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"बच्चे की माँ बूढ़े की जोरू सलामत रहे" शब्द से संबंधित परिणाम

बच्चे

' बच्चा ' का बदला हुआ रुप एवं समासों में प्रयुक्त, वच्चे, बोबू, नन्हे

बच्चे-कच्चे

छोटे-बड़े लड़के-लड़कीयाँ

बच्चे निकालना

पक्षी का अंडों पर बैठना ताकि उन से बच्चे पैदा हों

बच्चे वाली मुर्ग़ी

(کنایۃً) خوشۂ پرویں ، عقد ثریا ، سات ستاروں والا جھمکا

बच्चे निकलवाना

बच्चे निकालना (रुक) का मुतअद्दी अलमतादी

बच्चे की माँ और सौ रूपे की पूँजी क्या

ज़ेर-ए-बहिस चीज़ बेहक़ीक़त है

बच्चे की माँ बूढ़े की जोरू सलामत रहे

जिस तरह माँ की मौत के बाद बच्चा माँ जैसी मम्ता वंचित हो जाता है उसी तरह बीवी की मौत से बूढ़ा आदमी बेसहारा हो जाता है

बच्चे के हाथ का बताशा

वो चीज़ जो किसी को बहुत प्रिय हो और किसी हाल में न देना चाहे और अगर उसे कोई ज़बरदस्ती ले ले तो हंगामा मचा दे, झगड़े की चीज़

बच्चे का हाथ से खेल जाना

बच्चे का मर जाना, बच्चे का हाथ से जाता रहना, बच्चे का फ़ौत होजाना

अंडे बच्चे

औलाद, लड़के बाले, संबंधी, परिवार

कच्चे-बच्चे

छोटे-छोटे बाल-बच्चे, कम अवस्था के बच्चे, छोटे-छोटे बच्चे, बाल-बच्चे

नन्नहे-बच्चे

अल्पवय बच्चे

बाल-बच्चे

गृहस्थी, परिवारजन, परीवार के लोग, बीबी-बच्चे

नन्हे नन्हे बच्चे

अल्पवय बच्चे, छोटे-छोटे बच्चे

गगन के बच्चे वाली मुर्ग़ी

वृष तारामंडल में तारों का समूह, कृत्तिका

बाल-बाल-बच्चे

परिवार, बीबी बच्चे, कुम्बा

बारह बच्चे वाली

(لفظاً) کثیر الاولاد عورت ؛ (مراداً) سود کی مانند ؛ (تحقیراً) بہت بچوں کچوں والی عوت.

अंडे बच्चे खा आओ

कौड़ियाँ बुझाने के खेल में बच्चों की एक दिनचर्या (जब कोई बच्चा दूसरे बच्चे के पीछे हाथ ले जाकर कौड़ियाँ मुट्ठी में छिपा लेता है तो दूसरे बच्चों से कहता है 'अंडे बच्चे खा आओ' अर्थात यहाँ से हट जाओ और ज़रा देर अलग खेल कर आओ)

अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई

परिश्रम कोई करे और कोई लाभ उठाए

अण्डे बच्चे वाली चील चिलो चिल्होर

चीलों को गोश्त खिलाने के लिए बुलाने की आवाज़ (सदक़े का गोश्त चीलों को देने के लिए ये शब्द आसमान की तरफ़ मुँह करके ऊँची आवाज़ से कहे जाते हैं जिन्हें सुनकर चीलें सर पर मंडलाने लगती हैं)

अण्डे बच्चे वाली चील चिलो चिल्हार

चीलों को गोश्त खिलाने के लिए बुलाने की आवाज़ (सदक़े का गोश्त चीलों को देने के लिए ये शब्द आसमान की तरफ़ मुँह करके ऊँची आवाज़ से कहे जाते हैं जिन्हें सुनकर चीलें सर पर मंडलाने लगती हैं)

ख़ाकी अंडों में बच्चे नहीं होते

कमीने से फ़ायदे की उम्मीद नहीं होती

अगिन के बच्चे खजूर में बताना

कुछ का कुछ बताना, ज़मीं को पूछने पर आसमां की कहना

अंडे बबूल में, बच्चे खजूर में

कोई चीज़ कहीं है कोई कहीं, एक भी ठिकाने से नहीं

अंडे होंगे तो बच्चे बहुत हो रहेंगे

संसाधन उपलब्ध हों तो परिणाम भी निश्चित ही है, यदि नींव होगी तो भवन भी निर्माण हो जाएगा

मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाए

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

अगन के बच्चे खजूर पर बताना

give irrelevant or evasive answer

ज़मीन-दार को किसान, बच्चे को मसान

ज़मींदार को किसान हानि पहुँचाता है और बच्चे को मसान

बिन माँगे माँ भी बच्चे को दूध नहीं देती

बिना माँगे कोई वस्तु प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे होवें रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की संतान एक जैसी नहीं होती कोई कैसा है कोई कैसा है

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे निकले रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की संतान एक जैसी नहीं होती कोई कैसा है कोई कैसा है

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे देखो रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की संतान एक जैसी नहीं होती कोई कैसा है कोई कैसा है

सब के दाँव अंडे बच्चे, हमारे दाँव कुड़ुक

दूसरों के लिये सब कुछ है और हमारे लिए कुछ भी नहीं

रात भर गाई बजाई बच्चे की नूनी नहीं

सारी मेहनत अकारत गई

मेहनत कर के मरग़ा मरे, बच्चे खाए बिलाई

मशक़्क़त से माल कोई जमा करे उड़ा दे कोई, मेहनत कोई करे और फ़ायदा कोई उठाए तो कहते हैं

रात भर गाई बजाई बच्चे के नूनी नहीं

सारी मेहनत अकारत गई

मछली के बच्चे को पैरना किस ने सिखाया

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

मछली के बच्चे को तैरना किस ने सिखाया

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

और के नाम अंडे बच्चे हमारे नाम कुड़ुक

दूसरों के लिये सब कुछ है और हमारे लिए कुछ भी नहीं

मा टेनी बाप कलंग, बच्चे निकले रंग-ब-रंग

नालायक़ कुंबा या ख़ानदान और बदअतवार औलाद की निसबत कहा जाता है

बिन रोए माँ भी बच्चे को दूध नहीं देती

बिना माँगे कोई चीज़ प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

माँ ज़ाग़ , बाप कलंग , बच्चे निकले रंग-ब-रंग

(रुक) माँ टीनी बाप कुलंग अलख

ऊपर तले के बच्चे

successive siblings close in age

अपने बच्चे को ऐसा मारूँ कि पड़ोसन की छाती फटे

इस अवसर पर वाक्य के रुप में बोलते हैं जब दूसरे की जलन में या दूसरे को दिखाने के लिए कोई व्यक्ति अपनी हानि करे

और के दाँव अंडे बच्चे हमारे दाँव कुड़ुक

दूसरों के लिये सब कुछ है और हमारे लिए कुछ भी नहीं

काल के हाथ कमान, बच्चे छोड़े न जवान

ज़ालिम की निसबत बोलते हैं या मौत और दरबार की निसबत कहते हैं, मौत से कोई नहीं बचता ख़ाह वो बूढ़ा हो या बिछ हो या जवान

जैसा बच्चे को उठाओगे उठेगा

जैसी बच्चे को तर्बीयत दोगे वैसा होगा

तोता पढ़े मैना पढ़े , कहीं आदमी के बच्चे भी पढ़ते हें

ये व्यंग्य करते हुए उन योग्य बच्चों के बारे में कहा जाना है जो पढ़ने-लिखने से जी चुराते हैं और अपना पूरा मन नहीं लगाते आशय यह है कि जब पक्षी पढ़ सकते हैं तो मनुष्य के लिए पढ़ना क्या कठिन है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बच्चे की माँ बूढ़े की जोरू सलामत रहे के अर्थदेखिए

बच्चे की माँ बूढ़े की जोरू सलामत रहे

bachche kii maa.n buu.Dhe kii joruu salaamat raheبَچّےکی ماں بُوڑھے کی جورُو سَلامَت رہے

कहावत

बच्चे की माँ बूढ़े की जोरू सलामत रहे के हिंदी अर्थ

  • जिस तरह माँ की मौत के बाद बच्चा माँ जैसी मम्ता वंचित हो जाता है उसी तरह बीवी की मौत से बूढ़ा आदमी बेसहारा हो जाता है

بَچّےکی ماں بُوڑھے کی جورُو سَلامَت رہے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • جس طرح ماں کی موت کے بعد بچہ آرام سے محروم ہوجاتا ہے اسی طرح بیوی کی موت سے بوڑھا آدمی بے سہارا ہوجاتا ہے

