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अपने बाप का नहीं

किसी से दयालुता के कारण कोई भलाई नहीं करता, जो सत्य होता है, वह करता है

अपने बाप का बेटा है

बाप से शक्ल-ओ-सूरत या सीरत-ओ-ख़साइल मिलते जुलते हैं, ख़लफ़ है, (ना ख़लफ़ नहीं), जैसे किलो मिस्त्री के लड़के ने कैसा आलीशान मकान तामीर कर दिया, वाक़ई अपने बाप का बेटा है

भाई भाव का नहीं अपने दाव का

भाई वह है जो प्यार करे न कि वह जो हमेशा अपने फायदे के बारे में सोचे

माँ बाप जीते, हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

माँ बाप जीते, हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

माँ बाप जीते कोई हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

जिसके माँ बाप जीते हैं, वह हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

जिस के माँ बाप जीते हों वो हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

अपना ठीक नहीं और का नीक नहीं

न अपनी समझ से काम लेते हैं न दूसरे की विचारों पर कार्य करते हैं

क्या पर्देसी की पीत, क्या फूस का तापना, दिया कलेजा काढ़, हुवा नहीं अपना

परदेसी का प्रेम और फूस की आग टिकाऊ नहीं है, परदेसी को अपना कलेजा भी निकाल कर दे दो तो वह अपना नहीं होता

क्या पर्देसी की पीत और क्या फूस का तापना, दिया कलेजा काढ़, हुवा नहीं आपना

परदेसी का प्रेम और फूस की आग टिकाऊ नहीं है, परदेसी को अपना कलेजा भी निकाल कर दे दो तो वह अपना नहीं होता

अपनी ग़रज़ पर लोग गधे को भी बाप बनाते हैं

संकट या आवश्यकता के समय नीच और घटिया आदमी की भी चापलूसी करनी पड़ती है

बाप को पूत पिता पत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा

प्रत्येक व्यक्ति और जानवर में अपने बाप की स्वभाविक विशेषता पाई जाती हैं, अपने वंश का प्रभाव ज़रूर आता है, बीज की प्रभावशीलता प्राकृतिक है

अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता

हर कोई अपने माल की प्रशंसा करता है

दही वाला अपने दही को कभी खट्टा नहीं कहता

अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं कहता

बेटा बन के सब ने खाया है, बाप बन के कोई नहीं खाता

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता

प्रत्येक अपनी वस्तु को अच्छा समझता है

अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं बताता

अपनी वस्तु को सभी अच्छा बताते हैं

पैग़म्बर अपने घर के सिवा कहीं बे क़द्र नहीं होता

साहिब कमाल की मुख़ालिफ़त सब से ज़्यादा घर वाले ही करते हैं

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

दही वाला अपनी दही को कभी खट्टा नहीं कहता

अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं कहता

अपनी हाई-मराई कोई नहीं भूलता

अपना दुख कोई नहीं भूलता, अपनी हानि सब को याद रहती है, अपना भुगता सबको याद रहता है

अपनी हराई-मराई कोई नहीं भूलता

अपना दुख कोई नहीं भूलता, अपनी हानि सब को याद रहती है, अपना भुगता सबको याद रहता है

ग्वालिन अपने दही को खट्टा नहीं कहती

अपनी वस्तु को कोई बुरा नहीं कहता

गाय को अपने सींग भारी नहीं

(औरत) अपने परीवार के लोग किसी को बोझ नहीं मालूम पड़ते

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

गाय को अपने सींग भारी नहीं होते

मनुष्य को अपने सगे संबंधी और परिवार बोझ नहीं लगते

माँ बाप जनम के साथी हैं, कर्म के नहीं

माँ बाप ज़िंदगी में साथ देते हैं आख़िरत में कोई काम नहीं आता

बेटा बन के सब ने खाया है, बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हरामी नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

बेटा बन के सब खाते हैं, बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

कुंज्ड़न (कुंज्डी) अपने बेर को खट्टा नहीं बताती

कोई अपनी चीज़ को ख़राब नहीं कहता

अपने घर आए कुत्ते को भी नहीं धुतकारते

अगर अपने घर कोई सबसे नीच से भी नीच और घृणित से भी घृणित व्यक्ति भी आए तो उसका भी आदर-सत्कार किया जाता है

