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"बीवी बीवी 'ईद आई, चल दूर तुझे अपनी दाल टिकिया से काम" शब्द से संबंधित परिणाम

बीवी

पत्नी, जीवनसंगिनी, धर्मपत्नी, भार्या

बेवी

विधवा, विधवा स्त्री, वह स्त्री जिसका पति मर गया हो, राँड

बीवी का दाना खाने वाला

जो पति अपनी पत्नी की आय पर जीता है, बीवी की कमाई खाने वाला

बीवी का ग़ुलाम

जो अपनी पत्नी की ही बातों पर रहता हो, उस की हर बात मानता और उस के ही इशारों पर जीता हो, जोरू का ग़ुलाम

बीवी बीवी 'ईद आई, चल दूर तुझे अपनी दाल टिकिया से काम

दुनिया के भोग विलास से ग़रीबों का क्या वास्ता

बीवी नेक बख़्त, दमड़ी की दाल तीन वक़्त

पत्नी यदि बचत करने वाली हो तो थोड़े में भी गुज़ारा कर लेती है

मनकूहा-बीवी

वो कन्या जिसे इस्लामी तरीके से निकाह करके पत्नी बनाया हो

लौंडी हो कर कमाना बीवी बन कर खाना

मेहनत से शर्म न करने वाला अमीराना ज़िंदगी बसर करता है

मियाँ-बीवी होना

साथ होना, साथ सोना

घर की बीवी हाँडनी घर कुत्तो जोगा

जब घर की मालिका इधर उधर फिरेगी और घर में ना बैठेगी तो घर में कुत्ते ही लौटेंगे

बौना, बीवी का खिलौना

ठिगना व्यक्ति तमाशा बन जाता है

मियाँ-बीवी

पति-पत्नी, शौहर और बीवी

आपा-बीवी

رک : آپابی

क़ानूनी-बीवी

वो स्त्री जो क़ानून के मुताबिक़ विवाहित हो, विधिक पत्नी

बाहर मियाँ हफ़्त हज़ारी घर बीवी फ़ाक़ों मारी

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

मियाँ फिरे लाल-गलाल बीवी के रहें बुरे अहवाल

पति बाहर भोग विलास कर रहा है, पत्नी घर में कष्ट झेल रही है

हाथ न मुट्ठी बीवी फड़फड़ा उट्ठी

रुक : हाथ ना मुट्ठी बीवी हड़बड़ा के उठी

घर की बीवी बाँडनी घर कुत्तो जोगा

जब घर की मालिका इधर उधर फिरेगी और घर में ना बैठेगी तो घर में कुत्ते ही लौटेंगे

पर्दे की बीवी, चटाई का लहंगा

अपनी हैसियत से अधिक किसी बात पर दिखावा और इतराहट के अवसर पर प्रयुक्त

मोज़ा का घाव बीवी जाने या पाँव

रुक : मौज़े का घाओ अलख, अपनी तकलीफ़ को इंसान ख़ुद अच्छी तरह समझता है

हाथ न मिट्ठी, बीवी हड़बड़ा के उट्ठी

रुक : हाथ ना मुट्ठी हलबलाती उठी

आप मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोंके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

दीवानी बीवी ख़ाली घर

अगर पत्नी पागल हो तो घर कैसे बस सकता है

दिवानी बीवी ख़ाली घर

वहशत का मुक़ाम

ख़ाली घर दीवानी बीवी

तन्हाई से वहशत होती है या जो शख़्स ख़्वाहमख़्वाह अपने घर की आरास्तगी में मसरूफ़ रहे उस की निसबत भी बोलते हैं

हज़रत बीवी की पुड़िया

(عو) اَبیر اور سین٘دور کی پڑیا جس پر کسی منّت کے لیے حضرت فاطمہؓ کی نیاز دلائی جائے