Urdu meaning of bachche kii maa.n buu.Dhe kii joruu salaamat rahe

  • Roman
  • Urdu

  • jis tarah maa.n kii maut ke baad bachcha aaraam se mahruum hojaataa hai isii tarah biivii kii maut se buu.Dhaa aadamii besahaara hojaataa hai

खोजे गए शब्द से संबंधित

बच्चे

' बच्चा ' का बदला हुआ रुप एवं समासों में प्रयुक्त, वच्चे, बोबू, नन्हे

बच्चे-कच्चे

छोटे-बड़े लड़के-लड़कीयाँ

बच्चे निकालना

पक्षी का अंडों पर बैठना ताकि उन से बच्चे पैदा हों

बच्चे वाली मुर्ग़ी

(کنایۃً) خوشۂ پرویں ، عقد ثریا ، سات ستاروں والا جھمکا

बच्चे निकलवाना

बच्चे निकालना (रुक) का मुतअद्दी अलमतादी

बच्चे की माँ और सौ रूपे की पूँजी क्या

ज़ेर-ए-बहिस चीज़ बेहक़ीक़त है

बच्चे की माँ बूढ़े की जोरू सलामत रहे

जिस तरह माँ की मौत के बाद बच्चा माँ जैसी मम्ता वंचित हो जाता है उसी तरह बीवी की मौत से बूढ़ा आदमी बेसहारा हो जाता है

बच्चे के हाथ का बताशा

वो चीज़ जो किसी को बहुत प्रिय हो और किसी हाल में न देना चाहे और अगर उसे कोई ज़बरदस्ती ले ले तो हंगामा मचा दे, झगड़े की चीज़

बच्चे का हाथ से खेल जाना

बच्चे का मर जाना, बच्चे का हाथ से जाता रहना, बच्चे का फ़ौत होजाना

अंडे बच्चे

औलाद, लड़के बाले, संबंधी, परिवार

कच्चे-बच्चे

छोटे-छोटे बाल-बच्चे, कम अवस्था के बच्चे, छोटे-छोटे बच्चे, बाल-बच्चे

नन्नहे-बच्चे

अल्पवय बच्चे

बाल-बच्चे

गृहस्थी, परिवारजन, परीवार के लोग, बीबी-बच्चे

नन्हे नन्हे बच्चे

अल्पवय बच्चे, छोटे-छोटे बच्चे

गगन के बच्चे वाली मुर्ग़ी

वृष तारामंडल में तारों का समूह, कृत्तिका

बाल-बाल-बच्चे

परिवार, बीबी बच्चे, कुम्बा

बारह बच्चे वाली

(لفظاً) کثیر الاولاد عورت ؛ (مراداً) سود کی مانند ؛ (تحقیراً) بہت بچوں کچوں والی عوت.

अंडे बच्चे खा आओ

कौड़ियाँ बुझाने के खेल में बच्चों की एक दिनचर्या (जब कोई बच्चा दूसरे बच्चे के पीछे हाथ ले जाकर कौड़ियाँ मुट्ठी में छिपा लेता है तो दूसरे बच्चों से कहता है 'अंडे बच्चे खा आओ' अर्थात यहाँ से हट जाओ और ज़रा देर अलग खेल कर आओ)

अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई

परिश्रम कोई करे और कोई लाभ उठाए

अण्डे बच्चे वाली चील चिलो चिल्होर

चीलों को गोश्त खिलाने के लिए बुलाने की आवाज़ (सदक़े का गोश्त चीलों को देने के लिए ये शब्द आसमान की तरफ़ मुँह करके ऊँची आवाज़ से कहे जाते हैं जिन्हें सुनकर चीलें सर पर मंडलाने लगती हैं)

अण्डे बच्चे वाली चील चिलो चिल्हार

चीलों को गोश्त खिलाने के लिए बुलाने की आवाज़ (सदक़े का गोश्त चीलों को देने के लिए ये शब्द आसमान की तरफ़ मुँह करके ऊँची आवाज़ से कहे जाते हैं जिन्हें सुनकर चीलें सर पर मंडलाने लगती हैं)

