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इंसान अनाज का कीड़ा है

मनुष्य के जीवन का आश्रय भोजन पर है, मनुष्य खाए बिना जीवित नहीं रह सकता

आदमी अनाज का कीड़ा है

मनुष्य के जीवन का आश्रय भोजन पर है, मनुष्य खाए बिना जीवित नहीं रह सकता

अनाज का कीड़ा

अनाज पर अपना जीवन व्यतीत करने वाला (मनुष्य )

आदमी अन्न का कीड़ा है

मनुष्य बिना भोजन किए जीवित नहीं रह सकता, मानवीय जीवन की निर्भरता भोजन पर है

इंसान ख़ता का पुतला है

मनुष्य विस्मृति से मुक्त नहीं, मनुष्य का स्वभाव त्रुटिपूर्ण है (जब किसी व्यक्ति से उसकी गरिमा के विरूध्द कोई बात हो तो उसकी क्षमायाचना में प्रयुक्त)

मोरी का कीड़ा मोरी में ख़ुश रहता है

۔(دہلی) (عو) مثل جو گندگی میں پلا ہو وہ گندگی میں خوش رہتا ہے۔

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहता है

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

गू का कीड़ा गू ही में ख़ुश रहता है

जो आदमी जैसी संगत में पला होता है वैसी ही संगत उस को भली मालूम होती है

पेलते पेलते इंसान कोल्हू का बैल बन जाता है

अगर आदमी हरवक़त काम ही करता रहे तो इस की हालत अच्छी नहीं रहती

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहे

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

ग़रीब को कौड़ी अशरफ़ी है

ग़रीब बहुत थोड़ी चीज़ से राज़ी या ख़ुश हो जाता है

दो कौड़ी की 'इज़्ज़त हो जाना

आबरू जाती रहना, बेइज़्ज़ती होना, तज़लील हो जाना

'इज़्ज़त दो कौड़ी की हो जाना

प्रतिष्ठा समाप्त होना, आबरू का मिट जाना, अपमान हो जाना, साख जाती रहना, बेइज़्ज़त हो जाना

कौड़ी न हो तो कौड़ी के फिर तीन-तीन

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

कौड़ी की 'इज़्ज़त हो जाना

नब्बे इज़्ज़त होजाना, बेवक़ार-ओ-बेवुक़त होजाना, बात बिगड़ी जाना

कौड़ी न हो तो फिर कौड़ी के तीन-तीन हैं

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

पत्थर के कीड़े को भी ख़ुदा देता है

۔ख़ुदा ताला हर शख़्स को रिज़्क देता है कोई महरूम नहीं रहता।

कोड़ी के तीन-तीन हो गए

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, कड़ी बड़ंगा तोड़ के ऊपर ही को लो

एक लड़का एक खंबा को दोनों हाथों से पकड़े हुए था, बाप ने चुने दिए तो उसने दोनों हाथ फैला कर ले लिए फिर हाथ न निकल सके, लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया, उसने कहा कि छत उतार कर लड़के को ऊपर खींच लो

पराए घर का कूड़ा है

۔ (ओ) बेटी के हक़ में बोलती हैं कि वो दूसरे के घर ब्याही जाएगी

आबरू दो कौड़ी की हो जाना

मान-सम्मान और साख समाप्त हो जाना

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही कफ़न को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही मन को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

कौड़ी का हो जाना

बेकार हो जाना, बेआबरू हो जाना, कौड़ी की क़ीमत हो जाना

कौड़ी की बात हो जाना

۔ ذرا آبرو نہ رہنا۔ نہایت بے وقری اور بے قدری ہوجانا۔ ؎

बात कौड़ी की हो जाना

विश्वशनियता खत्म होना, अप्रतिष्ठित होना, भ्रम न रहना

काँड़े की एक रग सवा होती है

काने में शरारत अधिक होती है

कौड़ी-कौड़ी को भंगी हो जाना

एक-एक कौड़ी को मुहताज होना, बहुत बेइज़्ज़त हो जाना

साठ सासें नंद हों सौं, माँ की हवा न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

कौड़ी-कौड़ी माया, जोड़े जो ज़मीं में धरता है, जिस का लहना वही खावे पापी बरिय्या मरता है

