैं

जब कोई शख़्स अपनी बिसात से बाहर क़दम रखता है और ताली की लेता है तो अज़राह-ए-तंज़ कहते हैं शेखी ख़ोरे पर तंज़ है

तेरे तो कुछ लछन से झड़ गए हैं

तेरे बुरे दिन आ पहुंचे हैं , तेरे चेहरे की रौनक जाती रही

अल्लाह दो सींग देवे तो वो भी क़ुबूल हैं

ईश्वर जो भी कष्ट सहावे सहना पड़ता है, ईश्वरेच्छा पर प्रसन्न होना चाहिए

शेर मारता है तो सौ लोमड़ियाँ खाती हैं

बलंद हिम्मत और आली ज़र्फ़ लोग अपनी कमाई का बेशतर हिस्सा ज़रूरतमंदों पर सिर्फ़ करदेते हैं

जो ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

वो तो बड़े ही भले मानुस हैं

वह बहुत नटखट हैं अर्थात बहुत भले हैं

दो लड़ते हैं तो एक गिरता है

जब दो आदमीयों में लड़ाई होती है और एक हारता है तो हारने वाले की तसल्ली के लिए बोलते हैं

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

जो ख़ुदा सर पर सींग दे तो वो भी सहने पड़ते हैं

जो परेशानी आए उसे झेलना पड़ता है, ईश्वर की इच्छा पर सहमत होना बहुत अच्छी बात है

आप तो वलीउल्लाह हैं

किसी को साफ़-साफ़ मूर्ख और बेवक़ूफ़ कहने के अवसर पर प्रयुक्त

जीते थे तो राह बताते थे अब तो मरे पड़े हैं

कभी हमारी गिनती भी बुद्धिमानों में थी अब तो बेकार हो गए हैं

ख़ुदा दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

जो कष्ट आए वो झेलना ही पड़ता है, ईश्वर की प्रसन्नता में प्रसन्न रहना अच्छी बात है

वली सब का अल्लाह है हम तो रखवाले हैं

सब का मालिक ईश्वर है हम तो मात्र रखवाले हैं

कौड़ी न हो तो फिर कौड़ी के तीन-तीन हैं

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

जब कमर में ज़ोर होता है तो मदार साहब भी देते हैं

बेरों फ़क़ीर वन की दुआ का तब ही असर होता है जब अपने आप भी कोशिश की जाये

ऐसे तो मेरी जेब में पड़े रहते हैं

मेरे सामने उनकी कोई वास्तविकता नहीं, मैं उनकी तुलना में अत्यधिक चालाक हूँ

पढ़े तो हैं पर गुने नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

बरसे सावन, तो हों पाँच के बावन

सावन के महीने की वर्षा से किसानों को बहुत लाभ होता है

ऐसे ऐसे तो मेरी जेब में पड़े रहते हैं

मेरे सामने उनकी कोई वास्तविकता नहीं, मैं उनकी तुलना में अत्यधिक चालाक हूँ

ख़ुदा सर पर दो सींग दे तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

मैं तो चराग़ सहरी हूँ

बहुत बुढ्ढा हूँ, मौत के क़रीब हूँ

दादा मरते हैं तो भोज करते हैं

हिंदू बुजुर्गों के मरने पर खूब मजे उड़ाए जाते हैं

जले तो फफूले फोड़ा ही करते हैं

बिगड़े दिल जो कुछ कहें कम है

ताल तो भोपाल ताल बाक़ी सब तलय्याँ हैं

किसी चीज़ की बहुत तारीफ़ करना हो तो कहते हैं

कोई जले तो जलने दो मै आप ही जलता हूँ

मैं आप ही मुसीबत में गिरफ़्तार, हूँ मुझे किसी की मुसीबत से किया

ख़ुदा दो सींग भी दे, तो वो भी सहे जाते हैं

ईश्वर की डाली मुसीबत सहनी पड़ती है, ईश्वर का दिया कष्ट भी स्वीकार है, ईश्वरेच्छा पर सहमत होना चाहिए