भैंस को अपने सींग भारी नहीं होते

मनुष्य को अपने सगे संबंधी और परिवार बोझ नहीं लगते

और की फुल्ली देखते हैं, अपना टेंटर नहीं

अपने अवगुण की उपेक्षा कर के दूसरों के अवगुणों का बखान करना

और की फुल्ली देखते हैं, अपना टेंटर नहीं

दूसरे के साधारण से ऐब पर नज़र जाती है अपना बड़ा सा ऐब भी नहीं दिखाई देता

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ लेते हो, कहा अपना काम यही है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं भाती

लेने को तैयार, देने से नकारना

भैंस को अपनी सींग भारी नहीं होते

किसी को अपने अहल-ओ-अयाल गिरां नहीं गुज़रते

और की फुल्ली देखते हैं, अपना टेंट नहीं निहारते

अपने अवगुण की उपेक्षा कर के दूसरों के अवगुणों का बखान करना

बाप की नाव आज नहीं कल और कल नहीं परसों डूबे और डूबे

पापी को दण्ड अवश्य मीलता है, बुराई को अवश्य पतन है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में बाप के अर्थदेखिए

बाप

baapباپ

स्रोत: संस्कृत

वज़्न : 21

टैग्ज़: संबंध ईसाइयत

बाप के हिंदी अर्थ

संज्ञा, पुल्लिंग

शे'र

English meaning of baap

باپ کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

اسم، مذکر

  • والد، پدر، پتا
  • مربی، پالنے والا
  • بانی، موجد
  • مورث، جد اعلیٰ
  • بہت بڑا ، بہت زیادہ بڑھاچڑھا ہوا (صلہ: کا، کی، کے)
  • (مسیحی) خدا

Urdu meaning of baap

  • Roman
  • Urdu

  • vaalid, pidar, pata
  • murabbii, paalne vaala
  • baanii, muujid
  • muuris, jad aalaa
  • bahut ba.Daa, bahut zyaadaa ba.Dhaa cha.Dhaa hu.a (silaah ka, kii, ke
  • (masiihii) Khudaa

बाप के पर्यायवाची शब्द

बाप से संबंधित कहावतें

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अपने बाप का नहीं

किसी से दयालुता के कारण कोई भलाई नहीं करता, जो सत्य होता है, वह करता है

अपने बाप का बेटा है

बाप से शक्ल-ओ-सूरत या सीरत-ओ-ख़साइल मिलते जुलते हैं, ख़लफ़ है, (ना ख़लफ़ नहीं), जैसे किलो मिस्त्री के लड़के ने कैसा आलीशान मकान तामीर कर दिया, वाक़ई अपने बाप का बेटा है

भाई भाव का नहीं अपने दाव का

भाई वह है जो प्यार करे न कि वह जो हमेशा अपने फायदे के बारे में सोचे

माँ बाप जीते, हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

माँ बाप जीते, हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

माँ बाप जीते कोई हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

जिसके माँ बाप जीते हैं, वह हराम का नहीं कहलाता

सबूत मौजूद हो तो दा'वा ग़लत नहीं ठहराया जाता

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

जिस के माँ बाप जीते हों वो हराम का नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

अपना ठीक नहीं और का नीक नहीं

न अपनी समझ से काम लेते हैं न दूसरे की विचारों पर कार्य करते हैं

क्या पर्देसी की पीत, क्या फूस का तापना, दिया कलेजा काढ़, हुवा नहीं अपना

परदेसी का प्रेम और फूस की आग टिकाऊ नहीं है, परदेसी को अपना कलेजा भी निकाल कर दे दो तो वह अपना नहीं होता

क्या पर्देसी की पीत और क्या फूस का तापना, दिया कलेजा काढ़, हुवा नहीं आपना

परदेसी का प्रेम और फूस की आग टिकाऊ नहीं है, परदेसी को अपना कलेजा भी निकाल कर दे दो तो वह अपना नहीं होता

अपनी ग़रज़ पर लोग गधे को भी बाप बनाते हैं

संकट या आवश्यकता के समय नीच और घटिया आदमी की भी चापलूसी करनी पड़ती है

बाप को पूत पिता पत घोड़ा बहुत नहीं तो थोड़ा थोड़ा

प्रत्येक व्यक्ति और जानवर में अपने बाप की स्वभाविक विशेषता पाई जाती हैं, अपने वंश का प्रभाव ज़रूर आता है, बीज की प्रभावशीलता प्राकृतिक है