कंजूस पापी परेशानी भर कर जोड़ता है, फिर जिस को नसीब होता है वही खाता है

क़ा'इदे की बात है

सामान्य नियम है, सैद्धांतिक बात है

दो हाजू की जोरू और सौदागर की घोड़ी जितनी कूदे उतनी ही थोड़ी

नई नवेली दुल्हन के मुताल्लिक़ कहते हैं कि वो जितने नख़रे दिखाए कम है

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, पैर में चक्की बाँध के कोई हिरना कूदा हुए

रात को गाँव के पास से हाथी गुज़रा, उसके पाँव का निशान देख कर लोग बहुत हैरान हुए, लाल बुझक्कड़ ने यह फ़ैसला दिया कि कोई हिरन पाँव में चक्की बाँध के कूदा है

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी का हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में दबाव के अर्थदेखिए

दबाव

dabaavدَباؤ

स्रोत: हिंदी

वज़्न : 121

दबाव के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

  • किसी बड़े या महत्त्वपूर्ण व्यक्ति का ऐसा प्रभाव जिससे दबकर लोग कोई काम करते हों। क्रि० प्र०-डालना। पड़ना।-मानना।-में आना।-
  • दबाने की क्रिया या भाव। दाब।
  • बोझ, भार, प्रेशर, तनाव
  • दबाने की क्रिया, दाब, चाँप

शे'र

English meaning of dabaav

Noun, Masculine

  • awe
  • pressure, stress, tension
  • influence, authority, power
  • pressing and pushing something
  • pressure, pressing down
  • restraint, constraint

دَباؤ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • بوجھ، وزن، زور، طاقت
  • ثقالت، بھاری پن، تناؤ
  • رعب‏ داب، اثر
  • کسی چیز کو دبانے کا عمل، چانپنا، دابنا
  • خوف، ڈر، دہشت
  • سختی، جبر
  • لحاظ، خیال
  • حکم، تحکم، حکومت، اختیار

Urdu meaning of dabaav

  • Roman
  • Urdu

  • bojh, vazan, zor, taaqat
  • saqaalat, bhaarii pan, tanaav
  • rob daab, asar
  • kisii chiiz ko dabaane ka amal, chaanapnaa, daabnaa
  • Khauf, Dar, dahasht
  • saKhtii, jabar
  • lihaaz, Khyaal
  • hukm, tahakkum, hukuumat, iKhatiyaar

दबाव के पर्यायवाची शब्द

दबाव के यौगिक शब्द

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इंसान अनाज का कीड़ा है

मनुष्य के जीवन का आश्रय भोजन पर है, मनुष्य खाए बिना जीवित नहीं रह सकता

आदमी अनाज का कीड़ा है

मनुष्य के जीवन का आश्रय भोजन पर है, मनुष्य खाए बिना जीवित नहीं रह सकता

अनाज का कीड़ा

अनाज पर अपना जीवन व्यतीत करने वाला (मनुष्य )

आदमी अन्न का कीड़ा है

मनुष्य बिना भोजन किए जीवित नहीं रह सकता, मानवीय जीवन की निर्भरता भोजन पर है

इंसान ख़ता का पुतला है

मनुष्य विस्मृति से मुक्त नहीं, मनुष्य का स्वभाव त्रुटिपूर्ण है (जब किसी व्यक्ति से उसकी गरिमा के विरूध्द कोई बात हो तो उसकी क्षमायाचना में प्रयुक्त)

मोरी का कीड़ा मोरी में ख़ुश रहता है

۔(دہلی) (عو) مثل جو گندگی میں پلا ہو وہ گندگی میں خوش رہتا ہے۔

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहता है

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

गू का कीड़ा गू ही में ख़ुश रहता है

जो आदमी जैसी संगत में पला होता है वैसी ही संगत उस को भली मालूम होती है

पेलते पेलते इंसान कोल्हू का बैल बन जाता है

अगर आदमी हरवक़त काम ही करता रहे तो इस की हालत अच्छी नहीं रहती

मोरी का कीड़ा मोरी ही में ख़ुश रहे

جو بُری جگہ یا صحبت میں رہنے کا عادی ہوجائے اس کا جی دوسری جگہ نہیں لگتا (رک : گو کا کیڑا گو میں خوش رہتا ہے) ۔

