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बायद

चाहिए

बायद-ओ-शायद

अद्भुत, विचित्र, अनोखा

दीदा-बायद

जो भी हो, देखा जाएगा, देखिए क्या होता है

शायद-ओ-बायद

सुविधाजनक एंव उपयुक्त, जैसा होना चाहिए, अच्छी तरह से

हल्वा ख़ुर्दन रा रू-ए-बायद

इज़्ज़त के वास्ते लियाक़त चाहिए, अच्छी चीज़ हासिल करने के लिए इस का अहल होना ज़रूरी है

ग़ुलाम आब-कश बायद न ख़िश्त-ज़न

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) ग़ुलाम या दास अच्छा हो तो है वरना बोझ होता है

लैला रा ब-चश्म मजनूँ बायद दीद

۔(ف) معشوق کو عاشق کی نظر سے دیکھنا چاہئے۔ ؎

'इल्म दर सीना बायद न कि दर सफ़ीना

ज्ञान तो मनुष्य के हृदय में होना चाहिए न कि किताबों में, विद्या सीखनी चाहिए

'इलाज-ए-वाक़ि'अ पेश अज़ वुक़ू' बायद कर्द

घटना घटने से पहले ही उसके रोकने का इंतिज़ाम करना चाहिए

यार ग़ार बायद कि ज़ख़्म मारे कशद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) यार-ए-ग़ार को चाहिए कि साँप का ज़हर चूस ले, (हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ की तरफ़ इशारा) मुख़लिस दोस्त ऐसा हो कि अपनी जान की भी पर्वा ना करे

यक मन 'इल्म रा, दह मन 'अक़्ल बायद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) एक हिस्सा इलम के लिए दस हिस्सा अक़ल की ज़रूरत होती है, अक़ल के बगै़र इलम से फ़ायदा नहीं उठाया जा सकता

मर्द बायद कि गीरद अंदर गोश, अज़ नविश्त अस्त पंद बर दीवार

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) आदमी को चाहिए कि नसीहत सन ले चाहे दीवार पर लिखी हो, यानी अच्छी बात जिस तरह भी मालूम हो और जिस से भी मालूम हो उसे याद रखना चाहिए और इस पर अमल करना चाहिए

मर्द बायद कि हरासाँ न शवद , मुश्किले नीस्त कि आसाँ न शवद

(फ़ारसी शेअर उर्दू में बतौर मक़ूला मुस्तामल) आदमी को चाहिए कि हिरासाँ ना हो, कोई मुश्किल ऐसी नहीं है कि जो आसां ना हो जाये

मुश्किले नीस्त कि आसाँ न शवद , मर्द बायद कि हरासाँ न शवद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर मुश्किल आसान हो जाती है, इंसान को चाहिए कि हिरासाँ ना हो, नाउम्मीद ना होना चाहिए , मुसीबत से मुक़ाबला करने के वक़्त कहते हैं

पए 'इल्म चूँ शमा' बायद गुदाख़्त कि बे 'इल्म नतवाँ ख़ुदा रा शनाख़्त

इलम हासिल करने के लिए बहुत कोशिश करनी चाहिए कीवनका जाहिल ख़ुदा की क़ुदरत को नहीं समझ सकता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बायद-ओ-शायद के अर्थदेखिए

बायद-ओ-शायद

baayad-o-shaayadبایَد و شایَد

स्रोत: फ़ारसी

वज़्न : 21222

बायद-ओ-शायद के हिंदी अर्थ

विशेषण

क्रिया-विशेषण

  • कैसा कि चाहिए, जैसा कि योग्य और उचित है, उचित और उपयुक्त

English meaning of baayad-o-shaayad

Adjective

Adverb

  • as happens and is proper, as it should be,

بایَد و شایَد کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

صفت

  • مناسب، موزوں، زیبا

فعل متعلق

  • کیسا کہ چاہئے، جیسا کہ لائق اور مناسب ہے

Urdu meaning of baayad-o-shaayad

  • Roman
  • Urdu

  • munaasib, mauzuun, zebaa
  • kaisaa ki chaahii.e, jaisaa ki laayaq aur munaasib hai

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बायद

चाहिए

बायद-ओ-शायद

अद्भुत, विचित्र, अनोखा

दीदा-बायद

जो भी हो, देखा जाएगा, देखिए क्या होता है

शायद-ओ-बायद

सुविधाजनक एंव उपयुक्त, जैसा होना चाहिए, अच्छी तरह से

हल्वा ख़ुर्दन रा रू-ए-बायद

इज़्ज़त के वास्ते लियाक़त चाहिए, अच्छी चीज़ हासिल करने के लिए इस का अहल होना ज़रूरी है

ग़ुलाम आब-कश बायद न ख़िश्त-ज़न

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) ग़ुलाम या दास अच्छा हो तो है वरना बोझ होता है

लैला रा ब-चश्म मजनूँ बायद दीद

۔(ف) معشوق کو عاشق کی نظر سے دیکھنا چاہئے۔ ؎

'इल्म दर सीना बायद न कि दर सफ़ीना

ज्ञान तो मनुष्य के हृदय में होना चाहिए न कि किताबों में, विद्या सीखनी चाहिए

'इलाज-ए-वाक़ि'अ पेश अज़ वुक़ू' बायद कर्द

घटना घटने से पहले ही उसके रोकने का इंतिज़ाम करना चाहिए

यार ग़ार बायद कि ज़ख़्म मारे कशद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) यार-ए-ग़ार को चाहिए कि साँप का ज़हर चूस ले, (हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ की तरफ़ इशारा) मुख़लिस दोस्त ऐसा हो कि अपनी जान की भी पर्वा ना करे

यक मन 'इल्म रा, दह मन 'अक़्ल बायद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) एक हिस्सा इलम के लिए दस हिस्सा अक़ल की ज़रूरत होती है, अक़ल के बगै़र इलम से फ़ायदा नहीं उठाया जा सकता

मर्द बायद कि गीरद अंदर गोश, अज़ नविश्त अस्त पंद बर दीवार

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) आदमी को चाहिए कि नसीहत सन ले चाहे दीवार पर लिखी हो, यानी अच्छी बात जिस तरह भी मालूम हो और जिस से भी मालूम हो उसे याद रखना चाहिए और इस पर अमल करना चाहिए

मर्द बायद कि हरासाँ न शवद , मुश्किले नीस्त कि आसाँ न शवद

(फ़ारसी शेअर उर्दू में बतौर मक़ूला मुस्तामल) आदमी को चाहिए कि हिरासाँ ना हो, कोई मुश्किल ऐसी नहीं है कि जो आसां ना हो जाये

मुश्किले नीस्त कि आसाँ न शवद , मर्द बायद कि हरासाँ न शवद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) हर मुश्किल आसान हो जाती है, इंसान को चाहिए कि हिरासाँ ना हो, नाउम्मीद ना होना चाहिए , मुसीबत से मुक़ाबला करने के वक़्त कहते हैं

पए 'इल्म चूँ शमा' बायद गुदाख़्त कि बे 'इल्म नतवाँ ख़ुदा रा शनाख़्त

इलम हासिल करने के लिए बहुत कोशिश करनी चाहिए कीवनका जाहिल ख़ुदा की क़ुदरत को नहीं समझ सकता

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