अपने दही को कोई खट्टा नहीं कहता

हर कोई अपने माल की प्रशंसा करता है

दही वाला अपने दही को कभी खट्टा नहीं कहता

अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं कहता

बेटा बन के सब ने खाया है, बाप बन के कोई नहीं खाता

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं कहता

प्रत्येक अपनी वस्तु को अच्छा समझता है

अपनी छाछ को कोई खट्टा नहीं बताता

अपनी वस्तु को सभी अच्छा बताते हैं

पैग़म्बर अपने घर के सिवा कहीं बे क़द्र नहीं होता

साहिब कमाल की मुख़ालिफ़त सब से ज़्यादा घर वाले ही करते हैं

दिल में नहीं डर तो सब की पगड़ी अपने सर

यदि दिल में किसी बात का डर नहीं तो आदमी किसी की परवाह नहीं करता, दिल में भय या सम्मान न हो तो मनुष्य निर्भय एवं धृष्ट हो जाता है

दही वाला अपनी दही को कभी खट्टा नहीं कहता

अपनी चीज़ को कोई बुरा नहीं कहता

अपनी हाई-मराई कोई नहीं भूलता

अपना दुख कोई नहीं भूलता, अपनी हानि सब को याद रहती है, अपना भुगता सबको याद रहता है

अपनी हराई-मराई कोई नहीं भूलता

अपना दुख कोई नहीं भूलता, अपनी हानि सब को याद रहती है, अपना भुगता सबको याद रहता है

ग्वालिन अपने दही को खट्टा नहीं कहती

अपनी वस्तु को कोई बुरा नहीं कहता

गाय को अपने सींग भारी नहीं

(औरत) अपने परीवार के लोग किसी को बोझ नहीं मालूम पड़ते

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

ऊँट जब तक पहाड़ के नीचे न आए किसी को अपने से ऊँचा नहीं समझता

गाय को अपने सींग भारी नहीं होते

मनुष्य को अपने सगे संबंधी और परिवार बोझ नहीं लगते

माँ बाप जनम के साथी हैं, कर्म के नहीं

माँ बाप ज़िंदगी में साथ देते हैं आख़िरत में कोई काम नहीं आता

बेटा बन के सब ने खाया है, बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

जिस के माँ बाप जीते हैं वो हरामी नहीं कहलाता

जिसके लिए प्रमाण और सबूत मौजूद है, उसे कोई भी विश्वासरहित नहीं कह सकता

बेटा बन के सब खाते हैं, बाप बन के किसी ने नहीं खाया

छोटा बन कर मतलब निकाला जाता है बड़ा बन कर नहीं

कुंज्ड़न (कुंज्डी) अपने बेर को खट्टा नहीं बताती

कोई अपनी चीज़ को ख़राब नहीं कहता

अपने घर आए कुत्ते को भी नहीं धुतकारते

अगर अपने घर कोई सबसे नीच से भी नीच और घृणित से भी घृणित व्यक्ति भी आए तो उसका भी आदर-सत्कार किया जाता है

भैंस को अपने सींग भारी नहीं होते

मनुष्य को अपने सगे संबंधी और परिवार बोझ नहीं लगते

और की फुल्ली देखते हैं, अपना टेंटर नहीं

अपने अवगुण की उपेक्षा कर के दूसरों के अवगुणों का बखान करना

और की फुल्ली देखते हैं, अपना टेंटर नहीं

दूसरे के साधारण से ऐब पर नज़र जाती है अपना बड़ा सा ऐब भी नहीं दिखाई देता

कुछ लेते हो, कहा अपना काम क्या है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं आती

लेने को तैयार, देने से नकारना

कुछ लेते हो, कहा अपना काम यही है, कुछ देते हो, कहा यह शरारत बंदे को नहीं भाती

लेने को तैयार, देने से नकारना

भैंस को अपनी सींग भारी नहीं होते

किसी को अपने अहल-ओ-अयाल गिरां नहीं गुज़रते

और की फुल्ली देखते हैं, अपना टेंट नहीं निहारते

अपने अवगुण की उपेक्षा कर के दूसरों के अवगुणों का बखान करना

बाप की नाव आज नहीं कल और कल नहीं परसों डूबे और डूबे

पापी को दण्ड अवश्य मीलता है, बुराई को अवश्य पतन है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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