जिस की बीवी से काम उसकी लाैंडी से क्या काम

यदि काम हो तो अधिकोरियों के पास जाना चाहिए सहायकों के पास नहीं

रुवाँ न धुवाँ बीवी मारे जुवाँ

बेकार या निखट्टू है, कुछ नहीं करता धर्ता

रुवाँ न धुवाँ बीवी मारे जुँवाँ

बेकार या निखट्टू है, कुछ नहीं करता धर्ता

घर की बीवी साग बराबर

रुक : घर की मुर्ग़ी दाल बराबर

वाह बीवी तेरी चतुराई, देखा मूसा कहे बिलाई

वाह बीवी तेरी चालाकी भी देख ली कि चूहा देख कर बिल्ली बताती है

गुदड़ी से बीवी आईं शैख़ जी किनारे हो

सारा दिन तो बाज़ार में फुर्ती रही घर आ कर पर्दा याद आया

सर डोली पाँव कहार आएँ बीवी नौ-बहार

ज़रासी देर के लिए आकर फ़ौरन चले जाने के मौक़ा पर मुस्तामल

आप सूबेदार , बीवी झोंके भाड़

ऐसा व्यक्ति जो सामर्थ्य के बावजूद पत्नी के शांति और संतोष का ध्यान ना रखे, (स्त्रियों की भाषा में निखट्टू)

लड़के जने बीवी और पट्टी बाँधें मियाँ

दुख भरे कोई और फ़ायदा कोई उठाए

मियाँ घर नहीं, बीवी को डर नहीं

ख़ावंद घर मौजूद ना हो और बीवी खुल खेले तो कहा जाता है

आईं बीवी 'आक़िला सब कामों में दाख़िला

अनजान का अच्छे और बुरे काम में हस्तक्षेप के अवसर पर प्रयुक्त

ख़ता करे बीवी, पकड़ी जाए बाँदी

अपराध धनवान करे सज़ा निर्धन को मिले

मियाँ बीवी राज़ी क्या करेगा क़ाज़ी

जब आपस में एकता हो तो दूसरा किस प्रकार अच्छी एवं बुद्धि की बातों में हस्तक्षेप कर सकता है

बाहर मियाँ सूबेदार घर में बीबी झोंके भाड़

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

मियाँ हाथ अंगूठी बीवी के कान पात, लौंडी के दाँत मिस्सी तीनों की एक बात

घर में सब शौक़ीन मिज़ाज हैं

लड़का जने बीवी और पट्टी बाँधें मियाँ

दुख भरे कोई और लाभ उठाए कोई, एक दुख उठाए दूसरा मज़ा उड़ाए

लौंडी बन कमाए और बीवी बन खाए

जो मेहनत करने से नहीं शर्माता वह फ़ुर्सत से गुज़र-बसर करता है, मेहनत-मशक़्क़त करके ही राहत हासिल होती है

मोज़े का घाव बीवी जाने या राव

ख़ानगी मुआमलात से आदमी ख़ुद ही ख़ूब वाक़िफ़ होता है, अपनी तकलीफ़ को इंसान आप ही अच्छी तरह समझ सकता है , राज़ राज़दार ही को मालूम होता है

नित की बीवी पदनी औरों को दोश

अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

नित की बीवी पदनी औरों को दोस

अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

मामा बन कमाइए और बीवी बन खाइए

ख़ुद काम करो और इस का फल पाओ, नौकर भी ख़ुद आक़ा भी ख़ुद

मियाँ-बीवी की लड़ाई दूध की मलाई

मियाँ बीवी का झगड़ा थोड़ी देर के लिए होता है, आज लड़ाई तो कल मेल

गुदड़ी से बीवी आईं शैख़ जी किनारे हुए

सारा दिन तो बाज़ार में फुर्ती रही घर आकर पर्दा याद आया, पछताने के मौक़ा पर मुस्तामल

मियाँ गए रवंद , बीवी गईं पट रवंद

ख़ावंद घर से बाहर जाएं तो बीवी भी चल देती है इस औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं जो बहुत फुर्ती रहे