पढ़े तो हैं पर गुणी नहीं

ज्ञान तो प्राप्त कर लिया है परंतु अनुभव नहीं

चार हाथ पाँव तो सब के हैं

हर व्यक्ति को कुछ न कुछ सामर्थ्य प्राप्त है

पैजामा सीते हैं तो पहले पेशाब की राह रख लेते हैं

हर काम में आक़िबत अंदेशी ज़रूर चाहिए

काजल तो सब लगाते हैं, पर चितवन भाँत भाँत

काजल या सुर्मा सब आँखों में लगाते हैं परंतु किसी किसी को भला लगता है

कोई जलता है तो जलने दो, मैं आप ही जलता हूँ

में आप ही मुसीबत में हूँ, किसी की मुसीबत से मुझे क्या ग़रज़

मैं तो बिन दामों गुलाम हूँ

मैं तो आपका फ़्री का ग़ुलाम हूँ मैं तो आज्ञाकारी हूँ

गूजर राँघड़ दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

राँघड़ गूजर दो कुत्ता बिल्ली दो, ये चारों न हों तो खुले किवाड़ों सो

ये चारों चोरी के आदी हैं यदि ये न हों तो घरों के दरवाज़े बंद करने की आवश्यकता नहीं

देखो तो मैं क्या करता हूँ

(सम्मानजनक शब्द) मेरा हुनर अब आप देखिये, मेरी चतुराई अब आप देखिये

यही हथकंडे हैं तो ख़ुदा हाफ़िज़

यही चालाकियाँ रहीं तो एक न एक दिन ज़रूर मुसीबत में फँसेगा

जिधर देखता हूँ उधर तू ही तू है

ईश्वर की स्तुति में कहते हैं

पीर आप तो दर-माँदा हैं, शफ़ा'अत किस की करेंगे

जो स्वयं आश्रित हो वो किस के काम आएगा

आँखें हों तो तुम देखो

अंत्रदृष्टी हो तो तुम्हें सत्य पता चले

दमड़ी की हंडिया लेते हैं तो ठोक बजा कर लेते हैं

कोई साधारण वस्तु भी लो तो अच्छी तरह जाँच कर लो, हर काम सोच समझ कर करना चाहिए

जले हुए तो पत्थर मारा करते हैं

जो व्यक्ति मुसीबत में हो वह जल्द लड़ने के लिए तैयार हो जाता है

ब्याह नहीं किया बरात तो देखी हैं

ख़ुद किसी काम को नहीं किया, मगर दूसरों के हाँ होते तो देखा है जिस की बना पर इस का तजुर्बा है

दमड़ी की हाँडी लेते हैं तो उसे भी ठोंक बजा कर लेते हैं

कोई साधारण वस्तु भी लो तो अच्छी तरह जाँच कर लो, हर काम सोच समझ कर करना चाहिए

दिन अछे होते हैं तो कंकर जवाहर बन जाते हैं

जब भाग्य अच्छा होता है तो अच्छे काम अपने आप हो जाते हैं

बाजरा कहे में हूँ अकेला दो मोसली से लड़ूँ अकेला जो मेरी ताजो खिचड़ी खाए तो तुरत बोलता ख़ुश हो जाए

एक कहावत जो बाजरे की प्रशंसा में प्रयुक्त, परयायवाची: यदि सुंदर स्त्री बाजरा खाए तो बहुत प्रसन्न हो

आप डाल-डाल हैं तो में पात-पात

मैं आप से अधिक होशियार हूँ

ये भी अपने वक़्त के हातिम ताई हैं

(व्यंग्यात्मक) बहुत दानी हैं

यहाँ तो हम भी हैरान हैं

इस जगह तो हमारी बुद्धि भी काम नहीं करती, यहाँ समझ में कुछ नहीं आता

तू हे और मैं हूँ

अब और कोई नहीं, अब ऐसा बदला लूंगा कि तो भी याद करे

हुन बरसे तो क्यों तरसे

ईश्वर दे तो क्यों मन ललचाए, अल्लाह अलौकिक रूप से दे तो तरसते क्यों हो

ये तो कबीर भी कह गए हैं

ये तो मुस्लिमा बात है, ये बात तो और सब बुज़ुर्गों की तस्लीम की हुई है, उसे तो आरिफ़ बिल्लाह भी मानते हैं ये तो मानी हुई और तस्लीम की हुई बात है

चौबे मरें तो बंदर हों, बंदर मरें तो चौबे हों

चौबे मथुरा से बाहर नहीं निकलते और वहाँ बंदर भी बहुत हुए हैं

बराती तो खा पी कर अलग हो जाते हैं , काम दूल्हा दुल्हन से पड़ता है

مصیبت کے وقت کا کوئی ساتھی نہیں ہوتا .

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