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उर्वर, अधिक अनाज पैदा करने वाली ज़मीन, बहुत फल देनेवाला, कृषि योग्य

आपा जी

رک : ’آپا جان‘ .

माघ का जाड़ा जेठ की धूप, बड़े कष्ट से उपजे ऊख

माघ में सर्दी के कारण और जेठ में गर्मी के कारण से पेड़ या गन्ना बहुत कठिनता से उगता है

बन में उपजे सब कोई खाए, घर में उपजे घर ही खाए

फूट जंगल में पैदा हो तो सब खाएँ लेकिन घर में पैदा हो जाए तो घर ही तबाह हो जाए

काल बागड़े उपजे और बुरा बामन से हो

क़हत हमेशा बागड़े के इलाक़े से शुरू होता है और ब्रहमन से हमेशा नुक़्सान होता है

जो पारस से कंचन उपजे सो पारस है काँच, जो पारस से पारस उपजे सो पारस है साँच

अच्छा काम वही है जिस का परिणाम अच्छा हो जिस का परिणाम बुरा हो वो काम भी बुरा है

बोया गेहूँ उप्जा जौ

की थी नेकी बदले में ब्वॉय मिली

जौ के खेत में कंडुआ उपजे

अच्छे घर में बुरी संतान पैदा हो

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उप्जे सो भई हमारी

हर काम के परिणाम पर संतुष्ट रहना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में भूत को पत्थर की चोट नहीं लगती के अर्थदेखिए

भूत को पत्थर की चोट नहीं लगती

bhuut ko patthar kii choT nahii.n lagtiiبُھوت کو پَتّھر کی چوٹ نَہیں لَگْتی

अथवा : भूत के पत्थर की चोट नहीं लगती

कहावत

भूत को पत्थर की चोट नहीं लगती के हिंदी अर्थ

  • चूँकि भूत के पास शरीर नहीं होता उसे चोट नहीं लगती
  • जिस पर भूत सवार हो उसे मारना नहीं चाहिए
  • क्यूँकि उसका भौतिक अस्तित्व नहीं होता
  • बहुत धूर्त या चालाक के लिए कहते हैं

بُھوت کو پَتّھر کی چوٹ نَہیں لَگْتی کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • چونکہ بھوت کا جسم نہیں ہوتا اسے چوٹ نہیں لگتی
  • جس پر بھوت سوار ہو اسے مارنا نہیں چاہیے
  • کیونکہ اس کا کوئی جسمانی وجود نہیں ہوتا
  • بہت چالاک اور مکار شخص کے لئے کہتے ہیں

Urdu meaning of bhuut ko patthar kii choT nahii.n lagtii

  • Roman
  • Urdu

  • chuu.nki bhuut ka jism nahii.n hotaa use choT nahii.n lagtii
  • jis par bhuut savaar ho use maarana nahii.n chaahi.e
  • kyonki is ka ko.ii jismaanii vajuud nahii.n hotaa
  • bahut chaalaak aur makkaar shaKhs ke li.e kahte hai.n

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उर्वर, अधिक अनाज पैदा करने वाली ज़मीन, बहुत फल देनेवाला, कृषि योग्य

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माघ का जाड़ा जेठ की धूप, बड़े कष्ट से उपजे ऊख

माघ में सर्दी के कारण और जेठ में गर्मी के कारण से पेड़ या गन्ना बहुत कठिनता से उगता है

बन में उपजे सब कोई खाए, घर में उपजे घर ही खाए

फूट जंगल में पैदा हो तो सब खाएँ लेकिन घर में पैदा हो जाए तो घर ही तबाह हो जाए

काल बागड़े उपजे और बुरा बामन से हो

क़हत हमेशा बागड़े के इलाक़े से शुरू होता है और ब्रहमन से हमेशा नुक़्सान होता है

जो पारस से कंचन उपजे सो पारस है काँच, जो पारस से पारस उपजे सो पारस है साँच

अच्छा काम वही है जिस का परिणाम अच्छा हो जिस का परिणाम बुरा हो वो काम भी बुरा है

बोया गेहूँ उप्जा जौ

की थी नेकी बदले में ब्वॉय मिली

जौ के खेत में कंडुआ उपजे

अच्छे घर में बुरी संतान पैदा हो

ऊँच नीच में बोई क्यारी, जो उप्जे सो भई हमारी

हर काम के परिणाम पर संतुष्ट रहना चाहिए

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