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जुज़्व

हिस्सा, भाग,पार्ट, अलावा, टुकड़ा, कण

जुज़्व-दाँ

जुज़्व-दान

रुक: जुज़ दान

जुज़्व-रसी

۔मुअन्नस। बुख़ल। कंजूसी। इस जगह जुज़ रस्सी बोलते हैं

जुज़्व-बंदी

पुस्तक की सिलाई, उर्दू में जुज़-बंदी है

जुज़्व-रस

उर्दू में जुज़-रस है

जुज़्वी

जुज़्व (अंश) से संबंधित

जुज़्व-ए-ख़ास

मुख्य भाग, विशेष भाग

जुज़्व-ए-आ'ज़म

वह मूल भाग जिसके बिना पूर्णता न हो (विशेषतः औषधि इत्यादि, अनिवार्य

जुज़्व-ए-ईमाँ

आस्था का हिस्सा

जुज़्व-ए-ज़र्बी

(गणित) किसी संख्या के गुणन के घटकों में से एक

जुज़्व-ए-लाज़िम

अनिवार्य भाग

जुज़्व-ए-तन

जुज़्व-ए-बदन

शरीर का आंग, शरीर के भाग, शरीर का आवश्यक अंग

जुज़्व-ए-बदन होना

किसी वस्तु का अच्छि तरह पच कर रक्त में सम्मिलित हो जाना

जुज़्व-ए-ला-यंफ़क

रुक : जुज़ लाएनफ़क

जुज़्व-ए-ला-यतजज़्ज़ा

वह सूक्ष्म यंत्र जिसके फिर टुकड़े न हो सके, वो चीज़ जो विभाजित न हो सके, जो विभाजित न किया जा सके, अविभाज्य कण, त्रसरेणु, अत्यधिक सूक्ष्म कण, अनुरेणु

जुज़्व-ए-तर्कीबी

उन भागों में से एक भाग जिनसे कोई वस्तु बनती हो

जुज़्व-ए-अस्ल

(ख़गोल शास्त्र) मेषराशि की प्रथन राशि, अर्थात जब सूर्य आकाश के निश्चित सातवें राशि के बाद नवें राशि पर हो

जुज़्व-ए-बदल-ए-वाहिद

(क़ानून) प्रतिज्ञा पत्र में एकल विनिमय का भाग

जुज़्व-ए-बदन हो जाना

जुज़वी-मुश्तक़

(गणित) एक संख्या से कोई दूसरी बनाई हुई संख्या

जुज़्वी-जुज़्वी

कुछ कुछ, थोड़े, क़लील, संक्षिप्त

जुज़्व-ए-ग़ैर-मुन्फ़क

रुक : जुज़ लाएनफ़क

जुज़विय्यत

जुज़्वी का संज्ञा, आंशिक होना, आंशिक होने की अवस्था, आंशिक

जुज़्वियात

भाग, हिस्से

जुज़्वी-ओ-कुल्ली

अंश एवं सब, संपूर्णतया

जुज़्वन

थोड़ा, कुछ, आंशिक रूप से

जुज़्वी तौर पर

आंशिक रूप से, थोड़ा-थोड़ा करके, आंशतः

जुज़्वेस्त-अज़-पैग़म्बरी

जुज़-वक़्ती

(नौकरी आदि के लिए) अंशकालिक, कम वक़्त के लिए, मुख़्तसर वक़्त का (कुल वक़्त या पूरे वक़्त के विपरीत)

कीमियाई-जुज़्व

मा'नवी-जुज़्व

(?] असल जज़ू , असली हिस्सा

ला-जुज़्व

अविभाज्य, जो बाँटा न जा सके, जिसका हिस्सा न हो सके, अभाज्य

सुदूर-ए-जुज़्व

मिज़ाज का जुज़्व होना

तबीयत का हिस्सा होना, किसी काम का आदतों में शामिल होना

वतन की मोहब्बत एक ईमान का जुज़्व है

अपने मुलक से मुहब्बत ईमान का हिस्सा है (अपने मुलक से मुहब्बत की एहमीयत को उजागर करने के लिए मुस्तामल मक़ूला)

