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क्रोध

गुस्सा, कोप, रोष, तीक्ष्ण मनोविकार

क्रोधी

जिसे बहुत जल्दी अथवा बिना विशेष बात के गुस्सा आ जाता हो, जिसे जल्दी या शीघ्र ही गुस्सा आता हो, गुस्सैल; प्रायः क्रोध करने के स्वभाव वाला, गुस्से वाला, ग़ज़बनाक, नाराज़

जित-किरोध

وہ جس نے اپنے غصے پر قابو پا لیا ہو، جو غصے میں نہ آ ئے

काम-किरोध

भावना की प्रबलता, बैर और आदतें, कामुक इच्छाएँ और गु़स्सा

साधू वही जो साधन करे , करोध लोभ और मोह को मारे

फ़क़ीर वही है जो नफ़स मारे और लालच और शहवत को क़ाबू में रखे

काम क्रोध, मध, लोभ की जब मन में होवे खान, का पंडित का मूर्खा दोऊ एक समान

काम वासना, क्रोध, घमंड और लोभ अर्थात लालच अगर दिल में हों तो ज्ञानी एवं अनपढ़ दोनों बराबर हैं

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में कोई बात मुँह से निकल जाना के अर्थदेखिए

कोई बात मुँह से निकल जाना

ko.ii baat mu.nh se nikal jaanaaکوئی بات مُنھ سے نِکَل جانا

मुहावरा

कोई बात मुँह से निकल जाना के हिंदी अर्थ

  • कोई बे-मौक़ा बात मुँह से बे-इख़्तियार निकल जाना, मुँह से कोई कठोर या अप्रिय बात निकलना, कोई सख़्त या नाख़ुशगवार बात मुँह से निकल जाना

کوئی بات مُنھ سے نِکَل جانا کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu
  • کوئی بے موقع بات منہ سے بے اختیار نکل جانا، کوئی سخت یا ناخوشگوار بات منھ سے نکل جانا

Urdu meaning of ko.ii baat mu.nh se nikal jaanaa

  • Roman
  • Urdu

  • ko.ii be mauqaa baat mu.nh se be.iKhtyaar nikal jaana, ko.ii saKht ya naaKhushagvaar baat mu.nh se nikal jaana

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क्रोध

गुस्सा, कोप, रोष, तीक्ष्ण मनोविकार

क्रोधी

जिसे बहुत जल्दी अथवा बिना विशेष बात के गुस्सा आ जाता हो, जिसे जल्दी या शीघ्र ही गुस्सा आता हो, गुस्सैल; प्रायः क्रोध करने के स्वभाव वाला, गुस्से वाला, ग़ज़बनाक, नाराज़

जित-किरोध

وہ جس نے اپنے غصے پر قابو پا لیا ہو، جو غصے میں نہ آ ئے

काम-किरोध

भावना की प्रबलता, बैर और आदतें, कामुक इच्छाएँ और गु़स्सा

साधू वही जो साधन करे , करोध लोभ और मोह को मारे

फ़क़ीर वही है जो नफ़स मारे और लालच और शहवत को क़ाबू में रखे

काम क्रोध, मध, लोभ की जब मन में होवे खान, का पंडित का मूर्खा दोऊ एक समान

काम वासना, क्रोध, घमंड और लोभ अर्थात लालच अगर दिल में हों तो ज्ञानी एवं अनपढ़ दोनों बराबर हैं

जब तू न्याय की गद्दी पर बैठे तो अपने मन से तरफ़-दारी लालच और क्रोध को दूर कर

शासक को पक्षपात लालच और क्रोध नहीं करना चाहिए

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