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आरा-घर

(मशीन वग़ैरा से) लकड़ियाँ चीरने का कारख़ाना, आरामशीन

आरा-घर

वह कारख़ाना जहाँ आरे की मशीनें लगी हों

एैर-ग़ैर

(प्रायः संक्षिप्त या बहुवचन में प्रयुक्त) यह, वह, हर एक

अर्रों-घर्रों

एक खेल का नाम, जिस में छोटे बच्चे एक साथ बैठ कर बराबर बराबर पैर फैला कर हाथ इधर उधर घुमाते या पैर पर हाथ फेरते और ये शब्द बार बार कहते हैं "अर्रों-घर्रों, घी की चर्रों"

और घर देखो

हमारा पीछा छोड़ो, यहाँ मतलब पूरा न होगा, यहाँ तुमको कुछ न मिल पाएगा

ऐरा-ग़ैरा

(प्रायः संक्षिप्त या बहुवचन में प्रयुक्त) यह, वह, हर एक

ऐरे-ग़ैरे

ऐरा ग़ैरा का बहुचन एवं संक्षिप्त रूप, (प्रायः एकवचन या बहुवचन में) ग़ैर आदमी, ग़ैर संबंधित या निम्न दर्जे का व्यक्ति

ऐरी-ग़ैरी

ایرا غیرا (رک) کی جمع یا مغیرہ صورت.

दाँता बाजे घर पड़े और हाँसा बाजे रन पड़े

बड़बोलेपन से घर में झगड़ा और हँसी-मज़ाक़ से दोस्तों में दुश्मनी हो जाती है

खाँडा बाजे रन पड़े और दाँता बाजे घर पड़े

तलवारें चलीं तो युद्ध होता है, झगड़ा हो तो घर ख़राब होता है

घड़ी भर में घर जले और अढ़ाई घड़ी में भदार

एक आफ़त ने तो काम तमाम कर दिया अब आइन्दा की आफ़तों को कौन झील सकेगा

घड़ी भर में घर जले और ढाई घड़ी में भदार

एक आफ़त ने तो काम तमाम कर दिया अब आइन्दा की आफ़तों को कौन झील सकेगा

रंडी के घर माँडे और 'आशिक़ों के घर कड़ाके

क्योंकि मर्द अपना रुपया रन्डीयों को दे आते हैं वो मज़े उड़ाती हैं और उन के घर फ़ाक़ा होता है

ग़ैर की दहलीज़ और रोटी कड़वी

दूसरों के यहां रहना और उन के टुकड़ों पर बसर करना दोनों ही तकलीफ़देह हैं, ग़ैर जगह आराम नहीं मिलता, दूसरे का एहसास उठाना मुश्किल है

घर के खीर खाएँ और देवता भला मनाएँ

नेकी वो है जिस से दूसरों को फ़ायदा पहुँचिए, औरों के नाम से अपना काम निकालना या औरों पर एहसान धर के अपना मक़सद हासिल करना

लड़ाई का घर हाँसी और रोग का घर खाँसी

लड़ाई का आरंभ हँसी-मज़ाक़ से होता है और बीमारी का खाँसी से

चोट लगी पहाड़ की और तोड़ें घर की सिल

शक्तिशाली से बस न चले तो घर वालों पर या बीवी पर क्रोध करें

चोट लगी पहाड़ की और तोड़ें घर की सील

शक्तिशाली से बस नहीं चलता, कमज़ोर को तंग करते हैं

धोबी के घर पड़ा चोर, वो क्या लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

झूटे घर को घर कहें और साँचे घर को गोर , हम चलें घर आपने और लोग मचावें शोर

असल घर तो क़ब्र है, आदमी मर जाता है तो लोग ख़्वाहमख़्वाह शोर मचाते हैं उस वक़्त तो इंसान अपने असली घर को जाता है

घर में ख़र्च नहीं और डेवढ़ी पर नाच

निर्धन डींग हाँकने वाले के प्रति कहते हैं कि अपनी सामर्थ से बढ़ कर ख़र्च करता है

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

बाहर वाले खा गए और घर के गाएँ गीत

दूसरे लाभ उठाएँ और अपने लोग को भूखा मरें

'आशिक़ी और ख़ाला जी का घर

सोने में सुगंध, खाला यानी मौसी के घर जाने में किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं, किसी भी लड़की से वहाँ खुलकर प्रेम किया जा सकता है

बहन घर भाई कुत्ता और सास घर जमाई कुत्ता

भाई अगर अपनी बहन के यहाँ रहे या दामाद ससुराल में रहे तो अपना सम्मान खो बैठता है

और कोई घर देखो

हमारा पीछा छोड़ो, यहाँ मतलब पूरा न होगा, यहाँ तुमको कुछ न मिल पाएगा

आधी रात और घर का परोसने वाला

(शाब्दिक) आधी रात का वक़्त हो और बाँटने वाला अपना तो फिर क्यों न फ़ायदा हो, (अर्थात) ख़ूब फ़ायदा उठाओ, कोई पूछगछ करने वाला नहीं (लाभ उठाने की जगह प्रयुक्त)