मूस का घाव बीवी रानी जाने या राव

ख़ानगी मुआमलात से आदमी ख़ुद ही ख़ूब वाक़िफ़ होता है, अपनी तकलीफ़ को इंसान आप ही अच्छी तरह समझ सकता है , राज़ राज़दार ही को मालूम होता है

मियाँ की चुल्हिया कहीं, बीवी की हंडकुल्हिया कहीं

(ओ) बाहमी नाचाक़ी या बे इलतिफ़ाती ''ऐसे रूखे फीके रहते हैं जैसे कभी मेल ही ना था वही मिसल हुई कि मियां की चलहया कहीं बीवी की हिंड कुल्हिया कहीं '

मियाँ बिवी दो जने ,किस लिये जौ चने

इस मौके़ पर कहा करते हैं जब किसी के लड़के लड़की ना हो और फिर वो ख़िस्त करे यानी जब सिर्फ़ मियां बीवी ही खाने वाले हैं और ख़र्च ज़्यादा नहीं है तो फिर ख़िस्त करना और जमा करके मरना बेकार है

हल्वा पूरी बाँदी खाए, पोता फेरने बीवी जाए

कमीने आदमी मज़े उड़ाते हैं कुलीन लोगों एवं निर्धनों के उपर मुसीबत आती है

आप मियाँ सूबेदार घर में बीवी झोंके भाड़

निर्धलता की स्थिति में अमीराना ठाठ बनाने या डींग हाँकने वाले व्यक्ति के लिए प्रयुक्त

मियां नाक काटने को फिरें, बीवी कहे मुझे नथ घड़ा दो

एक कुछ कहे दूसरा कुछ, एक का कुछ मतलब हो दूसरा कुछ समझे

मियाँ-बीवी की लड़ाई जैसे सावन-भादों की झड़ेक

मियाँ बीवी का झगड़ा थोड़ी देर के लिए होता है, आज लड़ाई तो कल मेल

मियाँ बाहर पंज हज़ारी , बीवी घर में क़हत की मारी

(अविर) मियां बाहर ऐश कररहे हैं बीवी घर में मुसीबत झील रही है , रुक : बाहर मियां हफ़तहज़ारी, घर में बीवी फ़ाक़ों मारी जो ज़्यादा मुस्तामल है

मियाँ बीवी दो जने , किस के लिये पीसें जौ चने

घर के दो आदमी हूँ तो ख़िस्त (या ज़्यादा मेहनत) करना बेफ़ाइदा है

बाँदी को बाँदी कहा रो दी, बीवी को बाँदी कहा हँस दी

कमीने की वास्तविक्ता स्पष्ट की जाये या किसी का वास्तविक दोष वर्णित किया जाये तो उसे अप्रिय जान पड़ता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बीवी बीवी 'ईद आई, चल दूर तुझे अपनी दाल टिकिया से काम के अर्थदेखिए

बीवी बीवी 'ईद आई, चल दूर तुझे अपनी दाल टिकिया से काम

biivii biivii 'iid aa.ii, chal duur tujhe apnii daal Tikiyaa se kaamبیوی بیوی عید آئی، چل دور تجھے اپنی دال ٹکیا سے کام

अथवा : बीवी बीवी 'ईद आई, चल मुरदार तुझे अपनी दाल टिकिया से काम

कहावत

बीवी बीवी 'ईद आई, चल दूर तुझे अपनी दाल टिकिया से काम के हिंदी अर्थ

  • दुनिया के भोग विलास से ग़रीबों का क्या वास्ता
  • ख़शी और त्यौहार के अवसर पर भी ग़रीबों की हालत नहीं बदलती
  • अपने स्वार्थ की दृष्टि से कोई बात करना