ग़रीब को कौड़ी अशरफ़ी है

ग़रीब बहुत थोड़ी चीज़ से राज़ी या ख़ुश हो जाता है

दो कौड़ी की 'इज़्ज़त हो जाना

आबरू जाती रहना, बेइज़्ज़ती होना, तज़लील हो जाना

'इज़्ज़त दो कौड़ी की हो जाना

प्रतिष्ठा समाप्त होना, आबरू का मिट जाना, अपमान हो जाना, साख जाती रहना, बेइज़्ज़त हो जाना

कौड़ी न हो तो कौड़ी के फिर तीन-तीन

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

कौड़ी की 'इज़्ज़त हो जाना

नब्बे इज़्ज़त होजाना, बेवक़ार-ओ-बेवुक़त होजाना, बात बिगड़ी जाना

कौड़ी न हो तो फिर कौड़ी के तीन-तीन हैं

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

पत्थर के कीड़े को भी ख़ुदा देता है

۔ख़ुदा ताला हर शख़्स को रिज़्क देता है कोई महरूम नहीं रहता।

कोड़ी के तीन-तीन हो गए

निर्धन आदमी को कोई नहीं पूछता, अपने पास पैसा न हो तो अपना कोई मोल या महत्त्व नहीं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, कड़ी बड़ंगा तोड़ के ऊपर ही को लो

एक लड़का एक खंबा को दोनों हाथों से पकड़े हुए था, बाप ने चुने दिए तो उसने दोनों हाथ फैला कर ले लिए फिर हाथ न निकल सके, लाल बुझक्कड़ को बुलाया गया, उसने कहा कि छत उतार कर लड़के को ऊपर खींच लो

पराए घर का कूड़ा है

۔ (ओ) बेटी के हक़ में बोलती हैं कि वो दूसरे के घर ब्याही जाएगी

आबरू दो कौड़ी की हो जाना

मान-सम्मान और साख समाप्त हो जाना

साजन हम तुम ऐक हैं देखत के हैं दो, मन से मन को तौल दो मन कदी न हो

हम तुम असल में एक हैं भले ही दो दिखाई देते हैं

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही कफ़न को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

चख डाल माल धन को कौड़ी न रख कफ़न को, जिस ने दिया है तन को देगा वही मन को

आनंद लो ख़र्च करो, किसी बात की परवाह नहीं

कौड़ी का हो जाना

बेकार हो जाना, बेआबरू हो जाना, कौड़ी की क़ीमत हो जाना

कौड़ी की बात हो जाना

۔ ذرا آبرو نہ رہنا۔ نہایت بے وقری اور بے قدری ہوجانا۔ ؎

बात कौड़ी की हो जाना

विश्वशनियता खत्म होना, अप्रतिष्ठित होना, भ्रम न रहना

काँड़े की एक रग सवा होती है

काने में शरारत अधिक होती है

कौड़ी-कौड़ी को भंगी हो जाना

एक-एक कौड़ी को मुहताज होना, बहुत बेइज़्ज़त हो जाना

साठ सासें नंद हों सौं, माँ की हवा न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

कौड़ी-कौड़ी माया, जोड़े जो ज़मीं में धरता है, जिस का लहना वही खावे पापी बरिय्या मरता है

कंजूस पापी परेशानी भर कर जोड़ता है, फिर जिस को नसीब होता है वही खाता है

क़ा'इदे की बात है

सामान्य नियम है, सैद्धांतिक बात है

दो हाजू की जोरू और सौदागर की घोड़ी जितनी कूदे उतनी ही थोड़ी

नई नवेली दुल्हन के मुताल्लिक़ कहते हैं कि वो जितने नख़रे दिखाए कम है

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

साठ सास नंद हों सौं, माँ की होर न अनसों हो

चाहे साठ सास / सासें और नंद हूँ माँ के बराबर नहीं हो सकतीं

लाल बुझक्कड़ बूझियाँ और न बूझा कोए, पैर में चक्की बाँध के कोई हिरना कूदा हुए

रात को गाँव के पास से हाथी गुज़रा, उसके पाँव का निशान देख कर लोग बहुत हैरान हुए, लाल बुझक्कड़ ने यह फ़ैसला दिया कि कोई हिरन पाँव में चक्की बाँध के कूदा है

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी का हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

झूटे की कुछ पत नहीं सजन झूट न बोल, लख-पति का झूट से दो कौड़ी हो मोल

झूठे का कोई सम्मान नहीं होता

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