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अन-देखा

जिसे कभी देखा न गया हो, जिसे देखा न जाए, अनदेखा, उपेक्षित

अन-देखा चोर शाह बराबर

जब तक किसी व्यक्ति के करतूतों का पता न लगे उसकी 'इज़्ज़त होती है

अन-देखा चोर साले बराबर

जब तक किसी व्यक्ति के करतूतों का पता न लगे उसकी 'इज़्ज़त होती है

अन-देखा चोर बाप बराबर

जब तक किसी व्यक्ति के करतूतों का पता न लगे उसकी 'इज़्ज़त होती है

देखा अन-देखा करना

बिलकुल ऐसा ही बिन जाना जैसे नहीं देखा, तवज्जा ना करना, क्लीन नज़रअंदाज कर देना

वो भी देखा ये भी देख, इन नैनन का यही परेख

समय एवं काल-चक्र एक जैसे नहीं रहते बुरा समय भी आता है, जब अच्छा समय देखा तो बुरा समय भी धैर्य से व्यतीत करो

इन आँखों से क्या क्या नहीं देखा

सब कुछ देख लिया है , बड़ी बड़ी मुसीबतें झेली हैं

जिन को लाड घनेरे उन को दुखे बहुतेरे

नाज़-ओ-नअम से प्ले होऊं के लिए मुसीबतें ज़्यादा होती हैं

त्रिया पुरुख बिन है दुखी जैसे अन्न बिन देह, जले बले है जेवड़ा जों खेती बिन मेंह

बिना पति के स्त्री इस तरह दुख एवं पीड़ा में रहती है जैसे शरीर बिना अनाज के और इस तरह जलती है जैसे खेती बिना बारिश के

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में चश्म-ए-ज़ाहिर के अर्थदेखिए

चश्म-ए-ज़ाहिर

chashm-e-zaahirچشم ظاہر

वज़्न : 2222

चश्म-ए-ज़ाहिर के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - स्त्रीलिंग

  • साधारण आँख जिससे देखते हैं, चर्मचक्षु

शे'र

English meaning of chashm-e-zaahir

Persian, Arabic - Feminine

  • the manifested eye

چشم ظاہر کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فارسی، عربی - مؤنث

  • عام آنکھ جس سے دیکھتے ہیں، ظاہری آنکھ

Urdu meaning of chashm-e-zaahir

  • Roman
  • Urdu

  • aam aa.nkh jis se dekhte zaahirii aanakh

खोजे गए शब्द से संबंधित

अन-देखा

जिसे कभी देखा न गया हो, जिसे देखा न जाए, अनदेखा, उपेक्षित

अन-देखा चोर शाह बराबर

जब तक किसी व्यक्ति के करतूतों का पता न लगे उसकी 'इज़्ज़त होती है

अन-देखा चोर साले बराबर

जब तक किसी व्यक्ति के करतूतों का पता न लगे उसकी 'इज़्ज़त होती है

अन-देखा चोर बाप बराबर

जब तक किसी व्यक्ति के करतूतों का पता न लगे उसकी 'इज़्ज़त होती है

देखा अन-देखा करना

बिलकुल ऐसा ही बिन जाना जैसे नहीं देखा, तवज्जा ना करना, क्लीन नज़रअंदाज कर देना

वो भी देखा ये भी देख, इन नैनन का यही परेख

समय एवं काल-चक्र एक जैसे नहीं रहते बुरा समय भी आता है, जब अच्छा समय देखा तो बुरा समय भी धैर्य से व्यतीत करो

इन आँखों से क्या क्या नहीं देखा

सब कुछ देख लिया है , बड़ी बड़ी मुसीबतें झेली हैं

जिन को लाड घनेरे उन को दुखे बहुतेरे

नाज़-ओ-नअम से प्ले होऊं के लिए मुसीबतें ज़्यादा होती हैं

त्रिया पुरुख बिन है दुखी जैसे अन्न बिन देह, जले बले है जेवड़ा जों खेती बिन मेंह

बिना पति के स्त्री इस तरह दुख एवं पीड़ा में रहती है जैसे शरीर बिना अनाज के और इस तरह जलती है जैसे खेती बिना बारिश के

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