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फूहड़

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फूहड़ी

फूहड़ा

फूहड़-पन

फूहड़ होने की अवस्था या भाव

फूहड़ की खीर

(लाक्षणिक) कोई काम जो अशिष्टता से किया गया हो

फूहड़ दर्ज़ी , लम्बा डोरा

फूहड़ इंसान हमेशा काम ख़राब करता है

फूहड़ चाले नौ घर हाले

फूहड़ घर से निकले तो लोग घबराते हैं क्यूँ कि वो हर जगह मूर्खता की बात करती है

फूहड़ चले तो घर हिले

रुक : फूहड़ चाले नौ घर हाले

फूहड़ सीने बैठे तब सूई तोड़े

निर्गुण स्त्री काम में हानि करती है

फूहड़ का माल हँस हँस खाओ

मूर्ख का माल चापलूस हँस-हँस कर खाते हैं

फूहड़ करे सिंगार माँग ईंटों से फोड़े

मूर्ख स्त्री के पास समय पड़ने पर कोई चीज़ नहीं निकलती इसलिये उसे अनुचित चीज़ें प्रयोग करनी पड़ती हैं

फूहड़ की छाड़ू सुघड़ का लीपा दोनों छुपते नहीं

बद सलीक़ा और ख़ुशसलीक़ा का काम ख़ुद बोल उठता है

फूहड़ के घर उगी चंबेरी, गोबर माँड उसी पर गेरी

फूहड़ महिला की मूर्खता प्रकट करने के लिए कहते हैं

फूहड़ के घर खिड़की लगी सब कुत्तों को चिन्ता पड़ी, बाँडा कुत्ता पाँचे सौन लगी तो है पर देगा कौन

फूहड़ महिला के घर में दरवाज़ा लगा तो कुत्तों को फ़िक्र पड़ी परंतु एक बे-दुम अर्थात लंडूरे कुत्ते ने कहा कि दरवाज़ा लगा तो है उसे बंद कौन करेगा

मुँह का फूहड़

जिसे बात करने की आचरण न हो, बदलगाम, मुँह-फट

आए चैत सहावन फूहड़ मैल छुड़ावन

दिन दीसे न फूहड़ पीसे

फवीड़ि और बदसलीक़ा औरत और औरत की काहिली की निसबत कहते हैं

सुघड़ की झाड़ू , फूहड़ का बच्चा

रुक : सुघड़ की झाड़ू फूहड़ का लीपा जो असल कहावत है

सुघड़ की झाड़ू फूहड़ का लीपा

सलीक़ा मंद की सफ़ाई और बदसलीक़ा की लिपाई छिपी नहीं रहती, सुघड़ का सुघड़ पन और फूहड़ का फूहड़पन ज़ाहिर होजाता है

करनी न कर्तूत फूहड़ लड़ने को मज़बूत

मुफ़्त में डींग और चिड़चिड़ापन प्रकट करना, काम कुछ हो नहीं सकता लड़ने को तैयार रहते हैं

बद्ली में दिन न दीसे फूहड़ बैठी पीसे

मूर्ख एवं असभ्यय अवसर नहीं देखता और ग़फ़लत के कारण से काम उस समय आरंभ करता है जब समय निकल जाता है

ढाक तले की फूहड़ महवे तले की सुघड़

बा सामान हर तरह से बासलीक़ा और बे सामान बदसलीक़ा कहलाता है (मो्वा (महो) फुलदार दरख़्त है और ढाक है फल का) अमीर के सब काम अच्छ्াे मालूम होते हैं

जैसी फूहड़ आप छिनाल , तैसी लगावे कल ब्योहार

बुरा शख़्स दूसरों को भी बुरा बना देता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आबरू कम करना के अर्थदेखिए

आबरू कम करना

aabruu kam karnaaآبْرُو کَمْ کَرنا

स्रोत: हिंदी

मुहावरा

आबरू कम करना के हिंदी अर्थ

 

  • आव-भगत में कोताही बरतना, आदर और सत्कार में कमी करना, प्रतिष्ठा घटा देना

Roman

آبْرُو کَمْ کَرنا کے اردو معانی

 