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

जीते का घर और मुए की क़ब्र

यानी तुम्हारी चालाकियों को में ख़ूब जानता हूँ

मूए की क़ब्र और जीते का घर

मुर्दे को क़ब्र में आराम और ज़िंदा को घर में, हर व्यक्ति अपनी जगह पर ही ठीक ढंग से रहता है, हर व्यक्ति अपनी जगह पर ख़ुश रहता है, हर चीज़ अपनी उचित जगह पर अच्छी लगती है

घर बियाह और बहू पपलियों

सख़्त बदइंतिज़ामी है , बे मौक़ा की ख़ुशी के वक़्त मुस्तामल या जब माँबाप चयन करें और औलाद मुसीबत भुगते उस वक़्त बोलते हैं

घर में पकें चूहे और बाहर कहें पाए

मुफ़लस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं, घर में कुछ नहीं है मगर शेखी मारता है

घर में भोनी भाँग नहीं और उल्फ़त सब्ज़ रंगों से

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

तीन बुलाए तेरह आए देखो यहाँ की रीत, बाहर वाले खा गए और घर के गावें गीत

जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए

आमने-सामने घर करूं और बीच करूं मैदान

आमने-सामने घर बना कर झगड़ा करती रहूँ

घर की बिल्ली और घर ही में शिकार

घरेलू एवं आपसी झगड़ों अथवा विवादों के समय प्रयुक्त

जीते का घर और मुए की गोर बता

यानी तुम्हारी चालाकियों को में ख़ूब जानता हूँ

घर की मरी और मरा साग

रुक : घर की पटकी बासी साग

जीते का घर और मुए की गोर पहचानते हैं

यानी तुम्हारी चालाकियों को में ख़ूब जानता हूँ

घर भी बैठो, और जान भी खाओ

निख़ट्टू व्यक्ति घर में रह कर घर वालों को तंग करता रहता है

घर में भोनी भाँग नहीं और न्यौते साठ

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

नौकरी और ख़ाला जी का घर

रुक : नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

सब से भला किसान, खेती करे और घर रहे

दूसरे व्यवसाय वाले मारे मारे फिरते हैं, किसान अपने घर रहता है इस लिए सबसे अच्छा होता है

घर में भोनी भाँग नहीं और बाहर न्योते सात

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

घर में भोनी भाँग नहीं और बाहर न्योते सात

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

गर्मी सब्ज़ह रंगों से और घर में भूनी भाँग नहीं

निर्धनता में अय्याशी का शौक़

घर में भूनी भाँग नहीं और उल्फ़त सब्ज़ा रंगों से

निर्धनता में अय्याशी का शौक़

बेटियों वाला घर और चिलमों वाला चूल्हा कभी पनपता नहीं

जिस घर में बहुत सी बेटियां हूँ इस के मसारिफ़ बहुत ज़्यादा होते हैं जो उमूमन ख़ुशहाल नहीं होने देते जिस तरह वो चूल्हा जिस से बार बार हक़ीक़ी चिलिमें भरी जाएं पूरी आन नहीं देने पाता

घर के जले बन गए बन में लागी आग और बन बिचारा क्या करे जो कर्मों लागी आग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

गर्मी सब्ज़ा रंगों से और घर में भूनी भंग नहीं

निर्धनता में अय्याशी का शौक़

घर की पुटकी बासी साग, घर की मुरी और मुरा साग

डींगें हाँकने या शेख़ी बघारने वाले के बारे में प्रयुक्त

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आरा-घर के अर्थदेखिए

आरा-घर

aaraa-gharآرا گَھر

आरा-घर के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • (मशीन वग़ैरा से) लकड़ियाँ चीरने का कारख़ाना, आरामशीन

समान ध्वनि के मिलते-जुलते शब्द

आरा-घर (آرَہ گَھر)

वह कारख़ाना जहाँ आरे की मशीनें लगी हों

English meaning of aaraa-ghar

Noun, Masculine

  • sawmill, lumbermill

آرا گَھر کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • (مشین وغیرہ سے) لكڑیاں چیرنے كا كارخانہ، آرامشین