ख़ाकी अंडों में बच्चे नहीं होते

कमीने से फ़ायदे की उम्मीद नहीं होती

अगिन के बच्चे खजूर में बताना

कुछ का कुछ बताना, ज़मीं को पूछने पर आसमां की कहना

अंडे बबूल में, बच्चे खजूर में

कोई चीज़ कहीं है कोई कहीं, एक भी ठिकाने से नहीं

अंडे होंगे तो बच्चे बहुत हो रहेंगे

संसाधन उपलब्ध हों तो परिणाम भी निश्चित ही है, यदि नींव होगी तो भवन भी निर्माण हो जाएगा

मछली के बच्चे को तैरना कौन सिखाए

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

अगन के बच्चे खजूर पर बताना

give irrelevant or evasive answer

ज़मीन-दार को किसान, बच्चे को मसान

ज़मींदार को किसान हानि पहुँचाता है और बच्चे को मसान

बिन माँगे माँ भी बच्चे को दूध नहीं देती

बिना माँगे कोई वस्तु प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे होवें रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की संतान एक जैसी नहीं होती कोई कैसा है कोई कैसा है

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे निकले रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की संतान एक जैसी नहीं होती कोई कैसा है कोई कैसा है

माँ टेनी बाप कुलंग बच्चे देखो रंग बिरंग

दोग़ले ख़ानदान की संतान एक जैसी नहीं होती कोई कैसा है कोई कैसा है

सब के दाँव अंडे बच्चे, हमारे दाँव कुड़ुक

दूसरों के लिये सब कुछ है और हमारे लिए कुछ भी नहीं

रात भर गाई बजाई बच्चे की नूनी नहीं

सारी मेहनत अकारत गई

मेहनत कर के मरग़ा मरे, बच्चे खाए बिलाई

मशक़्क़त से माल कोई जमा करे उड़ा दे कोई, मेहनत कोई करे और फ़ायदा कोई उठाए तो कहते हैं

रात भर गाई बजाई बच्चे के नूनी नहीं

सारी मेहनत अकारत गई

मछली के बच्चे को पैरना किस ने सिखाया

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

मछली के बच्चे को तैरना किस ने सिखाया

अपने पुश्तैनी या ख़ानदानी काम से हर व्यक्ति स्वयं अच्छी तरह परिचित होता है, उसे किसी से सीखने की ज़रूरत नहीं

और के नाम अंडे बच्चे हमारे नाम कुड़ुक

दूसरों के लिये सब कुछ है और हमारे लिए कुछ भी नहीं

मा टेनी बाप कलंग, बच्चे निकले रंग-ब-रंग

नालायक़ कुंबा या ख़ानदान और बदअतवार औलाद की निसबत कहा जाता है

बिन रोए माँ भी बच्चे को दूध नहीं देती

बिना माँगे कोई चीज़ प्राप्त नहीं होती, जीविका प्राप्त करने में मेहनत करना एवं जूझना आवश्यक है

माँ ज़ाग़ , बाप कलंग , बच्चे निकले रंग-ब-रंग

(रुक) माँ टीनी बाप कुलंग अलख

ऊपर तले के बच्चे

successive siblings close in age

अपने बच्चे को ऐसा मारूँ कि पड़ोसन की छाती फटे

इस अवसर पर वाक्य के रुप में बोलते हैं जब दूसरे की जलन में या दूसरे को दिखाने के लिए कोई व्यक्ति अपनी हानि करे

और के दाँव अंडे बच्चे हमारे दाँव कुड़ुक

दूसरों के लिये सब कुछ है और हमारे लिए कुछ भी नहीं

काल के हाथ कमान, बच्चे छोड़े न जवान

ज़ालिम की निसबत बोलते हैं या मौत और दरबार की निसबत कहते हैं, मौत से कोई नहीं बचता ख़ाह वो बूढ़ा हो या बिछ हो या जवान

जैसा बच्चे को उठाओगे उठेगा

जैसी बच्चे को तर्बीयत दोगे वैसा होगा

तोता पढ़े मैना पढ़े , कहीं आदमी के बच्चे भी पढ़ते हें

ये व्यंग्य करते हुए उन योग्य बच्चों के बारे में कहा जाना है जो पढ़ने-लिखने से जी चुराते हैं और अपना पूरा मन नहीं लगाते आशय यह है कि जब पक्षी पढ़ सकते हैं तो मनुष्य के लिए पढ़ना क्या कठिन है

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