    विशेष टिकिया= रोटी का टुकड़ा।

بیوی بیوی عید آئی، چل دور تجھے اپنی دال ٹکیا سے کام کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • دنیا کی عیش و عشرت سےغریبوں کو کیا واسطہ
  • خوشی اور تہوار کے موقع پر بھی غریب کی حالت نہیں بدلتی
  • اپنے خود غرضانہ نظریے سے کوئی بات کرنا

    مثال ٹکیا= روٹی کا ٹکڑا

Urdu meaning of biivii biivii 'iid aa.ii, chal duur tujhe apnii daal Tikiyaa se kaam

  • Roman
  • Urdu

  • duniyaa kii a.ish-o-ishrat se Gariibo.n ko kyaa vaastaa
  • Khushii aur tahvaar ke mauqaa par bhii Gariib kii haalat nahii.n badaltii
  • apne Khud girizaa na nazari.e se ko.ii baat karnaa

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बीवी

पत्नी, जीवनसंगिनी, धर्मपत्नी, भार्या

बेवी

विधवा, विधवा स्त्री, वह स्त्री जिसका पति मर गया हो, राँड

बीवी का दाना खाने वाला

जो पति अपनी पत्नी की आय पर जीता है, बीवी की कमाई खाने वाला

बीवी का ग़ुलाम

जो अपनी पत्नी की ही बातों पर रहता हो, उस की हर बात मानता और उस के ही इशारों पर जीता हो, जोरू का ग़ुलाम

बीवी बीवी 'ईद आई, चल दूर तुझे अपनी दाल टिकिया से काम

दुनिया के भोग विलास से ग़रीबों का क्या वास्ता

बीवी नेक बख़्त, दमड़ी की दाल तीन वक़्त

पत्नी यदि बचत करने वाली हो तो थोड़े में भी गुज़ारा कर लेती है

मनकूहा-बीवी

वो कन्या जिसे इस्लामी तरीके से निकाह करके पत्नी बनाया हो

लौंडी हो कर कमाना बीवी बन कर खाना

मेहनत से शर्म न करने वाला अमीराना ज़िंदगी बसर करता है

मियाँ-बीवी होना

साथ होना, साथ सोना

घर की बीवी हाँडनी घर कुत्तो जोगा

जब घर की मालिका इधर उधर फिरेगी और घर में ना बैठेगी तो घर में कुत्ते ही लौटेंगे

बौना, बीवी का खिलौना

ठिगना व्यक्ति तमाशा बन जाता है

मियाँ-बीवी

पति-पत्नी, शौहर और बीवी

आपा-बीवी

رک : آپابی

क़ानूनी-बीवी

वो स्त्री जो क़ानून के मुताबिक़ विवाहित हो, विधिक पत्नी

बाहर मियाँ हफ़्त हज़ारी घर बीवी फ़ाक़ों मारी

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

मियाँ फिरे लाल-गलाल बीवी के रहें बुरे अहवाल

पति बाहर भोग विलास कर रहा है, पत्नी घर में कष्ट झेल रही है

हाथ न मुट्ठी बीवी फड़फड़ा उट्ठी

रुक : हाथ ना मुट्ठी बीवी हड़बड़ा के उठी

घर की बीवी बाँडनी घर कुत्तो जोगा

जब घर की मालिका इधर उधर फिरेगी और घर में ना बैठेगी तो घर में कुत्ते ही लौटेंगे

पर्दे की बीवी, चटाई का लहंगा

अपनी हैसियत से अधिक किसी बात पर दिखावा और इतराहट के अवसर पर प्रयुक्त

मोज़ा का घाव बीवी जाने या पाँव

रुक : मौज़े का घाओ अलख, अपनी तकलीफ़ को इंसान ख़ुद अच्छी तरह समझता है

हाथ न मिट्ठी, बीवी हड़बड़ा के उट्ठी

रुक : हाथ ना मुट्ठी हलबलाती उठी

आप मियाँ सूबे-दार, घर में बीवी झोंके भाड़

घर में खाने को नहीं बाहर शान बघारते हैं

दीवानी बीवी ख़ाली घर

अगर पत्नी पागल हो तो घर कैसे बस सकता है

दिवानी बीवी ख़ाली घर

वहशत का मुक़ाम

ख़ाली घर दीवानी बीवी

तन्हाई से वहशत होती है या जो शख़्स ख़्वाहमख़्वाह अपने घर की आरास्तगी में मसरूफ़ रहे उस की निसबत भी बोलते हैं