Urdu meaning of aaraa-ghar

  • Roman
  • Urdu

  • (mashiin vaGaira se) lak.Diyaa.n chiirne ka kaarKhaanaa, aaraamashiin

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आरा-घर

(मशीन वग़ैरा से) लकड़ियाँ चीरने का कारख़ाना, आरामशीन

आरा-घर

वह कारख़ाना जहाँ आरे की मशीनें लगी हों

एैर-ग़ैर

(प्रायः संक्षिप्त या बहुवचन में प्रयुक्त) यह, वह, हर एक

अर्रों-घर्रों

एक खेल का नाम, जिस में छोटे बच्चे एक साथ बैठ कर बराबर बराबर पैर फैला कर हाथ इधर उधर घुमाते या पैर पर हाथ फेरते और ये शब्द बार बार कहते हैं "अर्रों-घर्रों, घी की चर्रों"

और घर देखो

हमारा पीछा छोड़ो, यहाँ मतलब पूरा न होगा, यहाँ तुमको कुछ न मिल पाएगा

ऐरा-ग़ैरा

(प्रायः संक्षिप्त या बहुवचन में प्रयुक्त) यह, वह, हर एक

ऐरे-ग़ैरे

ऐरा ग़ैरा का बहुचन एवं संक्षिप्त रूप, (प्रायः एकवचन या बहुवचन में) ग़ैर आदमी, ग़ैर संबंधित या निम्न दर्जे का व्यक्ति

ऐरी-ग़ैरी

ایرا غیرا (رک) کی جمع یا مغیرہ صورت.

दाँता बाजे घर पड़े और हाँसा बाजे रन पड़े

बड़बोलेपन से घर में झगड़ा और हँसी-मज़ाक़ से दोस्तों में दुश्मनी हो जाती है

खाँडा बाजे रन पड़े और दाँता बाजे घर पड़े

तलवारें चलीं तो युद्ध होता है, झगड़ा हो तो घर ख़राब होता है

घड़ी भर में घर जले और अढ़ाई घड़ी में भदार

एक आफ़त ने तो काम तमाम कर दिया अब आइन्दा की आफ़तों को कौन झील सकेगा

घड़ी भर में घर जले और ढाई घड़ी में भदार

एक आफ़त ने तो काम तमाम कर दिया अब आइन्दा की आफ़तों को कौन झील सकेगा

रंडी के घर माँडे और 'आशिक़ों के घर कड़ाके

क्योंकि मर्द अपना रुपया रन्डीयों को दे आते हैं वो मज़े उड़ाती हैं और उन के घर फ़ाक़ा होता है

ग़ैर की दहलीज़ और रोटी कड़वी

दूसरों के यहां रहना और उन के टुकड़ों पर बसर करना दोनों ही तकलीफ़देह हैं, ग़ैर जगह आराम नहीं मिलता, दूसरे का एहसास उठाना मुश्किल है

घर के खीर खाएँ और देवता भला मनाएँ

नेकी वो है जिस से दूसरों को फ़ायदा पहुँचिए, औरों के नाम से अपना काम निकालना या औरों पर एहसान धर के अपना मक़सद हासिल करना

लड़ाई का घर हाँसी और रोग का घर खाँसी

लड़ाई का आरंभ हँसी-मज़ाक़ से होता है और बीमारी का खाँसी से

चोट लगी पहाड़ की और तोड़ें घर की सिल

शक्तिशाली से बस न चले तो घर वालों पर या बीवी पर क्रोध करें

चोट लगी पहाड़ की और तोड़ें घर की सील

शक्तिशाली से बस नहीं चलता, कमज़ोर को तंग करते हैं

धोबी के घर पड़ा चोर, वो क्या लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

धोबी के घर पड़े चोर, वो न लुटा लुटे और

ज़ाहिर में नुक़सान किसी का और असल में किसी और का, धोबी की चोरी हो तो दूसरों का माल जाता है

झूटे घर को घर कहें और साँचे घर को गोर , हम चलें घर आपने और लोग मचावें शोर

असल घर तो क़ब्र है, आदमी मर जाता है तो लोग ख़्वाहमख़्वाह शोर मचाते हैं उस वक़्त तो इंसान अपने असली घर को जाता है

घर में ख़र्च नहीं और डेवढ़ी पर नाच

निर्धन डींग हाँकने वाले के प्रति कहते हैं कि अपनी सामर्थ से बढ़ कर ख़र्च करता है

मेंह का लड़का और नौकरी घड़ी घर ही नहीं हुआ करते

यह चीज़ें बहुत मुश्किल से मिलती हैं

बाहर वाले खा गए और घर के गाएँ गीत

दूसरे लाभ उठाएँ और अपने लोग को भूखा मरें

'आशिक़ी और ख़ाला जी का घर

सोने में सुगंध, खाला यानी मौसी के घर जाने में किसी प्रकार की रोक-टोक नहीं, किसी भी लड़की से वहाँ खुलकर प्रेम किया जा सकता है