ग़िज़ा का जुज़्व-ए-बदन होना

वतन की मोहब्बत एक जुज़्व-ए-ईमान ईमान है

अपने मुलक से मुहब्बत ईमान का हिस्सा है (अपने मुलक से मुहब्बत की एहमीयत को उजागर करने के लिए मुस्तामल मक़ूला)

जाएज़-वली

यतीम का ज़िम्मेदार जो हुक्म के अनुसार (शरीयत और क़ानून) जो उसकी जायदाद की निगरानी करता हो, यतीमों का मुहाफ़िज़ और संरक्षक कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स, विधवा या नाबालिग़ बच्चे या बच्ची या किसी और कोर्ट शुदा का क़ानूनी ज़िम्मेदार

'आजिज़-वार

परेशान की तरह, मजबूर जैसा

हर चंद जामा तंग अस्त जुज़्व-ए-बदन न गर्दद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) कपड़ा कितना ही तंग हो मगर जुज़ो-ए-बदन नहीं होता , ग़ैरों से कैसी ही मुलाक़ात हो वो अपनों के बराबर नहीं हो जाते, ग़ैर जिन्स हमजिंस के बराबर नहीं हो सकता, अपने अपने हैं और ग़ैर ग़ैर

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बाज़ार की गाली किस की, जो फिर कर देखे उस की के अर्थदेखिए

बाज़ार की गाली किस की, जो फिर कर देखे उस की

baazaar kii gaalii kis kii, jo phir kar dekhe us kiiبازار کی گالی کِس کی، جو پِھر کَر دیکھے اُس کی

अथवा : बाज़ार की गाली किस की, जिसने सुनी उसकी, बाज़ार की गाली किस की, जो फिर के देखे उस की

बाज़ार की गाली किस की, जो फिर कर देखे उस की के हिंदी अर्थ

  • सार्वजनिक लांछन अथवा गाली की परवाह नहीं करनी चाहिए जो उत्तर दे वही दोषी होता है
  • कौन क्या कहता है इसकी परवाह नहीं करनी चाहिए

Roman

بازار کی گالی کِس کی، جو پِھر کَر دیکھے اُس کی کے اردو معانی

  • عام الزام یا گالی کی پروا نہیں کرنی چاہیے جو جواب دے وہی موردِ الزام ہوتا ہے
  • کون کیا کہتا ہے اس کی پرواہ نہیں کرنی چاہیے

Urdu meaning of baazaar kii gaalii kis kii, jo phir kar dekhe us kii

  • aam ilzaam ya gaalii kii parva nahii.n karnii chaahi.e jo javaab de vahii maurid-e-ilzaam hotaa hai
  • kaun kyaa kahta hai is kii parvaah nahii.n karnii chaahi.e

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जुज़्व

हिस्सा, भाग,पार्ट, अलावा, टुकड़ा, कण

जुज़्व-दाँ

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۔मुअन्नस। बुख़ल। कंजूसी। इस जगह जुज़ रस्सी बोलते हैं

जुज़्व-बंदी

पुस्तक की सिलाई, उर्दू में जुज़-बंदी है

जुज़्व-रस

उर्दू में जुज़-रस है

जुज़्वी

जुज़्व (अंश) से संबंधित

जुज़्व-ए-ख़ास

मुख्य भाग, विशेष भाग

जुज़्व-ए-आ'ज़म

वह मूल भाग जिसके बिना पूर्णता न हो (विशेषतः औषधि इत्यादि, अनिवार्य

जुज़्व-ए-ईमाँ

आस्था का हिस्सा

जुज़्व-ए-ज़र्बी

(गणित) किसी संख्या के गुणन के घटकों में से एक

जुज़्व-ए-लाज़िम

अनिवार्य भाग

जुज़्व-ए-तन

जुज़्व-ए-बदन

शरीर का आंग, शरीर के भाग, शरीर का आवश्यक अंग

जुज़्व-ए-बदन होना

किसी वस्तु का अच्छि तरह पच कर रक्त में सम्मिलित हो जाना

जुज़्व-ए-ला-यंफ़क

रुक : जुज़ लाएनफ़क

जुज़्व-ए-ला-यतजज़्ज़ा

वह सूक्ष्म यंत्र जिसके फिर टुकड़े न हो सके, वो चीज़ जो विभाजित न हो सके, जो विभाजित न किया जा सके, अविभाज्य कण, त्रसरेणु, अत्यधिक सूक्ष्म कण, अनुरेणु

