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दर-ब-दर

एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े पर

दर-ब-दर फिराना

दरबदर फिरना (रुक) का मुतअद्दी

रंग-रेज़ ब-रीश-ए-ख़ुद दर-माँदा

जो ख़ुद ही लाचार हो वह दूसरे की क्या मदद करेगा

ख़जलत रद्द-ए-सवालम ब ज़मीनम दर करद बेज़री बमन आँचे बक़ारून ज़र करद

रद्द सवाल पर बेज़री की वजह से ज़मीन में गड़ गया, मेरे साथ बेज़री ने वो किया जो क़ारून के साथ ज़र ने किया

तूती रा बा ज़ाग़े दर क़फ़स करदंद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) तूती और को्वे को एक जगह बंद कर दिया है , (कनाएन) ख़ूबसूरत की बदसूरत से शादी कर दी है

मोरचगान रा चू बुवद इत्तिफ़ाक़ शेर-ए-ज़ियाँ रा बदर आरंद पोस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) चियूंटियों अगर यकमत हो जाएं तो खूँखार शेर की खाल उतार लेती हैं, बहुत से निर्बल एकमत होकर बलवान को भी प्रास्त कर सकते हैं, आपस के एकमत्ता से काम बनता है

हक़ ब-हक़-दार रसीद

इज़हार इतमीनान के लिए बतौर कहावत ऐसे मौक़ों पर बोला जाता है, जहां किसी को अपना जायज़ हक़ मिल जाये, जिस का हक़ था इस को मिल गया

हुनर-वर दर बे हुनराँ ख़र

(फ़ारसी कहावत) बे हुनरों में हुनरमंद गधे की मानिंद है , बदों में अच्छा निको बिन के रह जाता है

ज़र दार का सौदा है बे ज़र का ख़ुदा हाफ़िज़

धनवान व्यक्ति जो चाहे ले सकता है निर्धन कुछ नहीं कर सकते

बज़्म-ए-दैर-ओ-का'बा

union of temple and Kaaba, composite culture

नोश के बा'द नेश दर मेश

हर ख़ुशी के बाद रंज है , हर ख़ुशी के बाद रंज लगा हुआ है

नोश के बा'द पेश दर पेश

۔مثل ۔ ہر خوشی کے بعد رنج لگا ہوا ہے۔

गुंबद-ए-बे-दर

बिना दरवाज़े का गुम्बद, बंद जगह, प्रतीकात्मक: आसमान

बै'-दार

जो ख़रीदारी के बाद मालिक हो जाए

बे-तरफ़-दार

impartial, neutral

हया-दार अपनी हया से डरा, बे-हया समझा मुझ से डरा

किसी दुष्ट के साथ विनम्र भाव से पेश आओ तो वो समझता है कि मुझ से डर गया

तालिब ज़र का बे ज़रूर जग में ख़्वार हक़ से दूर

लालची दुनिया में ज़लील होता है और हक़ से दूर होता है

हवा-दार-ए-आबी

विशेष प्रकार की राजसी नाव जो नदी की सैर के लिए होती थी

बू गई , बू-दार गई , रही खाल की खाल

शान-ओ-शौकत जाती रही असली हालत रह गई

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में ज़ालिम सर सब्ज़ नहीं होता के अर्थदेखिए

ज़ालिम सर सब्ज़ नहीं होता

zaalim sar sabz nahii.n hotaaظالِم سَر سَبْز نَہِیں ہوتا

कहावत

ज़ालिम सर सब्ज़ नहीं होता के हिंदी अर्थ

  • अत्यचारी को उसका अत्याचार पनपने नहीं देता, अत्याचारी संतान और इच्छा से अभागा रहता है, अत्याचारी वंचित एवं असफ़ल रहता है

ظالِم سَر سَبْز نَہِیں ہوتا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • ظالم کو اس کا ظلم پنپنے نہیں دیتا، ظالم اولاد اور مراد سے بے نصیب رہتا ہے، ظالم نا مراد و نا کام رہتا ہے

Urdu meaning of zaalim sar sabz nahii.n hotaa

  • Roman
  • Urdu

  • zaalim ko is ka zulam panapne nahii.n detaa, zaalim aulaad aur muraad se benasiib rahtaa hai, zaalim naamuraad-o-na kaam rahtaa hai

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दर-ब-दर

एक दरवाज़े से दूसरे दरवाज़े पर

दर-ब-दर फिराना

दरबदर फिरना (रुक) का मुतअद्दी

रंग-रेज़ ब-रीश-ए-ख़ुद दर-माँदा

जो ख़ुद ही लाचार हो वह दूसरे की क्या मदद करेगा

ख़जलत रद्द-ए-सवालम ब ज़मीनम दर करद बेज़री बमन आँचे बक़ारून ज़र करद

रद्द सवाल पर बेज़री की वजह से ज़मीन में गड़ गया, मेरे साथ बेज़री ने वो किया जो क़ारून के साथ ज़र ने किया

तूती रा बा ज़ाग़े दर क़फ़स करदंद

(फ़ारसी कहावत उर्दू में मुस्तामल) तूती और को्वे को एक जगह बंद कर दिया है , (कनाएन) ख़ूबसूरत की बदसूरत से शादी कर दी है

मोरचगान रा चू बुवद इत्तिफ़ाक़ शेर-ए-ज़ियाँ रा बदर आरंद पोस्त

(फ़ारसी कहावत उर्दू में प्रयुक्त) चियूंटियों अगर यकमत हो जाएं तो खूँखार शेर की खाल उतार लेती हैं, बहुत से निर्बल एकमत होकर बलवान को भी प्रास्त कर सकते हैं, आपस के एकमत्ता से काम बनता है

हक़ ब-हक़-दार रसीद

इज़हार इतमीनान के लिए बतौर कहावत ऐसे मौक़ों पर बोला जाता है, जहां किसी को अपना जायज़ हक़ मिल जाये, जिस का हक़ था इस को मिल गया

हुनर-वर दर बे हुनराँ ख़र

(फ़ारसी कहावत) बे हुनरों में हुनरमंद गधे की मानिंद है , बदों में अच्छा निको बिन के रह जाता है

ज़र दार का सौदा है बे ज़र का ख़ुदा हाफ़िज़

धनवान व्यक्ति जो चाहे ले सकता है निर्धन कुछ नहीं कर सकते

बज़्म-ए-दैर-ओ-का'बा

union of temple and Kaaba, composite culture

नोश के बा'द नेश दर मेश

हर ख़ुशी के बाद रंज है , हर ख़ुशी के बाद रंज लगा हुआ है

नोश के बा'द पेश दर पेश

۔مثل ۔ ہر خوشی کے بعد رنج لگا ہوا ہے۔

गुंबद-ए-बे-दर

बिना दरवाज़े का गुम्बद, बंद जगह, प्रतीकात्मक: आसमान

बै'-दार

जो ख़रीदारी के बाद मालिक हो जाए

बे-तरफ़-दार

impartial, neutral

हया-दार अपनी हया से डरा, बे-हया समझा मुझ से डरा

किसी दुष्ट के साथ विनम्र भाव से पेश आओ तो वो समझता है कि मुझ से डर गया

तालिब ज़र का बे ज़रूर जग में ख़्वार हक़ से दूर

लालची दुनिया में ज़लील होता है और हक़ से दूर होता है

हवा-दार-ए-आबी

विशेष प्रकार की राजसी नाव जो नदी की सैर के लिए होती थी

बू गई , बू-दार गई , रही खाल की खाल

शान-ओ-शौकत जाती रही असली हालत रह गई

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