बहन घर भाई कुत्ता और सास घर जमाई कुत्ता

भाई अगर अपनी बहन के यहाँ रहे या दामाद ससुराल में रहे तो अपना सम्मान खो बैठता है

और कोई घर देखो

हमारा पीछा छोड़ो, यहाँ मतलब पूरा न होगा, यहाँ तुमको कुछ न मिल पाएगा

आधी रात और घर का परोसने वाला

(शाब्दिक) आधी रात का वक़्त हो और बाँटने वाला अपना तो फिर क्यों न फ़ायदा हो, (अर्थात) ख़ूब फ़ायदा उठाओ, कोई पूछगछ करने वाला नहीं (लाभ उठाने की जगह प्रयुक्त)

घर का और दिल का भेद हर एक के सामने न कहें

अपने दिल और घर की बात हर एक से नहीं कहनी चाहिए, गोपनीयता से काम लेना चाहिए

जीते का घर और मुए की क़ब्र

यानी तुम्हारी चालाकियों को में ख़ूब जानता हूँ

मूए की क़ब्र और जीते का घर

मुर्दे को क़ब्र में आराम और ज़िंदा को घर में, हर व्यक्ति अपनी जगह पर ही ठीक ढंग से रहता है, हर व्यक्ति अपनी जगह पर ख़ुश रहता है, हर चीज़ अपनी उचित जगह पर अच्छी लगती है

घर बियाह और बहू पपलियों

सख़्त बदइंतिज़ामी है , बे मौक़ा की ख़ुशी के वक़्त मुस्तामल या जब माँबाप चयन करें और औलाद मुसीबत भुगते उस वक़्त बोलते हैं

घर में पकें चूहे और बाहर कहें पाए

मुफ़लस शेखी बाज़ के मुताल्लिक़ कहते हैं, घर में कुछ नहीं है मगर शेखी मारता है

घर में भोनी भाँग नहीं और उल्फ़त सब्ज़ रंगों से

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

तीन बुलाए तेरह आए देखो यहाँ की रीत, बाहर वाले खा गए और घर के गावें गीत

जब तीन अतिथियों के बदले तेरह आ जाते हैं तो निर्धन आदमी पकी हुई दाल या सालन में पानी झोंक देते हैं ताकि बढ़ोतरी हो जाए

आमने-सामने घर करूं और बीच करूं मैदान

आमने-सामने घर बना कर झगड़ा करती रहूँ

घर की बिल्ली और घर ही में शिकार

घरेलू एवं आपसी झगड़ों अथवा विवादों के समय प्रयुक्त

जीते का घर और मुए की गोर बता

यानी तुम्हारी चालाकियों को में ख़ूब जानता हूँ

घर की मरी और मरा साग

रुक : घर की पटकी बासी साग

जीते का घर और मुए की गोर पहचानते हैं

यानी तुम्हारी चालाकियों को में ख़ूब जानता हूँ

घर भी बैठो, और जान भी खाओ

निख़ट्टू व्यक्ति घर में रह कर घर वालों को तंग करता रहता है

घर में भोनी भाँग नहीं और न्यौते साठ

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

नौकरी और ख़ाला जी का घर

रुक : नौकरी ख़ाला जी का घर नहीं

सब से भला किसान, खेती करे और घर रहे

दूसरे व्यवसाय वाले मारे मारे फिरते हैं, किसान अपने घर रहता है इस लिए सबसे अच्छा होता है

घर में भोनी भाँग नहीं और बाहर न्योते सात

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

घर में भोनी भाँग नहीं और बाहर न्योते सात

कोई निर्धनता की हालात में बड़ी बड़ी आशाएँ या ग़रीबी में अमीरों की रेस करे तो उस के प्रति कहते हैं

गर्मी सब्ज़ह रंगों से और घर में भूनी भाँग नहीं

निर्धनता में अय्याशी का शौक़

घर में भूनी भाँग नहीं और उल्फ़त सब्ज़ा रंगों से

निर्धनता में अय्याशी का शौक़

बेटियों वाला घर और चिलमों वाला चूल्हा कभी पनपता नहीं

जिस घर में बहुत सी बेटियां हूँ इस के मसारिफ़ बहुत ज़्यादा होते हैं जो उमूमन ख़ुशहाल नहीं होने देते जिस तरह वो चूल्हा जिस से बार बार हक़ीक़ी चिलिमें भरी जाएं पूरी आन नहीं देने पाता

घर के जले बन गए बन में लागी आग और बन बिचारा क्या करे जो कर्मों लागी आग

अभागे व्यक्ति का कहीं भी ठिकाना नहीं जहाँ जाएगा वहीं दुख उठाएगा

गर्मी सब्ज़ा रंगों से और घर में भूनी भंग नहीं

निर्धनता में अय्याशी का शौक़

घर की पुटकी बासी साग, घर की मुरी और मुरा साग

डींगें हाँकने या शेख़ी बघारने वाले के बारे में प्रयुक्त

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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