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भंगी

झाड़ू देने तथा मैला उठाने वाला व्यक्ति, ख़ाकरूब, हलालख़ोर, चूहड़ा, मेहतर

भंगीर-ख़ाना

بھن٘گ فروخت کرنے والے کی دوکان ؛ وہ جگہ جہاں بھن٘گ پینے والے جمع ہوکر بھن٘گ گھوٹ کر یا گھول کر پیتے ہیں ؛ عام لوگوں کے جمع ہونے کا مقام ؛ بھٹیار خانہ .

भंगेर

بھن٘گ پینے یا بنا کر بیچنے والا .

भंगेड़

رک : بھن٘گیر

भंगेरन

بھنگیرا (رک) کی تانیث .

भंगीड़-ख़ाना

رک : بھن٘گیر خانَہ .

भंगेड़न

بھن٘گیڑا (رک) کی تانیث .

भंगेरा

= मँगरा (मँगरैया)

भंगेला

= मैंगरा

भँगेड़ी

वह जिसे भांँग पीने की लत हो, नशा करने वाला

भंगेड़ा

भंग पीने वाला

भंगी की ज़ात क्या झूटे की बात क्या

जिस प्रकार भंगी की जाति बहुत नीची होती है, उसी प्रकार झूठे व्यक्ति की बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता

भंगेर ख़ाने की गप या ख़बर

अविश्वसनीय बात, असंगत बात, झूठी ख़बर, बकवास, गपशप, अफ़्वाह

छिन-भंगी

नश्र्वर, नाशवान, क्षणभंगुर, ख़त्म होने वाला

धज-भंगी

नपुंषक व्यक्ति

निर-भंगी

रुक : नरभनग

कौड़ी-कौड़ी को भंगी हो जाना

एक-एक कौड़ी को मुहताज होना, बहुत बेइज़्ज़त हो जाना

सर-भंगी

अघोरी से बचाव हिंदू संतों का वह संप्रदाय जो मृत और गंदी वस्तु इत्यादि तक खा लेने से स्वयं को अलग नहीं रखता बल्कि उसी माध्यम से माँगता है, जो दुकानदार नहीं देता उसकी दुकान के सामने मूत्र पीने और गंदी वस्तु खाने लगता है जिससे वह घिन खा कर कुछ देता है

हिन्दी, इंग्लिश और उर्दू में आज़ाद-नज़्म के अर्थदेखिए

आज़ाद-नज़्म

aazaad-nazmآزادْ نَظْم

आज़ाद-नज़्म के हिंदी अर्थ

फ़ारसी, अरबी - संज्ञा, स्त्रीलिंग, संयुक्त शब्द

  • मुक्त छंद, उर्दू शायरी की वह विधा जिसमें रदीफ़ काफ़िये की पाबंदी न हो

English meaning of aazaad-nazm

Persian, Arabic - Noun, Feminine, Compound Word

  • free verse, vers libre

آزادْ نَظْم کے اردو معانی

  • Roman
  • Urdu

فارسی، عربی - اسم، مؤنث، مرکب لفظ

  • وہ نظم جس كے مصرعوں میں دریف وقوافی كی پابندی نہ ہو اور جس كے مصرعوں میں اركان كی تعداد عروضی قواعد كے برخلاف مختلف ہو

Urdu meaning of aazaad-nazm

  • Roman
  • Urdu

  • vo nazam jis ke misro.n me.n dariif vaqvaafii kii paabandii na ho aur jis ke misro.n me.n arkaan kii taadaad aruzii qavaa.id ke baraKhilaaf muKhtlif ho