हज़रत बीवी की पुड़िया

(عو) اَبیر اور سین٘دور کی پڑیا جس پر کسی منّت کے لیے حضرت فاطمہؓ کی نیاز دلائی جائے

जिस की बीवी से काम उसकी लाैंडी से क्या काम

यदि काम हो तो अधिकोरियों के पास जाना चाहिए सहायकों के पास नहीं

रुवाँ न धुवाँ बीवी मारे जुवाँ

बेकार या निखट्टू है, कुछ नहीं करता धर्ता

रुवाँ न धुवाँ बीवी मारे जुँवाँ

बेकार या निखट्टू है, कुछ नहीं करता धर्ता

घर की बीवी साग बराबर

रुक : घर की मुर्ग़ी दाल बराबर

वाह बीवी तेरी चतुराई, देखा मूसा कहे बिलाई

वाह बीवी तेरी चालाकी भी देख ली कि चूहा देख कर बिल्ली बताती है

गुदड़ी से बीवी आईं शैख़ जी किनारे हो

सारा दिन तो बाज़ार में फुर्ती रही घर आ कर पर्दा याद आया

सर डोली पाँव कहार आएँ बीवी नौ-बहार

ज़रासी देर के लिए आकर फ़ौरन चले जाने के मौक़ा पर मुस्तामल

आप सूबेदार , बीवी झोंके भाड़

ऐसा व्यक्ति जो सामर्थ्य के बावजूद पत्नी के शांति और संतोष का ध्यान ना रखे, (स्त्रियों की भाषा में निखट्टू)

लड़के जने बीवी और पट्टी बाँधें मियाँ

दुख भरे कोई और फ़ायदा कोई उठाए

मियाँ घर नहीं, बीवी को डर नहीं

ख़ावंद घर मौजूद ना हो और बीवी खुल खेले तो कहा जाता है

आईं बीवी 'आक़िला सब कामों में दाख़िला

अनजान का अच्छे और बुरे काम में हस्तक्षेप के अवसर पर प्रयुक्त

ख़ता करे बीवी, पकड़ी जाए बाँदी

अपराध धनवान करे सज़ा निर्धन को मिले

मियाँ बीवी राज़ी क्या करेगा क़ाज़ी

जब आपस में एकता हो तो दूसरा किस प्रकार अच्छी एवं बुद्धि की बातों में हस्तक्षेप कर सकता है

बाहर मियाँ सूबेदार घर में बीबी झोंके भाड़

मियाँ ठाठ से नवाब बने फिरते हैं बीवी भूखी रहती है या नसीबों को रोती है

मियाँ हाथ अंगूठी बीवी के कान पात, लौंडी के दाँत मिस्सी तीनों की एक बात

घर में सब शौक़ीन मिज़ाज हैं

लड़का जने बीवी और पट्टी बाँधें मियाँ

दुख भरे कोई और लाभ उठाए कोई, एक दुख उठाए दूसरा मज़ा उड़ाए

लौंडी बन कमाए और बीवी बन खाए

जो मेहनत करने से नहीं शर्माता वह फ़ुर्सत से गुज़र-बसर करता है, मेहनत-मशक़्क़त करके ही राहत हासिल होती है

मोज़े का घाव बीवी जाने या राव

ख़ानगी मुआमलात से आदमी ख़ुद ही ख़ूब वाक़िफ़ होता है, अपनी तकलीफ़ को इंसान आप ही अच्छी तरह समझ सकता है , राज़ राज़दार ही को मालूम होता है

