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ब-ग़ौर

गौर से, समीक्षापूर्वक, ध्यान के साथ, गहरी नज़र से, ध्यानपूर्वक, सावधानी से, गहन विचार के साथ

बे-ग़ौरी

बिना सोच-विचार के जिसकी देख-भाल न हो

be as good as one's word

अपनी बात या वअदे के मुताबिक़ अमल करना

ज़िंदा-ब-गोर

कठोर पीड़ा या अभिषाप में होना, मुर्दों की तरह जीवित, जिसका जीवन मुर्दों जैसा नीरस और व्यर्थ हो

लाशा-ए-बे-गोर-ओ-कफ़न

ऐसा शव जिसे न कफ़न मिला हो न क़ब्र । ।

बा'द-ए-ग़ौर-ओ-ख़ौज़

सोचने के बाद, सोच कर

वाए बर जान-ए-सुख़न गर ब सुख़न-दाँ न रसद

(फ़ारसी मिसरा बतौर कहावत उर्दू में मुस्तामल) कलाम अगर कलाम के पहचानने वाले तक ना पहुंचे तो इस के हाल पर अफ़सोस है

शान मारे ग़ैर को, बे शान मारे आप को

शान-ओ-शौकत से दूसरा मरऊब होजाता है और सादगी और आजिज़ी से अपने आप को नुक़्सान पहुंचता है

गर न सितानी ब सितम मी रसद

(फ़ारसी कहावत अदबीयात में मुस्तामल) जब बगै़र ख़ाहिश के चीज़ मिल जाये तो ऐसे मौक़ा पर कहते हैं

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में 'औरत और ककड़ी की बेल जल्दी बढ़े के अर्थदेखिए

'औरत और ककड़ी की बेल जल्दी बढ़े

'aurat aur kak.Dii kii bel jaldii ba.Dheعَورَت اَور کَکڑِی کی بیل جَلدی بَڑھے

अथवा : 'औरत ओर ककड़ी की बेल जल्दी बढ़ती है

कहावत

'औरत और ककड़ी की बेल जल्दी बढ़े के हिंदी अर्थ

  • खीरे की बेल की तरह औरत भी जल्द जवान हो जाती है

عَورَت اَور کَکڑِی کی بیل جَلدی بَڑھے کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ککڑی کی بیل کی طرح عورت بھی جلد جوان ہو جاتی ہے، لڑکیاں جلدی جوان ہو جاتی ہیں

Urdu meaning of 'aurat aur kak.Dii kii bel jaldii ba.Dhe

  • Roman
  • Urdu

  • kak.Dii kii bail kii tarah aurat bhii jald javaan ho jaatii hai, la.Dkiiyaa.n jaldii javaan ho jaatii hai.n

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गौर से, समीक्षापूर्वक, ध्यान के साथ, गहरी नज़र से, ध्यानपूर्वक, सावधानी से, गहन विचार के साथ

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अपनी बात या वअदे के मुताबिक़ अमल करना

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कठोर पीड़ा या अभिषाप में होना, मुर्दों की तरह जीवित, जिसका जीवन मुर्दों जैसा नीरस और व्यर्थ हो

लाशा-ए-बे-गोर-ओ-कफ़न

ऐसा शव जिसे न कफ़न मिला हो न क़ब्र । ।

बा'द-ए-ग़ौर-ओ-ख़ौज़

सोचने के बाद, सोच कर

वाए बर जान-ए-सुख़न गर ब सुख़न-दाँ न रसद

(फ़ारसी मिसरा बतौर कहावत उर्दू में मुस्तामल) कलाम अगर कलाम के पहचानने वाले तक ना पहुंचे तो इस के हाल पर अफ़सोस है

शान मारे ग़ैर को, बे शान मारे आप को

शान-ओ-शौकत से दूसरा मरऊब होजाता है और सादगी और आजिज़ी से अपने आप को नुक़्सान पहुंचता है

गर न सितानी ब सितम मी रसद

(फ़ारसी कहावत अदबीयात में मुस्तामल) जब बगै़र ख़ाहिश के चीज़ मिल जाये तो ऐसे मौक़ा पर कहते हैं

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