आज़ाद-नज़्म से संबंधित रोचक जानकारी

क़ाफ़िया की क़ैद से आज़ाद होने के लिए पाश्चात्य साहित्य से लाभ उठा कर उर्दू नज़्म की जो विधाएं लोकप्रिय हुईं वह "आज़ाद नज़्म" और "मुअर्रा नज़्म" हैं लेकिन ये वज़न और बहर पर आधारित होती हैं। मुअर्रा नज़्म (blank verse) क़ाफ़िया से वंचित होती हैं, लेकिन सारे मिसरे (पंक्तियां) एक ही बहर और एक ही वज़न में होते हैं, जैसे जां निसार अख़्तर की नज़्म "महकती हुई रात": ये तेरे प्यार की ख़ुशबू से महकती हुई रात अपने सीने में छुपाए तिरे दिल की धड़कन आज फिर तेरी अदा से मिरे पास आई है आज़ाद नज़्म (free Verse) भी किसी एक बहर में लिखी जाती है, लेकिन उसके मिसरे छोटे बड़े होते हैं। मख़दूम मोहिउद्दीन की आज़ाद नज़्म "चारागर" यूं शुरू होती है: इक चमेली के मंडुवे तले मयकदे से ज़रा दूर उस मोड़ पर दो बदन प्यार की आग में जल गए आज़ाद नज़्म में हम क़ाफ़िया मिसरे भी शामिल किए जाते हैं। फ़ैज़ की नज़्म "तुम मेरे पास रहो" देखिए: तुम मेरे पास रहो मिरे क़ातिल मिरे दिलदार मिरे पास रहो जिस घड़ी रात चले आसमानों का लहू पी के सियह रात चले मरहम ए मुश्क लिए नश्तर ए अलमास लिए बैन करती हुई हंसती हुई गाती निकले दर्द के कासिनी पाज़ेब बजाती निकले तसद्दुक़ हुसैन ख़ालिद, मीरा जी और नून मीम राशिद आज़ाद नज़्म के नायक माने जाते हैं। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, सरदार जाफ़री और अख्तरुल ईमान भी इस विधा के श्रेष्ठ शायर हैं।

लेखक: अज़रा नक़वी

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भंगी

झाड़ू देने तथा मैला उठाने वाला व्यक्ति, ख़ाकरूब, हलालख़ोर, चूहड़ा, मेहतर

भंगीर-ख़ाना

بھن٘گ فروخت کرنے والے کی دوکان ؛ وہ جگہ جہاں بھن٘گ پینے والے جمع ہوکر بھن٘گ گھوٹ کر یا گھول کر پیتے ہیں ؛ عام لوگوں کے جمع ہونے کا مقام ؛ بھٹیار خانہ .

भंगेर

بھن٘گ پینے یا بنا کر بیچنے والا .

भंगेड़

رک : بھن٘گیر

भंगेरन

بھنگیرا (رک) کی تانیث .

भंगीड़-ख़ाना

رک : بھن٘گیر خانَہ .

भंगेड़न

بھن٘گیڑا (رک) کی تانیث .

भंगेरा

= मँगरा (मँगरैया)

भंगेला

= मैंगरा

भँगेड़ी

वह जिसे भांँग पीने की लत हो, नशा करने वाला

भंगेड़ा

भंग पीने वाला

भंगी की ज़ात क्या झूटे की बात क्या

जिस प्रकार भंगी की जाति बहुत नीची होती है, उसी प्रकार झूठे व्यक्ति की बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता

भंगेर ख़ाने की गप या ख़बर

अविश्वसनीय बात, असंगत बात, झूठी ख़बर, बकवास, गपशप, अफ़्वाह

छिन-भंगी

नश्र्वर, नाशवान, क्षणभंगुर, ख़त्म होने वाला

धज-भंगी

नपुंषक व्यक्ति

निर-भंगी

रुक : नरभनग

कौड़ी-कौड़ी को भंगी हो जाना

एक-एक कौड़ी को मुहताज होना, बहुत बेइज़्ज़त हो जाना

सर-भंगी

अघोरी से बचाव हिंदू संतों का वह संप्रदाय जो मृत और गंदी वस्तु इत्यादि तक खा लेने से स्वयं को अलग नहीं रखता बल्कि उसी माध्यम से माँगता है, जो दुकानदार नहीं देता उसकी दुकान के सामने मूत्र पीने और गंदी वस्तु खाने लगता है जिससे वह घिन खा कर कुछ देता है

संदर्भग्रंथ सूची: रेख़्ता डिक्शनरी में उपयोग किये गये स्रोतों की सूची देखें .

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