नित की बीवी पदनी औरों को दोश

अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

नित की बीवी पदनी औरों को दोस

अपना इल्ज़ाम दूसरों के सर , चढ़ाने वाले की निसबत बोलते हैं

मामा बन कमाइए और बीवी बन खाइए

ख़ुद काम करो और इस का फल पाओ, नौकर भी ख़ुद आक़ा भी ख़ुद

मियाँ-बीवी की लड़ाई दूध की मलाई

मियाँ बीवी का झगड़ा थोड़ी देर के लिए होता है, आज लड़ाई तो कल मेल

गुदड़ी से बीवी आईं शैख़ जी किनारे हुए

सारा दिन तो बाज़ार में फुर्ती रही घर आकर पर्दा याद आया, पछताने के मौक़ा पर मुस्तामल

मियाँ गए रवंद , बीवी गईं पट रवंद

ख़ावंद घर से बाहर जाएं तो बीवी भी चल देती है इस औरत के मुताल्लिक़ कहते हैं जो बहुत फुर्ती रहे

मूस का घाव बीवी रानी जाने या राव

ख़ानगी मुआमलात से आदमी ख़ुद ही ख़ूब वाक़िफ़ होता है, अपनी तकलीफ़ को इंसान आप ही अच्छी तरह समझ सकता है , राज़ राज़दार ही को मालूम होता है

मियाँ की चुल्हिया कहीं, बीवी की हंडकुल्हिया कहीं

(ओ) बाहमी नाचाक़ी या बे इलतिफ़ाती ''ऐसे रूखे फीके रहते हैं जैसे कभी मेल ही ना था वही मिसल हुई कि मियां की चलहया कहीं बीवी की हिंड कुल्हिया कहीं '

मियाँ बिवी दो जने ,किस लिये जौ चने

इस मौके़ पर कहा करते हैं जब किसी के लड़के लड़की ना हो और फिर वो ख़िस्त करे यानी जब सिर्फ़ मियां बीवी ही खाने वाले हैं और ख़र्च ज़्यादा नहीं है तो फिर ख़िस्त करना और जमा करके मरना बेकार है

हल्वा पूरी बाँदी खाए, पोता फेरने बीवी जाए

कमीने आदमी मज़े उड़ाते हैं कुलीन लोगों एवं निर्धनों के उपर मुसीबत आती है

आप मियाँ सूबेदार घर में बीवी झोंके भाड़

निर्धलता की स्थिति में अमीराना ठाठ बनाने या डींग हाँकने वाले व्यक्ति के लिए प्रयुक्त

मियां नाक काटने को फिरें, बीवी कहे मुझे नथ घड़ा दो

एक कुछ कहे दूसरा कुछ, एक का कुछ मतलब हो दूसरा कुछ समझे

मियाँ-बीवी की लड़ाई जैसे सावन-भादों की झड़ेक

मियाँ बीवी का झगड़ा थोड़ी देर के लिए होता है, आज लड़ाई तो कल मेल

मियाँ बाहर पंज हज़ारी , बीवी घर में क़हत की मारी

(अविर) मियां बाहर ऐश कररहे हैं बीवी घर में मुसीबत झील रही है , रुक : बाहर मियां हफ़तहज़ारी, घर में बीवी फ़ाक़ों मारी जो ज़्यादा मुस्तामल है

मियाँ बीवी दो जने , किस के लिये पीसें जौ चने

घर के दो आदमी हूँ तो ख़िस्त (या ज़्यादा मेहनत) करना बेफ़ाइदा है

बाँदी को बाँदी कहा रो दी, बीवी को बाँदी कहा हँस दी

कमीने की वास्तविक्ता स्पष्ट की जाये या किसी का वास्तविक दोष वर्णित किया जाये तो उसे अप्रिय जान पड़ता है

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