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चर्ख़ा

= चरखा

चर्ख़ा पूनी करना

चर्ख़ा कात कर गुज़ारा करना, चर्ख़ा कातना

चर्ख़ा चलना

चर्ख़े पर सूत कातना

चर्ख़ा कातना

चर्ख़े पर तागा बनाना

चर्ख़ा चलाना

चर्ख़े पर सूत कातना

चर्ख़ा हो जाना

बुड्ढा या कमज़ोर हो जाना, अंजर पंजर ढीले हो जाना

चर्ख़ा सा फिरना

बहुत फिरना, आवारा फिरना

चर्ख़-ए-हफ़्तुम

सातवाँ आसमान

चर्ख़-ए-हिंडोला

एक झूला जिस पर बच्चों को चढ़ा कर चक्कर देते हैं, चक्कर लगाने वाला झूला

चर्ख़-ए-हफ़्तुमीं

सातवाँ आसमान

चर्ख़-ए-हफ़्त-तबाक़ी

सात दर्जे रखने वाला आकाश, आसमान

चर्ख़-ए-हिंडोला

एक झूला जिस पर बच्चों को चढ़ा कर चक्कर देते हैं, चक्कर लगाने वाला झूला

चर्ख़-ए-हफ़्तुम पर दिमाग़ होना

बहुत ज़्यादा घमंडी या अभिमानी होना

चर्ख़ हफ़्तुमीं तक पहुँचाना

पदवी ऊँची करना, बहुत विकास देना, अत्यधिक ऊँचाई पर पहुँचाना

खद्दर-ओ-चर्ख़ा

भारत का एक आँदोलन जो गाँधी जी ने आरंभ किया था और जिसमें विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और देशी वस्तुओं के प्रयोग पर बल दिया गया था और इस बात पर बल दिया गया था कि खद्दर का कपड़ा प्रयोग किया जाए और चर्ख़ा काता जाए, स्वदेशी आँदोलन

चले राँड का चर्ख़ा और चले बुरे का पेट

अभागी रांड को हर समय परिश्रम कर के भोजन करना पड़ता है और दुष्ट मनुष्य को असंयम होने की वजह से दस्त लगे रहते हैं

चले राँड का चर्ख़ा और बुरे का पेट

अभागी रांड को हर समय परिश्रम कर के भोजन करना पड़ता है और दुष्ट मनुष्य को असंयम होने की वजह से दस्त लगे रहते हैं

दिन भर ऊनी ऊनी , रात को चर्ख़ा पूनी

बेवक़त काम करना, दिन रायगां खोना और रात को काम करने बैठना

उल्लू सीधा होना का चर्ख़ा

رک : الو کا پٹھا.

खिचड़ी चली पकावन को चर्ख़ा तोड़ जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

लूट में चर्ख़ा भी ग़नीमत है

मुफ़्त की मामूली चीज़ भी अच्छी लगती है

दिन को ऊनी ऊनी, रात को चर्ख़ा पूनी

समय पर काम न करना, दिन में आलस्य से काम लेना और रात को काम करने बैठना

खीर पकाई जतन से चरखा दिया जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठा ढोल बजा

फूहड़ एवं मूर्ख व्यक्ति हर काम में हानि उठाता है

खिचड़ी चली पकावन को चर्ख़ा दिया जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दिन भर ऊनी ऊनी , रात को चर्ख़ा पूनी के अर्थदेखिए

दिन भर ऊनी ऊनी , रात को चर्ख़ा पूनी

din bhar uunii uunii , raat ko charKHa puuniiدِن بَھر اُونی اُونی ، رات کو چَرخَہ پُونی

कहावत

दिन भर ऊनी ऊनी , रात को चर्ख़ा पूनी के हिंदी अर्थ

  • बेवक़त काम करना, दिन रायगां खोना और रात को काम करने बैठना

دِن بَھر اُونی اُونی ، رات کو چَرخَہ پُونی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • بے وقت کام کرنا ، دن رائیگاں کھونا اور رات کو کام کرنے بیٹھنا .

Urdu meaning of din bhar uunii uunii , raat ko charKHa puunii

  • Roman
  • Urdu

  • bevqat kaam karnaa, din raaygaa.n khona aur raat ko kaam karne baiThnaa

खोजे गए शब्द से संबंधित

चर्ख़ा

= चरखा

चर्ख़ा पूनी करना

चर्ख़ा कात कर गुज़ारा करना, चर्ख़ा कातना

चर्ख़ा चलना

चर्ख़े पर सूत कातना

चर्ख़ा कातना

चर्ख़े पर तागा बनाना

चर्ख़ा चलाना

चर्ख़े पर सूत कातना

चर्ख़ा हो जाना

बुड्ढा या कमज़ोर हो जाना, अंजर पंजर ढीले हो जाना

चर्ख़ा सा फिरना

बहुत फिरना, आवारा फिरना

चर्ख़-ए-हफ़्तुम

सातवाँ आसमान

चर्ख़-ए-हिंडोला

एक झूला जिस पर बच्चों को चढ़ा कर चक्कर देते हैं, चक्कर लगाने वाला झूला

चर्ख़-ए-हफ़्तुमीं

सातवाँ आसमान

चर्ख़-ए-हफ़्त-तबाक़ी

सात दर्जे रखने वाला आकाश, आसमान

चर्ख़-ए-हिंडोला

एक झूला जिस पर बच्चों को चढ़ा कर चक्कर देते हैं, चक्कर लगाने वाला झूला

चर्ख़-ए-हफ़्तुम पर दिमाग़ होना

बहुत ज़्यादा घमंडी या अभिमानी होना

चर्ख़ हफ़्तुमीं तक पहुँचाना

पदवी ऊँची करना, बहुत विकास देना, अत्यधिक ऊँचाई पर पहुँचाना

खद्दर-ओ-चर्ख़ा

भारत का एक आँदोलन जो गाँधी जी ने आरंभ किया था और जिसमें विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार और देशी वस्तुओं के प्रयोग पर बल दिया गया था और इस बात पर बल दिया गया था कि खद्दर का कपड़ा प्रयोग किया जाए और चर्ख़ा काता जाए, स्वदेशी आँदोलन

चले राँड का चर्ख़ा और चले बुरे का पेट

अभागी रांड को हर समय परिश्रम कर के भोजन करना पड़ता है और दुष्ट मनुष्य को असंयम होने की वजह से दस्त लगे रहते हैं

चले राँड का चर्ख़ा और बुरे का पेट

अभागी रांड को हर समय परिश्रम कर के भोजन करना पड़ता है और दुष्ट मनुष्य को असंयम होने की वजह से दस्त लगे रहते हैं

दिन भर ऊनी ऊनी , रात को चर्ख़ा पूनी

बेवक़त काम करना, दिन रायगां खोना और रात को काम करने बैठना

उल्लू सीधा होना का चर्ख़ा

رک : الو کا پٹھا.

खिचड़ी चली पकावन को चर्ख़ा तोड़ जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

लूट में चर्ख़ा भी ग़नीमत है

मुफ़्त की मामूली चीज़ भी अच्छी लगती है

दिन को ऊनी ऊनी, रात को चर्ख़ा पूनी

समय पर काम न करना, दिन में आलस्य से काम लेना और रात को काम करने बैठना

खीर पकाई जतन से चरखा दिया जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठा ढोल बजा

फूहड़ एवं मूर्ख व्यक्ति हर काम में हानि उठाता है

खिचड़ी चली पकावन को चर्ख़ा दिया जला, आया कुत्ता खा गया तू बैठी ढोल बजा

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