जुज़्व-ए-तर्कीबी

उन भागों में से एक भाग जिनसे कोई वस्तु बनती हो

जुज़्व-ए-अस्ल

(ख़गोल शास्त्र) मेषराशि की प्रथन राशि, अर्थात जब सूर्य आकाश के निश्चित सातवें राशि के बाद नवें राशि पर हो

जुज़्व-ए-बदल-ए-वाहिद

(क़ानून) प्रतिज्ञा पत्र में एकल विनिमय का भाग

जुज़्व-ए-बदन हो जाना

जुज़वी-मुश्तक़

(गणित) एक संख्या से कोई दूसरी बनाई हुई संख्या

जुज़्वी-जुज़्वी

कुछ कुछ, थोड़े, क़लील, संक्षिप्त

जुज़्व-ए-ग़ैर-मुन्फ़क

रुक : जुज़ लाएनफ़क

जुज़विय्यत

जुज़्वी का संज्ञा, आंशिक होना, आंशिक होने की अवस्था, आंशिक

जुज़्वियात

भाग, हिस्से

जुज़्वी-ओ-कुल्ली

अंश एवं सब, संपूर्णतया

जुज़्वन

थोड़ा, कुछ, आंशिक रूप से

जुज़्वी तौर पर

आंशिक रूप से, थोड़ा-थोड़ा करके, आंशतः

जुज़्वेस्त-अज़-पैग़म्बरी

जुज़-वक़्ती

(नौकरी आदि के लिए) अंशकालिक, कम वक़्त के लिए, मुख़्तसर वक़्त का (कुल वक़्त या पूरे वक़्त के विपरीत)

कीमियाई-जुज़्व

मा'नवी-जुज़्व

(?] असल जज़ू , असली हिस्सा

ला-जुज़्व

अविभाज्य, जो बाँटा न जा सके, जिसका हिस्सा न हो सके, अभाज्य

सुदूर-ए-जुज़्व

मिज़ाज का जुज़्व होना

तबीयत का हिस्सा होना, किसी काम का आदतों में शामिल होना

वतन की मोहब्बत एक ईमान का जुज़्व है

अपने मुलक से मुहब्बत ईमान का हिस्सा है (अपने मुलक से मुहब्बत की एहमीयत को उजागर करने के लिए मुस्तामल मक़ूला)

ग़िज़ा का जुज़्व-ए-बदन होना

वतन की मोहब्बत एक जुज़्व-ए-ईमान ईमान है

अपने मुलक से मुहब्बत ईमान का हिस्सा है (अपने मुलक से मुहब्बत की एहमीयत को उजागर करने के लिए मुस्तामल मक़ूला)

जाएज़-वली

यतीम का ज़िम्मेदार जो हुक्म के अनुसार (शरीयत और क़ानून) जो उसकी जायदाद की निगरानी करता हो, यतीमों का मुहाफ़िज़ और संरक्षक कोर्ट ऑफ़ वार्ड्स, विधवा या नाबालिग़ बच्चे या बच्ची या किसी और कोर्ट शुदा का क़ानूनी ज़िम्मेदार

'आजिज़-वार

परेशान की तरह, मजबूर जैसा

हर चंद जामा तंग अस्त जुज़्व-ए-बदन न गर्दद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) कपड़ा कितना ही तंग हो मगर जुज़ो-ए-बदन नहीं होता , ग़ैरों से कैसी ही मुलाक़ात हो वो अपनों के बराबर नहीं हो जाते, ग़ैर जिन्स हमजिंस के बराबर नहीं हो सकता, अपने अपने हैं और ग़ैर ग़ैर

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