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उपजाऊ

उर्वर, अधिक अनाज पैदा करने वाली ज़मीन, बहुत फल देनेवाला, कृषि योग्य

आपा जी

رک : ’آپا جان‘ .

माघ का जाड़ा जेठ की धूप, बड़े कष्ट से उपजे ऊख

माघ में सर्दी के कारण और जेठ में गर्मी के कारण से पेड़ या गन्ना बहुत कठिनता से उगता है

बन में उपजे सब कोई खाए, घर में उपजे घर ही खाए

फूट जंगल में पैदा हो तो सब खाएँ लेकिन घर में पैदा हो जाए तो घर ही तबाह हो जाए

काल बागड़े उपजे और बुरा बामन से हो

क़हत हमेशा बागड़े के इलाक़े से शुरू होता है और ब्रहमन से हमेशा नुक़्सान होता है

जो पारस से कंचन उपजे सो पारस है काँच, जो पारस से पारस उपजे सो पारस है साँच

अच्छा काम वही है जिस का परिणाम अच्छा हो जिस का परिणाम बुरा हो वो काम भी बुरा है

बोया गेहूँ उप्जा जौ

की थी नेकी बदले में ब्वॉय मिली

जौ के खेत में कंडुआ उपजे

अच्छे घर में बुरी संतान पैदा हो

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उप्जे सो भई हमारी

हर काम के परिणाम पर संतुष्ट रहना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दाग़ लगाए लँगोटिया यार के अर्थदेखिए

दाग़ लगाए लँगोटिया यार

daaG lagaa.e la.ngoTiyaa yaarداغ لگائے لنگوٹِیا یار

कहावत

दाग़ लगाए लँगोटिया यार के हिंदी अर्थ

  • पुराने दोस्त ही धोखा देते हैं, वह तुम्हारा कच्चा चिट्ठा जानते हैं, तुम अगर उन को कोई दुख दोगे तो वह तुम्हारा भेद खोल देंगे
  • जब कोई अपना बहुत घनिष्ठ मित्र भेद खोलकर बदनामी करा दे तब ऐसा कहते हैं

داغ لگائے لنگوٹِیا یار کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • پُرانے دوست ہی دغا دیتے ہیں، وہ تمہاری حقیقیت کو جانتے ہیں، تم اگر ان کو کوئی تکلیف دوگے تو وہ تمہارا راز کھول دیں گے
  • جب کو ئی اپنا بہت ہی جگری یا قریبی دوست راز کھول کر تذلیل کا سبب بنے تب ایسا کہتے ہیں

Urdu meaning of daaG lagaa.e la.ngoTiyaa yaar

  • Roman
  • Urdu

  • puraane dost hii daGaa dete hain, vo tumhaarii haqiiqiit ko jaante hain, tum agar un ko ko.ii takliif doge to vo tumhaaraa raaz khol denge
  • jab ko.ii apnaa bahut hii jigrii ya qariibii dost raaz khol kar tazliil ka sabab bane tab a.isaa kahte hai.n

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उपजाऊ

उर्वर, अधिक अनाज पैदा करने वाली ज़मीन, बहुत फल देनेवाला, कृषि योग्य

आपा जी

رک : ’آپا جان‘ .

माघ का जाड़ा जेठ की धूप, बड़े कष्ट से उपजे ऊख

माघ में सर्दी के कारण और जेठ में गर्मी के कारण से पेड़ या गन्ना बहुत कठिनता से उगता है

बन में उपजे सब कोई खाए, घर में उपजे घर ही खाए

फूट जंगल में पैदा हो तो सब खाएँ लेकिन घर में पैदा हो जाए तो घर ही तबाह हो जाए

काल बागड़े उपजे और बुरा बामन से हो

क़हत हमेशा बागड़े के इलाक़े से शुरू होता है और ब्रहमन से हमेशा नुक़्सान होता है

जो पारस से कंचन उपजे सो पारस है काँच, जो पारस से पारस उपजे सो पारस है साँच

अच्छा काम वही है जिस का परिणाम अच्छा हो जिस का परिणाम बुरा हो वो काम भी बुरा है

बोया गेहूँ उप्जा जौ

की थी नेकी बदले में ब्वॉय मिली

जौ के खेत में कंडुआ उपजे

अच्छे घर में बुरी संतान पैदा हो

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उप्जे सो भई हमारी

हर काम के परिणाम पर संतुष्ट रहना चाहिए

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