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परदेसी

परदेस से संबंधित, ग़ैर मुल्की, ग़ैर मुलक का, बाहरी, अपना घर छोड़कर दूसरे शहर में रहने वाला, देस देस घूमने वाला, मुसाफ़िर, अन्यदेशीय, अजनबी, बाहर से आया हुआ

परदेसी-आदमी

वह व्यक्ति जो देश से बाहर यात्रा में रहे और कभी किसी कारणवश देश में आ जाए

परदेसी बलम तेरी आस नहीं, बासी फूलों में बास नहीं

परदेसी जिससे मिलने की आस न हो उससे प्रेम करनी व्यर्थ है

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

प्रदेसी की पीत फूँस का तापना

अजनबी की मुहब्बत का एतबार नहीं

प्रदेसी का जी आधा होता है

प्रदेस में मनुष्य का हौसला नहीं रहता

पर्देसिया

पूरब में गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत जिनमें परदेस गये हुए पति के संबंध में उसकी प्रियतमा के उद्गारों का उल्लेख होता है और जिनके प्रत्येक चरण के अंत में 'परदेसिया ' शब्द होता है

क्या पर्देसी की पीत, क्या फूस का तापना, दिया कलेजा काढ़, हुवा नहीं अपना

परदेसी का प्रेम और फूस की आग टिकाऊ नहीं है, परदेसी को अपना कलेजा भी निकाल कर दे दो तो वह अपना नहीं होता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़े-ख़ुद-रफ़्तगी-हा-ए-हैरत के अर्थदेखिए

ज़े-ख़ुद-रफ़्तगी-हा-ए-हैरत

ze-KHud-raftagii-haa-e-hairatز خود رفتگی‌ ہائے حیرت

वज़्न : 222122222

English meaning of ze-KHud-raftagii-haa-e-hairat

  • the state of going beyond one's self due to astonishment

Urdu meaning of ze-KHud-raftagii-haa-e-hairat

  • Roman
  • Urdu

खोजे गए शब्द से संबंधित

परदेसी

परदेस से संबंधित, ग़ैर मुल्की, ग़ैर मुलक का, बाहरी, अपना घर छोड़कर दूसरे शहर में रहने वाला, देस देस घूमने वाला, मुसाफ़िर, अन्यदेशीय, अजनबी, बाहर से आया हुआ

परदेसी-आदमी

वह व्यक्ति जो देश से बाहर यात्रा में रहे और कभी किसी कारणवश देश में आ जाए

परदेसी बलम तेरी आस नहीं, बासी फूलों में बास नहीं

परदेसी जिससे मिलने की आस न हो उससे प्रेम करनी व्यर्थ है

परदेसी की पीत को सब का जी ललचाय, दो ही बातों का खोट है रहे न संग ले जाय

परदेसी के प्रेम में दो बातों का खोट अथवा नुक़्सान है कि न तो वो रहता है न साथ ले जाता है

प्रदेसी की पीत फूँस का तापना

अजनबी की मुहब्बत का एतबार नहीं

प्रदेसी का जी आधा होता है

प्रदेस में मनुष्य का हौसला नहीं रहता

पर्देसिया

पूरब में गाये जानेवाले एक प्रकार के गीत जिनमें परदेस गये हुए पति के संबंध में उसकी प्रियतमा के उद्गारों का उल्लेख होता है और जिनके प्रत्येक चरण के अंत में 'परदेसिया ' शब्द होता है

क्या पर्देसी की पीत, क्या फूस का तापना, दिया कलेजा काढ़, हुवा नहीं अपना

परदेसी का प्रेम और फूस की आग टिकाऊ नहीं है, परदेसी को अपना कलेजा भी निकाल कर दे दो तो वह अपना नहीं होता

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