  • خاطر داری میں کوتاہی برتنا، عزت وحرمت گھٹا دینا، آبرو گھٹا دینا

Urdu meaning of aabruu kam karnaa

  • Khaatirdaarii me.n kotaahii baratnaa, izzat vihir mat ghaTaa denaa, aabruu ghaTaa denaa

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फूहड़ होने की अवस्था या भाव

फूहड़ की खीर

(लाक्षणिक) कोई काम जो अशिष्टता से किया गया हो

फूहड़ दर्ज़ी , लम्बा डोरा

फूहड़ इंसान हमेशा काम ख़राब करता है

फूहड़ चाले नौ घर हाले

फूहड़ घर से निकले तो लोग घबराते हैं क्यूँ कि वो हर जगह मूर्खता की बात करती है

फूहड़ चले तो घर हिले

रुक : फूहड़ चाले नौ घर हाले

फूहड़ सीने बैठे तब सूई तोड़े

निर्गुण स्त्री काम में हानि करती है

फूहड़ का माल हँस हँस खाओ

मूर्ख का माल चापलूस हँस-हँस कर खाते हैं

फूहड़ करे सिंगार माँग ईंटों से फोड़े

मूर्ख स्त्री के पास समय पड़ने पर कोई चीज़ नहीं निकलती इसलिये उसे अनुचित चीज़ें प्रयोग करनी पड़ती हैं

फूहड़ की छाड़ू सुघड़ का लीपा दोनों छुपते नहीं

बद सलीक़ा और ख़ुशसलीक़ा का काम ख़ुद बोल उठता है

फूहड़ के घर उगी चंबेरी, गोबर माँड उसी पर गेरी

फूहड़ महिला की मूर्खता प्रकट करने के लिए कहते हैं

फूहड़ के घर खिड़की लगी सब कुत्तों को चिन्ता पड़ी, बाँडा कुत्ता पाँचे सौन लगी तो है पर देगा कौन

फूहड़ महिला के घर में दरवाज़ा लगा तो कुत्तों को फ़िक्र पड़ी परंतु एक बे-दुम अर्थात लंडूरे कुत्ते ने कहा कि दरवाज़ा लगा तो है उसे बंद कौन करेगा

मुँह का फूहड़

जिसे बात करने की आचरण न हो, बदलगाम, मुँह-फट

आए चैत सहावन फूहड़ मैल छुड़ावन

दिन दीसे न फूहड़ पीसे

फवीड़ि और बदसलीक़ा औरत और औरत की काहिली की निसबत कहते हैं

सुघड़ की झाड़ू , फूहड़ का बच्चा

रुक : सुघड़ की झाड़ू फूहड़ का लीपा जो असल कहावत है

सुघड़ की झाड़ू फूहड़ का लीपा

सलीक़ा मंद की सफ़ाई और बदसलीक़ा की लिपाई छिपी नहीं रहती, सुघड़ का सुघड़ पन और फूहड़ का फूहड़पन ज़ाहिर होजाता है

करनी न कर्तूत फूहड़ लड़ने को मज़बूत

मुफ़्त में डींग और चिड़चिड़ापन प्रकट करना, काम कुछ हो नहीं सकता लड़ने को तैयार रहते हैं

बद्ली में दिन न दीसे फूहड़ बैठी पीसे

मूर्ख एवं असभ्यय अवसर नहीं देखता और ग़फ़लत के कारण से काम उस समय आरंभ करता है जब समय निकल जाता है

ढाक तले की फूहड़ महवे तले की सुघड़

बा सामान हर तरह से बासलीक़ा और बे सामान बदसलीक़ा कहलाता है (मो्वा (महो) फुलदार दरख़्त है और ढाक है फल का) अमीर के सब काम अच्छ्াे मालूम होते हैं

जैसी फूहड़ आप छिनाल , तैसी लगावे कल ब्योहार

बुरा शख़्स दूसरों को भी बुरा बना देता है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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